बिहार में तालाब से बिजली का उत्पादन
बिहार के 38 जिलों में सरकारी व प्राइवेट तालाबों में मछली उत्पादन के साथ बिजली उत्पादन की योजना भी मूर्त रूप लेगी। नीचे मछली और ऊपर बिजली उत्पादन पर बिजली कम्पनी योजना बना रही है। पिछले दिनों में इस योजना के लिये ग्रिड नहीं होने के कारण बिजली कम्पनी ने किसानों से सोलर ऊर्जा लेने से इनकार कर दिया था। कम्पनी ने कहा था कि जहाँ उनका ग्रिड होगा वहाँ से वह सोलर ऊर्जा किसानों से लेगी। वहीं पाँच एकड़ में लगने वाले सोलर प्लेट पर तीन लाख रुपए की खर्च की वजह से किसान इस योजना में शामिल नहीं हुए।प्रकृति और मानव का सम्पर्क युगों से रहा है। या कहें मानव के जन्म लेने के साथ ही उसका जल, जंगल, नदी, पहाड़, सूरज, चाँद, पेड़-पौधों से ऐसा नाता जुड़ा है। जो जाने-अंजाने उसके जीवन में पग-पग पर अपने होने का एहसास कराता रहता है। एक अर्थ में दोनों एक-दूसरे के पूरक होते हैं, एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं।
आज की भागम-भाग भरी जिन्दगी में इंसान प्रकृति की महत्ता को हंसी-ठट्ठे में भले भुला देता हो, पर समय-समय पर प्रकृति उसे अपना एहसास जरूर करा देती है हम प्रकृति से इतना पाते हैं फिर भी उसका खजाना सैकड़ों-हजारों साल से खाली नहीं हुआ है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं सूर्य से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की जिसका उपयोग हम सौर ऊर्जा में कर रहे है।
कृषि में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर सबसे अहम तथ्य ये है कि देश के कई हिस्सों में औसतन 250 दिन ऐसे होते हैं जब दिन भर सूरज की रोशनी मिलती है। विभिन्न शोधों से जाहिर हो चुका है कि देश में करीब पाँच लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है। ये पूरी दुनिया के बिजली उत्पादन से कई गुना ज्यादा है।
सौर ऊर्जा एक वैकिल्पक नवीकरणीय ऊर्जा है जो कम लागत और अपनी उच्च क्षमता की वजह से तेजी से मुख्य धारा का विकल्प बनती जा रही है। सौर ऊर्जा के जरिए कार्य स्थलों एवं घरों के उपयोग के लिये विद्युत उत्पादन के साथ-साथ सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से हम विद्युत चालित ड्रायर, कुकर, भट्टी, रेफ्रीजरेटर, और एसी भी चला सकते हैं। सौर ऊर्जा तकनीक कृषकीय उपकरणों के लिये एक बेहतर विकल्प हो सकता है। सोलर फोटोवोल्टीक सेल सूर्य से प्राप्त प्रकाश ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में तब्दील करता है। संकेन्द्रित सौर ऊर्जा (सीएसपी) प्रणाली रूपान्तरण प्रक्रिया के लिये अप्रत्यक्ष विधि का प्रयोग करता है।
गाँवों व शहरों को रोशन करने के लिये मात्र एक विकल्प रह गया है वह सौर ऊर्जा क्योंकि बिजली उत्पादन करने वाले के साधन या खत्म हो रहे हैं या फिर पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसे में एक विकल्प यह सामने आया है कि यदि आपके राज्य में तालाबों व नदियों की संख्या अधिक है तो आप बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए सोलर प्लांट लगा कर बिजली उत्पादन कर सकते हैं। ऐसा ही कुछ करने की योजना बिहार सरकार ने बनाई है।
बिहार राज्य के तालाब अब सोलर प्लांट से जुड़ जाएँगे। क्योंकि बिहार के 38 जिलों में सरकारी व प्राइवेट तालाबों की संख्या इतनी अधिक है कि इससे तालाबों में मछली उत्पादन के साथ बिजली उत्पादन की योजना भी मूर्त रूप लेगी। नीचे मछली और ऊपर बिजली उत्पादन पर बिजली कम्पनी योजना बना रही है।
पिछले दिनों में इस योजना के लिये ग्रिड नहीं होने के कारण बिजली कम्पनी ने किसानों से सोलर ऊर्जा लेने से इनकार कर दिया था। कम्पनी ने कहा था कि जहाँ उनका ग्रिड होगा वहाँ से वह सोलर ऊर्जा किसानों से लेगी। वहीं पाँच एकड़ में लगने वाले सोलर प्लेट पर तीन लाख रुपए की खर्च की वजह से किसान इस योजना में शामिल नहीं हुए।
मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी ने बताया कि बिजली कम्पनी ने मत्स्य पालन विभाग से बात कर तय किया है कि एक मेगावाट बिजली के लिये पाँच एकड़ जलजमाव वाले इलाके का चयन कर बिजली कम्पनी के ग्रिड से इसे जोड़ा जाएगा। तालाब के चारों ओर की ऊँची जगहों के साथ कम-से-कम छह एकड़ में सोलर प्लेट से एक मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बिजली कम्पनी इसे किसानों से एग्रीमेंट कर खरीदेगी। विभागीय अधिकारी ने कहा था कि बिजली कम्पनी के सहयोग के बिना इस योजना को लागू नहीं किया जा सकता है। जब किसानों की बिजली खरीद होगी तो उनके लिये यह मछली पालन के अतिरिक्त आमदनी होगा।
