भागीरथ कृषक अभियान
पृष्ठभूमि
उद्देश्य -
1. भागीरथ कृषक अभियान की अवधारणा (प्रचार-प्रसार तथा विस्तार)
2. लक्ष्य कौन (आयोजना तथा प्रबंधन)
प्रशिक्षण रणनीति:-
1. लक्ष्य का चयन:-
2. प्रशिक्षण स्थल का चयनः-
3. प्रशिक्षकों का चयन:-
अवधारणा की उपयोगिता -
प्रचार प्रसार की रणनीति
आयोजन तथा प्रबंधन:-
पानी का अर्थशास्त्र
समरथ को नहि दोष गुसाई,
लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि, कृषक अपनी ज़मीन, जिसे वह अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है, तालाब बनाने के लिए क्यों छोड़े व तालाब बनाने के लिए गाढ़ी कमाई खर्च क्यों करे? विशेष रूप से इस पृष्ठभूमि में यह एक आम सोच है कि पानी का संचय करना व व्यवस्था करना शासकीय ज़िम्मेदारी है।
एक व्यवसायी या उद्योगपति जिस तरह अपनी बचत, पूंजी व संपत्ति का निवेश भविष्य में होने वाली आय को देखते हुए करता है, उसी तरीके से सरल भाषा में पूर्व से चिन्हित कृषकों को उनके द्वारा तालाब निर्माण करने में ज़मीन से उत्पादन बढ़ाने के रूप में किए गए निवेश, तालाब निर्माण करने में हुई लागत तथा उत्पादन बढ़ने से हुई लाभ व बिजली बिल तथा नलकूप खनन में व्यय में होने वाली कमी को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें भविष्य में होने वाली आय के बारे में प्रशिक्षण दिया गया तथा चयनित किसानों को पानी के इस अर्थशास्त्र के बारे में एक पत्र भी लिखा गया। पानी के इस अर्थशास्त्र की गणना पर यह पाया गया कि यदि किसान स्वयं के व्यय से अपनी कुल कृषि भूमि के 10वें हिस्से में 8 से 12 फीट गहरे तालाब का निर्माण कर जल संरक्षित करता है तो वह खरीफ व रबी दोनों फसलें समान रूप से ले सकता है तथा तालाब में पाली गई व्यय होने वाली लागत को एक या दो वर्ष में ही वसूल सकता है। तालाब की मेड़ पर लगाए गए फलदार वृक्ष या अन्य फसल तथा तालाब में मछली भी एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत हो सकता है। इस संदर्भ में किसान के द्वारा जल संकट के कारण खरीफ व रबी की फसल में होने वाले नुकसान तथा नलकूप खनन में होने वाले व्यय व बिजली के खर्च की बचत को भी रेखांकित किया गया है। इस तरह फसल सघनता 200 प्रतिशत या उससे भी अधिक हो सकती है व उत्पादकता तथा उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है।
डॉ. मोहम्मद अब्बास द्वारा इस अवधारणा को समाज में फैलाने व इस पानी आन्दोलन को सामाजिक आन्दोलन बनाने के लिए प्रारंभिक दौर में पूर्व में इस अवधारणा को अपनाने वाले किसानों को ही स्रोत व्यक्ति (भागीरथ कृषक प्रशिक्षक) के रूप में चिन्हित कर एक विचार की यात्रा प्रारंभ हुई। एक खेत से दूसरे खेत, दूसरे से तीसरे ...आज तकरीबन 5228 खेतों तक पहुँचकर यह विचार जिला देवास में तालाबों के रूप में मूर्त रूप ले चुका है।
रणनीति:-
प्रश्न | उत्तर |
1.आपके पास कितनी कृषि भूमि है? | 10 एकड़, 20 एकड़, 50 एकड़, |
2. आपकी कृषि भूमि सिंचित है या असिंचित? | अधिकतर असिंचित है। |
3. सिंचाई हेतु किस पर निर्भर हैं? | बारिश के भरोसे, नलकूप एवं कुओं से |
4. अच्छा तो यह बताओं कि आपके पास कितने नलकूप हैं? | दो, चार, छः दस |
5. कुए कितने हैं? | एक, दो, चार |
6. अभी तक आपने नलकूपों/कुओं पर कितना व्यय किया? | 40 हजार से लेकर एक लाख, दो लाख, चार लाख |
7. इस व्यय का इंतजाम कैसे किया? | स्वयं के द्वारा, साहूकार से, बैंक से |
8. अभी तक आपने कितना व्यय किया, सरकार के पास मदद के लिए गए थे? | नहीं, सरकार से कोई मदद नहीं ली गई। |
9. क्या इतने व्यय के पश्चात पानी का पर्याप्त इंतजाम सिंचाई हेतु हो पाया? | नही, पर्याप्त नहीं। गर्मी में नलकूप, कुएं सूख जाते हैं। वर्ष भर पानी उपलब्ध नहीं रहता है, निस्तार के लिए भी संकट हो जाता है। |
10. बीस साल बाद क्या होगा? | फसल लेना मुश्किल होगा, गांव में पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाएगा, पशुओं के लिए पानी मिलना संभव नहीं होगा तथा चारे का भी भयंकर संकट उत्पन्न हो जाएगा, आदि-आदि |
11. बच्चों को विरासत में क्यादोगे? | बंजर भूमि या सिंचित जमीन |
12. जमीन की कीमत क्या होगी? | असिंचित भूमि 1.00 लाख तथा सिंचित भूमि 4.00 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर |
