बजट से खुलेगा ग्रामीण विकास का रास्ता

18 Mar 2017
0 mins read

सरकार अच्छी तरह से जानती है बिना ग्रामीण क्षेत्र का विकास किये वह देश में समावेशी विकास को सुनिश्चित नहीं कर सकती है। लिहाजा, सरकार ने पिछले साल के बजट की तरह ही इस साल भी ग्रामीणों एवं उनसे सम्बन्धित समस्याओं को ध्यान में रखकर ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिये आवंटित राशि में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी की है। देखा जाये तो इस साल के बजट का लक्ष्य कृषि व ग्रामीण क्षेत्र का उत्थान और आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कमजोर लोगों जैसे किसान, खेतिहर मजदूर, असंगठित क्षेत्र के मजदूर आदि के जीवन में खुशी के रंग भरना है।

ग्रामीण विकास के लिये राजकोषीय प्रबन्धन


बजट में सबका ख्याल रखने के बावजूद राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर सरकार ने अपनी स्थिति को मजबूत रखने की कोशिश की है। राजस्व के सीमित स्रोत होने के बावजूद जरूरी सरकारी खर्चों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है। वित्तवर्ष 2017-18 में 21.47 लाख करोड़ रुपए के कुल व्यय का प्रावधान किया गया है, और पूँजीगत व्यय पिछले वित्तवर्ष की तुलना में 25.4 प्रतिशत अधिक है।

वित्तमंत्री ने अप्रत्यक्ष कर का बजट अनुमान 8.8 प्रतिशत रखा है, क्योंकि अप्रत्यक्ष कर के संग्रह में वित्तवर्ष 2015 से कमी आ रही है। कस्टम ड्यूटी में वित्तवर्ष 2017-18 में 12.9 प्रतिशत की दर से इजाफा होने की बात कही गई है, जोकि राशि में 2.45 लाख करोड़ रुपए हैं। गौरतलब है कि यह वित्तवर्ष 2016-17 के संशोधित अनुमान 3.2 प्रतिशत से अधिक है। सेवा कर की प्राप्ति की वृद्धि 11.1 प्रतिशत की दर से होने का अनुमान लगाया गया है, जो राशि में 2.75 लाख करोड़ रुपए है।

उम्मीद है कि अप्रत्यक्ष कर नीति से “मेक इन इण्डिया” की संकल्पना को बल मिलेगा। साथ ही, बजट में 3 लाख रुपए तक सालाना आय अर्जित करने वालों के लिये टैक्स दर को 10 से 5 प्रतिशत करने से आगे आने वाले दिनों में ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को आयकर की जद में आने की प्रबल सम्भावना है। वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने राजस्व घाटा 1.9 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया है, जो राशि में 5.46 लाख करोड़ रुपए है और पिछले बजट से 12,258 करोड़ रुपए अधिक है।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का मानना है कि राजकोषीय घाटे का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत का लक्ष्य आशावादी नहीं, बल्कि व्यावहारिक है। इस बात की पूरी सम्भावना है कि राजस्व प्राप्ति लक्ष्य से अधिक रहेगी, क्योंकि बजट में विमुद्रीकरण से हुए अप्रत्याशित लाभ को शामिल नहीं किया गया है। अगले वित्त वर्ष में उन लोगों से भी कर संग्रहण किया जाएगा, जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) का लाभ उठाने में विफल रहेंगे।

बड़ी संख्या में ऐसे बैंक खाते हैं, जिनमें विमुद्रीकरण के दौरान जमा की गई राशि लोगों द्वारा जमा किये गए आयकर रिटर्न से मेल नहीं खाती हैं। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से अप्रत्यक्ष कर में 8.8 प्रतिशत तक की वृद्धि होने का अनुमान है। विनिवेश से भी सरकार को अच्छी आय की उम्मीद है। राजस्व में पर्याप्त इजाफा होने से सरकार इसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्र के विकास में कर सकेगी।

खेती-किसानी में बेहतरी


किसानों की सुध लेते हुए वित्तवर्ष 2017-18 में फसल बीमा योजना के तहत 9,000 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है, ताकि अधिक-से-अधिक किसान फसल बीमा योजना से लाभान्वित हों। भारत में खेती-किसानी भगवान भरोसे की जाती है। कभी ज्यादा बारिश तो कभी अकाल यहाँ की जलवायु की विशेषता है। सिंचाई के समुचित साधन नहीं होने से किसानों की मानसून पर निर्भरता बढ़ जाती है। ऐसे में फसल के नुकसान की भरपाई का एकमात्र विकल्प फसल बीमा ही है।

