देखो इस अनाज के दाने को

खेती का यह तरीका आधुनिक कृषि की तकनीकों के सर्वथा विपरीत है। यह वैज्ञानिक जानकारी तथा परम्परागत कृषि विधियों, दोनों को बेकार सिद्ध कर देता है। खेती के इस तरीके, जिसमें कोई मशीनों द्वारा निर्मित खादों तथा रसायनों का उपयोग नहीं होता

मैं मानता हूं कि धान के इस एक तिनके से बहुत बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है। देखने से यह तिनका छोटा सा और महत्वहीन नजर आता है। शायद ही किसी को विश्वास होगा कि वह किसी इंकलाब की शुरुआत कर सकता है। लेकिन मुझे इस तिनके के वजन और क्षमता का अहसास हो चुका है। मेरे लिए यह क्रांति वास्तविक है।

जरा राई और जौ के इन खेतों को देखिए। इस पक रही फसल से प्रति चैथाई एकड़ लगभग 22 बुशेल (एक क्विंटल) पैदावार ली जा सकेगी। मेरे ख्याल से यह एहिमे प्रिफैक्चर जिले - जो कि जापान के सबसे उर्वरक इलाकों में से है की पैदावार के बराबर है। और इन खेतों को पिछले पच्चीस सालों से जोता नहीं गया है।

इनकी बुआई के नाम पर मैं सिर्फ जौ और राई के बीजों को पतझड़ के मौसम में, जबकि धान की फसल खेतों में खड़ी होती है, इन्हीं खेतों में बिखेर देता हूं। कुछ हफ्तों बाद मैं धान की फसल काट लेता हूं और धान का पुआल सारे खेत में फैला देता हूं।

यही तरीका धान की बुआई के लिए अपनाया जाता है। जाड़े (खरीफ) की इस फसल को 20 मई के आसपास काट लिया जाएगा। फसल पूरी तरह से पकने के लगभग दो सप्ताह पूर्व मैं धान के बीजों को राई और जौ की फसल पर बिखेर देता हूं। खरीफ के धान की कटाई तथा गहाई हो जाने के बाद मैं इसका पुआल भी खेतों में बिखेर देता हूं।

मेरे खयाल से धान तथा जाड़े की फसलों की बुआई के लिए इस एक ही विधि का उपयोग करना, इस प्रकार की खेती में ही किया जाता है। लेकिन एक तरीका इससे भी आसान है। अगले खेत की तरफ चलते हुए मैं आपको बताना चाहूंगा कि वहां उग रहा धान पिछली पतझड़ में खरीफ की फसल के साथ ही बोया गया था। इस खेत में बुआई का सारा काम नए साल के पहले दिन तक निपटा लिया गया है।

इन खेतों में आप यह भी देखेंगे कि वहां सफेद बन मेथी और खरपतवार भी उग रही है। धान के पौधों के बीच सफेद मेथी अक्तूबर महीने के प्रारंभ में, यानी जौ और राई से कुछ पहले बोई गई थी। खरपतवार उगने की मैं परवाह नहीं करता क्योंकि उनके बीज अपने आप आसानी से झड़ते और उगते रहते हैं।

अतः इन खेतों में बुआई का क्रम इस प्रकार रहता हैः अक्तूबर के प्रारंभ में मेथी धान के बीच बिखेरी जाती है, और जाड़े की फसलों की बुआई वहीं उस महीने के मध्य हो जाती है। नवम्बर की शुरुआत में धान काट लिया जाता है और उसके बाद अगले वर्ष के लिए धान के बीज बो दिए जाते हैं। और सारे खेत में पुआल फैला दिया जाता है। आपको यहां जो राई और जो दिखलाई दे रही है, उसे इसी ढंग से उगाया गया है।

चैथाई एकड़ में खेत में जाड़े की फसलों और धान की खेती का सारा काम केवल एक-दो व्यक्ति ही कुछ ही दिनों में निपटा लेते हैं। मेरे ख्याल से अनाज उगाने का इससे ज्यादा आसान, सहज तरीका कोई अन्य नहीं हो सकता।

खेती का यह तरीका आधुनिक कृषि की तकनीकों के सर्वथा विपरीत है। यह वैज्ञानिक जानकारी तथा परम्परागत कृषि विधियों, दोनों को बेकार सिद्ध कर देता है। खेती के इस तरीके, जिसमें कोई मशीनों द्वारा निर्मित खादों तथा रसायनों का उपयोग नहीं होता, के द्वारा भी औसत जापानी खेतों के बराबर या कई बार उससे भी ज्यादा पैदावार हासिल करना संभव है। इसका प्रमाण यहां आपकी आंखों के सामने फलफूल रहा है।

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