मत्स्य पालन निदेशक निशात अहमद ने बताया कि काम प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस योजना में तेजी आएगी। विदित हो कि 2013 में तत्कालीन पशुपालन मंत्रि गिरिराज सिंह ने इस योजना के तहत राज्य में सोलर एनर्जी का उत्पादन कर किसानों को अतिरिक्त आमदनी के लिये प्रयास शुरू किया था। उन्होंने इसे पीपीपी मॉडल के तहत बिजली कम्पनी के साथ समझौता कर किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास किया था, पर सफल नहीं हो सका था।
इस योजना पर काम शुरू हुआ तो राज्य में लगभग 1.10 लाख हेक्टेयर चौर, तालाब और झील में सोलर ऊर्जा का उत्पादन होगा। एक शोध कराया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि ऊपर बिजली उत्पादन से तालाब के पानी में मछली पालन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। सरकार का मानना है कि मछली पालन के लिये आदर्श तापमान 26 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस है।
बिहार में गर्मी के मौसम में कुछ दिनों को छोड़ दिया जाये तो आमतौर पर यहाँ की जलवायु मछलीपालन के लिये पूरी तरह उपयुक्त है। यही स्थिति सौर उर्जा से बिजली उत्पादन की भी है। एक अनुमान के मुताबिक, यहाँ वर्ष भर में 80 दिन सूरज की रोशनी कम होती है, शेष दिन पर्याप्त मात्रा में सूरज की रोशनी मिलती है। इससे सौर उर्जा से बिजली बहुत मुश्किल नहीं है।
इस प्रयोग से सौर ऊर्जा से सस्ती और निर्बाध बिजली के साथ मछली भी मिलेगी। तालाब के ऊपर अलग किस्म के बड़े-बड़े सोलर प्लेट लगेंगे और नीचे पानी में मछली पालन होगा। इन सोलर प्लेटों पर सूरज की रोशनी पड़ेगी और बिजली का उत्पादन होगा। वर्तमान वित्त वर्ष में 200 से ज्यादा तालाब बनेंगे, जिसमें 250 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी, बल्कि उन्हें स्वरोजगार भी मिलेगा।
सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की अपार सम्भावनाएँ हैं। धरती पर जहाँ सूर्य की किरणें अधिक पड़ती हैं। वह प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान है। दुनिया में बिजली की सालाना खपत की 10,000 गुना अधिक बिजली सूर्य की किरणों से पैदा की जा सकती है। यूरोपियन सोलर थर्मल पॉवर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि सन 2020 तक सूर्य पट्टिका में 10 करोड़ से अधिक लोगों को सोलर थर्मल पॉवर से बिजली आपूर्ति की जा सकती है।
सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक स्वच्छ ऊर्जा है। एक ऐसी ऊर्जा जिससे पर्यावरण का सबसे ज्यादा राहत मिलती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पारम्परिक तौर पर बिजली का उत्पादन तेल, कोयला या प्राकृतिक गैस को जलाकर किया जाता है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीले गैस पैदा होती हैं और पर्यावरण पर बुरा असर डालती है। जिससे की आने वाले दिनों में मानव, जानवर एवं पेड़-पौधे का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। बेहतर होगा कि हम सभी लोगों को शीघ्र इस ऊर्जा को बड़े पैमाने पर अपना कर पर्यावरण की रक्षा करें।
बिहार सरकार के रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी व प्राइवेट तालाब की स्थिति इस प्रकार है।
क्रमांक | जिला | सरकारी | प्राइवेट |
1. | पटना | 1005 | 241 |
2. | भोजपुर | 685 | 159 |
3. | बक्सर | 463 | 190 |
4. | रोहतास | 2100 | 93 |
5. | गया | 1063 | 331 |
6. | जहानाबाद | 107 | 23 |
7. | औरंगाबाद | 1169 | 1586 |
8. | नवादा | 436 | 290 |
9. | नालंदा | 824 | 1335 |
10 | अरवल | 284 | 107 |
11 | कैमूर | 623 | 328 |
12 | मुजफ्फरपुर | 1386 | 2586 |
13. | वैशाली | 691 | 1228 |
14. | समस्तीपुर | 1334 | 2569 |
15. | सारण | 981 | 510 |
16. | सीवान | 1029 | 1107 |
17. | गोपालगंज | 850 | 355 |
18. | पूर्वी चम्पारण | 1242 | 5009 |
19. | पश्चिमी चम्पारण | 760 | 2462 |
20. | शिवहर | 109 | 163 |
21. | सहरसा | 211 | 2963 |
22. | सुपौल | 202 | 3551 |
23. | मधेपुरा | 163 | 387 |
24. | पूर्णिया | 551 | 785 |
25. | अररिया | 377 | 4783 |
26. | किशनगंज | 280 | 288 |
27. | कटिहार | 868 | 6767 |
28. | भागलपुर | 796 | 1471 |
29. | बांका | 808 | 3503 |
30. | मुंगेर | 215 | 513 |
31. | जमुई | 169 | 153 |
32. | खगड़िया | 490 | 1201 |
33. | बेगूसराय | 301 | 4447 |
34. | लखीसराय | 260 | 1444 |
35. | शेखपुरा | 358 | 88 |
36. | दरभंगा | 2355 | 6758 |
37. | मधुबनी | 4864 | 5891 |
38. | समस्तीपुर | 1245 | 1083 |