इधर, भारत के ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी सूदखोरों का जाल बिछा हुआ है, जिसका मूल कारण कर्ज की सरल एवं सुगम उपलब्धता का नहीं होना है। सूदखोर किसानों को आसान शर्तों पर कर्ज देते हैं। इसलिये किसान इनसे कर्ज लेना बेहतर समझते हैं। किसान बैंकों से कर्ज लेने से परहेज नहीं करें, इसके लिये सरकार ने बैंकों को किसानों को दिये जाने वाले कर्ज की शर्तों को आसान बनाने के लिये कहा है। साथ ही बजट में कृषि ऋण वितरण के लक्ष्य को बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए किया गया है।

बुनियादी बदलाव लाने की कोशिश


ग्रामीण एवं सामाजिक क्षेत्र को प्रभावित करने वाले सामाजिक क्षेत्र की 28 प्रमुख योजनाओं पर वित्त वर्ष 2017-18 में 2.80 लाख करोड़ रुपए खर्च किये जाएँगे, जो वित्तवर्ष 2016-17 के 2.46 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 12.14 प्रतिशत अधिक है। सामाजिक मोर्चे पर स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं के लिये सर्वाधिक रकम आवंटित की गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के लिये बजटीय आवंटन में 23 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी की गई है, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 39688 करोड़ रुपए के संशोधित आकलन के मुकाबले बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 48853 करोड़ रुपए हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रहे, इसके लिये स्वास्थ्य मद के कुल आवंटन में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के घटक को कम रखा गया है। सरकार ने ग्रामीण स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये अतिरिक्त रकम देने का भी प्रस्ताव किया है। इसके अलावा बजट में बुजुर्गों के लिये आधार से जुड़े स्मार्ट स्वास्थ्य कार्ड की घोषणा की गई है। स्मार्ट कार्ड में बुजुर्गों के स्वास्थ्य से जुड़े विवरण दर्ज होंगे, जिससे उन्हें आसानी से स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी।

ग्रामीण आवास के लक्ष्य को पूरा करना


ग्रामीणों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिये ग्रामीण एवं शहरी आवासीय योजना मद में कुल मिलाकर 8107 करोड़ रुपए का इजाफा किया गया है। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार ने 2019 तक 1.3 करोड़ से ज्यादा मकान बनाने की योजना बनाई है, जिसमें 33 लाख पहले की योजना के अधूरे आवास हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना की अवधि को भी 15 से बढ़ाकर 20 साल कर दिया है।

इस सन्दर्भ में यदि पूरक आवंटन नहीं आता है तो सम्भव है कि 2017-18 के बजट का इस्तेमाल बकाया के भुगतान के लिये किया जाये। वित्त वर्ष 2016-17 में ग्रामीण आवास के लिये बजट अनुमान 15000 करोड़ रुपए था। वित्तवर्ष 2017-18 का आवंटन, जो 23,000 करोड़ रुपए है, वित्तवर्ष 2016-17 के पुनरीक्षित अनुमानों की तुलना में काफी अधिक है। इस मद में राशि कम पड़ने पर सरकार की योजना राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से 10,000 करोड़ रुपए उधार लेने की है, ताकि ग्रामीण आवास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा सके।

गौरतलब है कि सस्ते आवास को बढ़ावा देने के लिये कई रियायतों की घोषणा की गई है। वित्तमंत्री ने सस्ते आवास को बुनियादी ढाँचे का दर्जा देने का प्रस्ताव किया है, जिससे कम्पनियों या बिल्डर को सस्ते ऋण हासिल करने में मदद मिलेगी। वित्तमंत्री ने कहा है कि सस्ती आवासीय परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिये मुनाफा आधारित आयकर छूट के तहत 30 और 60 वर्ग मीटर के बिल्डअप एरिया के बजाय कारपेट एरिया पर गौर किया जाएगा। आवासीय क्षेत्र को आधारभूत संरचना का दर्जा मिलने से प्रारम्भिक फायदा तो बिल्डर को मिलेगा, लेकिन कालान्तर में आम आदमी इससे लाभान्वित होंगे। इस सुविधा का कुछ फायदा शहर से सटे ग्रामीण इलाके के लोगों को भी मिल सकेगा।

