बढ़ रहा है समंदर का पानी

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गांधीनगर. भारत में समुद्री किनारे के जल स्तर व क्षेत्र में वृद्धि के मद्देनजर विश्व बैंक द्वारा गठित इंटिग्रेटेड कोस्टल जोन मैनेजमेंट में अन्य राज्यों के साथ गुजरात को भी शामिल किया गया है। केंद्र को 37.33 करोड़ की मद्द देने के साथ ही इससे संबंधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंप दी गई है।

इस प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने पहले तीन राज्यों की सरकारों को दिसंबर तक नक्शा ,सीमा की पैमाइश और उसके चित्रांकन को भेजने के निर्देश दिए हैं। विश्व बैंक की सहयता के अलावा केंद्र व राज्य सरकारों में भी इसमें आर्थिक सहयोग करना पड़ेगा।

भारत में 7517 किलोमीटर समुद्री किनारा वाले 13 राज्यों में से प्रथम चरण में तीन राज्यों गुजरात, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के लिए बनाए गए इस प्रोजेक्ट के तहत जनवरी 2010 तक राष्ट्रीय प्राधिकरण गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. ए.के. सेंथिल वेल की ओर से इन राज्यों को राज्य स्तरीय प्रबंधन के लिए दिसंबर तक की मोहलत दी गई है।

पांच जोनों में बांटे गए गुजरात के समुद्री किनारे: गुजरात के समुद्री किनारों को कच्छ की खाड़ी, खंभात की खाड़ी, सौराष्ट्र समुद्री जोन, दक्षिण गुजरात समुद्री किनारा और कच्छ का रण इस प्रकार से कुल पांच क्षेत्रों में बांटा गया है। इन क्षेत्रों में आने वाले 41 बंदरगाहों, 549 गावों, शहरों, उद्योगों, नेशनल पार्क, अभयारण्यों व वन क्षेत्रों को भी अध्ययन में शामिल किया गया है।

सर्वे में समुद्र किनारे से दूर 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 51 तहसीलों के 2802 गांवों व 59 शहरों को भी इसमें शामिल किया गया है। कच्छ में आए भूकंप के बाद पिछले आठ साल में समुद्र के जल स्तर व जमीन में हुए बदलाव की जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ करेंगे।

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