13. क्या फरवरी माह के बाद जानवरों को पानी व चारा उपलब्ध हो पाता है? | नहीं। |
14. क्या मार्च माह के बाद पक्षी दिखाई देते हैं? | सतही जल न होने के कारण पक्षी दिखाई नहीं देते हैं। वातावरण नीरस होता जा रहा है। आज पक्षी तथा कल हम भी समाप्त हो जाएंगे। |
ऐसे कई प्रश्न कृषक वर्ग के समक्ष उनके मध्य उपस्थित होकर पारिवारिक स्तर की संगोष्ठी में, समूह चर्चाओं के माध्यम से अभिप्रेरित करने का एक प्रयास और इसी के साथ शुरूआत होती है अभियान की, जो एक नवीन सोच, नवीन तकनीक और नवीन विचारों के साथ। अब किसान वर्ग प्रति प्रश्न करता है कि, हम क्या करें, कोई रास्ता बताएं, क्या आप मार्गदर्शन देगें? तब उन्हें उनकी क्षमता, श्रम, उपलब्ध संसाधनों के बारे में विस्तार से समझाकर कि, वे क्या कर सकते हैं, इसके बारे में उनमें एक नया विश्वास पैदा कर, उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि, बगैर किसी की मदद लिए अपने स्वयं के बल पर उक्त कार्य कर सकते हैं। उन्हें बतलाया जाता है कि, यदि आप अपनी कृषि भूमि का 10वां भाग हमारे लिए नहीं, अपने परिवार के लिए, अपने लिए रेवासागर ‘‘जीवन के लिए टांग काटना पड़े तो सौदा लाभ का होगा’’ सारी ज़मीन सूखी रहने के स्थान पर अपने स्वयं के साधन व्यय से बना लेवें तो वर्तमान संकट से हमेशा के निजात पा सकते हैं। आप अपनी कृषि आय दो से तीन गुना, शेष ज़मीन से बढ़ा सकते हैं, जो कृषि अलाभकारी है, वह लाभकारी हो जाएगी। आप अपने परिवार के लिए एक लाभदायी संपत्ति विरासत में दे सकते हैं। आपकी आने वाली पीढ़ियाँ आपको याद करेगी। जिस प्रकार हम आज भी याद करते हैं, उन लोगों को, जिन्होंने व्यक्तिगत/सार्वजनिक रूप से ग्राम के आसपास तालाबों, बावड़ियों, और इस तरह के अन्य श्रेष्ठ कार्य किए हैं। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि, उनमें कई सदस्यों ने अपने लिए नहीं सामुदायिक क्षेत्र के उपयोग हेतु उक्त संरचनाओं का निर्माण किया गया था, जिनके अवशेष कई ग्रामों में आज भी मौजूद है। हम आपको आपके लिए व स्वपरिजनों के उपयोग के लिए रेवासागर निर्माण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। भविष्य में आप तो इससे लाभ लेंगे ही, लेकिन प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष लाभ जो शायद अभी आपको दिखाई नहीं देता, वह जरूर मिलेगा जब समीपवर्ती जल संरचनाओं में जल स्तर बढ़ेगा, चारों तरफ पेड, पौधे, झाड़ झंकर आकार लेंगे, तब हरीतिमा संवर्धन में धरती मां का श्रृंगार होगा। पशु, पक्षी, वन्य जीवन मनुष्य सभी का जीवन सुखमय व उल्लास पूर्वक होगा, सर्वत्र पक्षियों की चहचहाट सुनाई पड़ेगी।
3. जल संरक्षण व संवर्धन कार्यों का उल्लेखनीय क्रियान्वयन
4. अभिनव/प्रेरणादायक कार्यों का क्रियान्वयन
1. तकनीकी समावेश -
2. व्यवहारिक ज्ञान:-
3. आर्थिक सुगमता:-
4. धार्मिक तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण:-
5.समानता:-
6. योग्य जनमानस का सहयोग:-
उल्लेखनीय प्रयास
1. कृषकों को प्रेरणा देना
2. प्रेरित किसानों को आवश्यक सहयोग एवं मार्गदर्शन
अ. स्थल चयन:-
ब. रेवासागर तकनीकी पहलू:-
स. वित्तिय संयोजन:-
द. मशीनरी की व्यवस्था:-
5. जल संरक्षण व संवर्धन कार्यों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक प्रभाव/परिणाम
जल संरक्षण हेतु सामाजिक आंदोलन की बुनियाद:-
अपेक्षित सिंचित क्षेत्र में वृद्धि:-
विद्युत की बचत
जल स्तर में वृद्धि
पशु पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण
जल एवं मृदा संरक्षण
अभिनव भागीरथ कृषक अभियान एक नजर में
प्रभावी आकलन:-
क्र. | नाम/ग्राम पंचायत का नाम | पुरस्कार का नाम | पुरस्कार वर्ष | मंत्रालय जिसके द्वारा दिया गया |
1. | गोरवा | भूमिजल संवर्धन पुरस्कार | 2007-08 | भारत सरकार जल संसाधन मंत्रालय |
2. | धतुरिया | भूमिजल संवर्धन पुरस्कार | 2008-09 | भारत सरकार जल संसाधन मंत्रालय |
3. | टोंकखुर्द | सर्वश्रेष्ठ सफलता की कहानी पुरस्कार | 2009-10 | भारत सरकार जल संसाधन मंत्रालय |
4. | चिड़ावद | भूमिजल संवर्धन पुरस्कार | 2010-11 | भारत सरकार जल संसाधन मंत्रालय |