प्रधानमंत्री सड़क योजना


सड़कों सहित सभी प्रकार के परिवहन ढाँचे (रेल और जहाजरानी सहित) के लिये 2107-18 में 2,41,387 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में प्रतिदिन 133 किलोमीटर सड़क निर्माण किये जाने का प्रस्ताव है। जबकि वित्तवर्ष 2011-14 के दौरान औसत सड़क निर्माण 73 किलोमीटर प्रतिदिन था। अगले वित्तवर्ष के लिये भी इस मद में 19,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। सरकार जानती है, सड़क विकास की धमनियाँ होती हैं। सड़कों का जाल बिछाकर ही ग्रामीण क्षेत्र की विकास दर में इजाफा किया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य 2021 की बजाय 2019 तक 65,000 पात्र बस्तियों को सड़कों का निर्माण करने, जोड़ने का है।

वित्तवर्ष 2017-18 के बजट में ग्रामीण क्षेत्र के सभी लोगों का ख्याल रखने की कोशिश की गई है। एक तरफ किसानों की बेहतरी के लिये बजट में विशेष प्रावधान जैसे, फसल बीमा के लिये बढ़ी हुई राशि, अधिक कृषि ऋण का प्रावधान आदि किये गए तो दूसरी तरफ गाँवों में जो आयकर देते हैं, उन्हें कर में रियायत दी गई है। ग्रामीण एवं कस्बाई इलाके के छोटे उद्यमियों को कार्पोरेट कर में राहत दी गई है। कमजोर तबके को सस्ते मकान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आवास क्षेत्र को आधारभूत संरचना का दर्जा दिया गया है। आर्थिक एवं पिछड़े लोगों को रोजगार मिल सके, इसके लिये मनरेगा के तहत 48,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिये सड़क व बिजली की मद में एक बड़ी राशि का प्रावधान किया गया है।

देखा जाये तो विमुद्रीकरण से सबसे ज्यादा प्रभावित किसान, छोटे कारोबारी, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगार थे। इसलिये बजट में इनकी परेशानी को कम करने की कोशिश की गई है। बावजूद इसके अर्थव्यवस्था पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े, इसका पूरा ख्याल रखा गया है। राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत के स्तर पर रखने की बात कही गई है। इतना ही नहीं वित्तवर्ष 2018-19 में इसे कम करके 3 प्रतिशत के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, व्यय में केवल 6.5 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया, जिसकी बड़ी पूर्ति व्यक्तिगत आयकर से करने का प्रस्ताव है। एक अनुमान के मुताबिक इसमें वित्तवर्ष 2017-18 में 25 प्रतिशत तक का इजाफा होने की उम्मीद है।

सरकार ने विमुद्रीकरण के दौरान डिजिटल लेनदेन की जो मुहिम शुरू की थी, उसे बजट में भी जारी रखा गया है। ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटली लेनदेन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिये सरकार ने भीम एप के इस्तेमाल को ग्रामीण क्षेत्र में लोकप्रिय बनाने के लिये व्यक्तियों के लिये रेफरल बोनस स्कीम और व्यापारियों के लिये कैशबैक स्कीम की शुरुआत की है, जिसका फायदा ग्रामीणों को मिल सकेगा, ऐसी उम्मीद है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के लिये बजट में स्टार्टअप को कर छूट का प्रोत्साहन दिया गया है। सूक्ष्म एवं मझोले उद्यम, जिनका 50 करोड़ रुपए तक का टर्न ओवर है, को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिये उनकी आयकर देयता को घटाकर 25 प्रतिशत किया गया है, जिससे 96 प्रतिशत छोटे कारोबारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण वितरण की राशि को बढ़ाकर 2.4 लाख करोड़ करने से भी ऐसे कारोबारियों को सीधे तौर पर लाभ मिलने की आशा है। कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा बजट में किये गए इन उपायों से निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्र का विकास एवं किसानों, खेतिहर मजदूरों एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की बेहतरी को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

(लेखक वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केन्द्र, मुम्बई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में मुख्य प्रबन्धक के तौर पर कार्यरत हैं और विगत सात वर्षों से मुख्य रूप से आर्थिक व बैंकिंग विषयों पर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।)

ई-मेल : satish524@gmail.com


Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading