देश में सूखे की मार, गम्भीर हुए केन्द्र और राज्य

10 May 2016
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शनिवार को सर्वाधिक प्रभावित राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। उन्होंने न सिर्फ तत्काल मदद की घोषणा की बल्कि आगे भी परेशानी से निपटने में सहायता देने की बात कही। प्रधानमंत्री सूखे से प्रभावित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर वहाँ की स्थिति का आकलन करने वाले हैं। इन बैठकों में प्रधानमंत्री ने कहा कि सूखे के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं का निवारण करने के लिये केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा।

उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड इलाका, महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र और देश का एक बड़ा हिस्सा इन दिनों सूखे और पानी की कमी से गम्भीर रूप से जूझ रहा है। महाराष्ट्र के लातूर की स्थिति तो इतनी खराब है कि वहाँ ट्रेन से पानी के टैंकर भेजने पड़ रहे हैं।

बुन्देलखण्ड में भी केन्द्र सरकार ने ऐसे ही टैंकर भेजे पर इस पर वहाँ राजनीति शुरू हो गई। फिर भी केन्द्र और राज्य सरकारें इस समस्या से निजात पाने और लोगों को राहत पहुँचाने के लिये सक्रिय हो गई हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस विपदा काल में काफी सक्रिय हैं।

इसका साफ पता इसी से चलता है कि उन्होंने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए शनिवार को सर्वाधिक प्रभावित राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। उन्होंने न सिर्फ तत्काल मदद की घोषणा की बल्कि आगे भी परेशानी से निपटने में सहायता देने की बात कही। प्रधानमंत्री सूखे से प्रभावित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर वहाँ की स्थिति का आकलन करने वाले हैं।

इन बैठकों में प्रधानमंत्री ने कहा कि सूखे के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं का निवारण करने के लिये केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। बचाव के लिये मध्य और दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने जल संरक्षण और जलाशयों को दोबारा भरने की योजना बनाने के लिये रिमोट सेंसिंग और उपग्रह से चित्र लेने जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने पर बल दिया।

इन बैठकों में वैज्ञानिक परामर्श के आधार पर फसल की पद्धतियों में बदलाव की आवश्यकता, बूँद और छिड़काव सिंचाई (ड्रिप एंड स्प्रिंकलर इरिगेशन) और जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिये फर्टिगेशन और बेहतर जल प्रबन्धन के लिये विशेषकर महिलाओं सहित समुदाय की भागीदारी पर जोर दिया गया।

प्रधानमंत्री ने शहरी अपशिष्ट जल को उपचारित करके आसपास के इलाकों में खेतीबाड़ी में उसका उपयोग करने का भी आह्वान किया। महाराष्ट्र की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी द्वारा अपनाई गई जल प्रबन्धन प्रणालियों और उपायों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूखे के हालात के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं के निवारण के लिये किये गए प्रयासों की प्रधानमंत्री को जानकारी दी। इनमें पेयजल का प्रावधान, बुन्देलखण्ड में जरूरतमन्दों के लिये भोजन, रोजगार, मवेशियों के लिये जल और चारा तथा दीर्घ और मध्य कालिक समाधानों के लिये प्रयास शामिल हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जल संरक्षण और भण्डारण के लिये जल युक्त शिविर अभियान की प्रगति से भी प्रधानमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राज्य ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिये 51,500 कृषि जलाशयों का एक लक्ष्य निर्धारित किया है जिसके प्रति किसानों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए इसमें आगामी विस्तार भी किया जा सकता है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भीषण सूखे की वजह से लोगों के सामने आने वाली समस्याओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य की बड़ी नदियाँ और जलाशय पानी की भीषण कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने गाद हटाने, कृषि तालाबों का निर्माण करने, टपक सिंचाई एवं पीने के पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने समेत राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का विवरण दिया।

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