बुन्देलखण्ड में बारिश में बह गए जलसंरक्षण के दावे

पैकेज से बने कई बाँध फूटे तो अधिकांश में रिसाव


.छतरपुर म.प्र./18 जुलाई 2016/ पर्याप्त बारिश के बाद भी बुन्देलखण्ड को सूखे से निजात मिल सकेगी ये उम्मीदें बारिश के साथ ही धुलना भी शुरू हो गई है। पानी के नाम पर पानी की तरह खर्च कर जल संरक्षण के कार्यों में आर्थिक अनिमियतताओं ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। तमाम बाँध और स्टापडैम के फूटने की खबरें हैं। महत्त्वपूर्ण है कि बुन्देलखण्ड पैकेज में अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों के संगठित गिरोह ने अपनी तिजोरियाँ लबालब की, इसके भी सबूत सामने आने लगे हैं।

बुन्देलखण्ड पैकेज यूँ तो यहाँ के सूखे के हालातों के स्थायी हल के लिये आबंटित किया गया था। पिछले चार साल में पैकेज की राशि से आँकड़े चौंकाने वाले हैं कि मार्च 2016 तक बुन्देलखण्ड के छह जिलों सागर, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, दतिया जिले में 45451 कुआँ, 2646 खेत तालाब खोदे गए। वहीं 2559 जल संरचनाओं का जीर्णोंद्धार, पुनर्जीवन, पुनर्भरण अर्थात लघु तालाबों व माईनर नहरों का रख-रखाव, तालाबों का गहरीकरण व जीर्णोंद्धार, गाद निकालने जैसे कार्य किये गए। जिन पर 75.57 करोड़ रुपए खर्च किये गए।

मध्य प्रदेश योजना आयोग के अनुसार सूखे से निपटारे के लिये बुन्देलखण्ड के बरसाती नालों, सहायक नदियाँ और बड़ी नदियों पर स्टापडैम बनाए गए। जिससे पानी को रोककर जलस्तर बढ़ाया जा सके। सुनकर आश्चर्य होगा कि बुन्देलखण्ड के छह जिलो में 774 स्टापडैम बनाए गए जिन पर 20859.5 लाख रुपए खर्च किये गए। सरकार इन निर्माण कार्यों पर ही दम भरती थी कि बुन्देलखण्ड में सिचाईं का रकबा बढ़ा है। असलियत क्या है, खुलना शुरू हो चुका है।

अधिकांश स्थानों पर तालाब का विस्तार कर बाँध और नहर के निर्माण कराए गए। योजना के निर्माण कार्यों में आर्थिक अनिमियतताओं को लेकर समय-समय पर खबरें आती रहीं। कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने 4 मार्च 14 को ताराकिंत प्रश्न क्रमांक 282 के माध्यम से इन जल संरक्षण कार्यों में भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा में भी प्रश्न उठाया था। सरकार की असंवेदनशीलता कहें या कुछ और कारण कि बुन्देलखण्ड पैकेज के भ्रष्टाचार को कभी गम्भीरता से नहीं लिया गया।

आज जब चार साल बाद पर्याप्त बारिश में इन जल संरक्षण कार्यों की गुणवत्ता की परख का समय आया तो अब जाँच के नाम पर करोड़ों रुपए की आर्थिक गड़बड़ियों को दबाया जा रहा है।

अकेले पन्ना जिले में 32 करोड़ की लागत से नवनिर्मित सिरस्वाहा और 11 करोड़ से निर्मित बिलखुरा बाँध फूट गए। वहीं बढीपडरिया का वृंदावन बाँध में दरारें आ गईं और नहरें टूटने से सटे खेत लबालब हो गए। पन्ना जिले में ही नचनौरा, धवारी बाँध भी फूटने की स्थिति में थे लेकिन उसके पहले ही इन बाँधो में कट लगाकर पानी को बाहर निकाल दिया गया। इसी तरह रानीपुरा, मखरा सहित कई बाँध ऐसे हैं जो आने वाले दिनों में बुरी खबर दे सकते हैं। यही हाल स्टापडैम का है।

छतरपुर जिले के नौगाँव नगर में मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत धसान नदी पर निर्माणाधीन बाँध की दीवारें झरना हो गई हैं। साथ ही यहाँ कुम्हेड नदी पर निर्मित स्टापडैम पानी का बहाव नहीं झेल पाया और बह गया।

टीकमगढ़ जिले में ग्राम सिमरिया के समीप 30 लाख लागत से निर्मित स्टापडैम पानी के बहाव में बह गया। ये स्टापडैम भी विशेष पैकेज से निर्मित कराए गए थे। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव और उपाध्यक्ष राजा पटैरिया ने पन्ना जिले के फूटे तमाम बाँधों का निरीक्षण कर माँग की है कि बुन्देलखण्ड पैकेज के कार्यों की जाँच सीबीआई से कराई जाये।

राजनैतिक लिहाज से बयानबाजी चाहे जो हो पर यह तय है कि पर्याप्त बारिश के बाद भी जलसंरक्षण के निर्माण कार्यों में गड़बड़ियों ने एक बार फिर बुन्देलखण्ड को धोखा दिया है। जिसके भविष्य में सूखे के रूप में फिर गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।
 

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