ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी स्वच्छ पेयजल की दरकार

9 Dec 2019
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ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी स्वच्छ पेयजल की दरकार
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी स्वच्छ पेयजल की दरकार

स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पेयजल बेहद जरूरी है। आज इंसानों में होने वाली ज्यादातर बीमारियों की वजह दूषित जल बनता है। भारत के ग्रामीण इलाकों की बहुतायत आबादी अभी भी स्वच्छ पेयजल के लिए मोहताज है। अलग-अलग जगहों के पानी में पाए जाने वाले प्रदूषक विभिन्न बीमारियों को जन्म देते हैं। जल शक्ति मंत्रलय की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में अभी भी 55,511 ग्रामीण बस्तियां के पेयजल में आयरन, आर्सेनिक आदि संदूषक बहुत मात्र में मौजूद हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की कुल ग्रामीण बस्तियों में से 55,511 ग्रामीण बस्तियों के लोग खराब गुणवत्ता का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। संसद में जल शक्ति मंत्रलय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 27 नवंबर, 2019 तक स्थिति यह है कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 3.22 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों और ग्रामीण आबादी के कुल 3.73 प्रतिशत लोग कम गुणवत्ता के पानी का प्रयोग कर रहे हैं।रिपोर्ट में बताया गया है कि आयरन पानी में पाया जाने वाला प्रमुख संदूषक है, जिससे 18,000 से अधिक ग्रामीण बस्तियां प्रभावित हैं। इसके बाद खारापन (लवणता) है, जिससे लगभग 13,000 ग्रामीण बस्तियां के लोग प्रभावित हैं। वहीं, आर्सेनिक (12,000 बस्तियां), फ्लोराइड (लगभग 8000 बस्तियां) और अन्य भारी धातुओं से भी कई ग्रामीण बस्तियों के लोग प्रभावित हैं।

राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित : रिपोर्ट में राज्यों के हिसाब से आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि राजस्थान में सबसे ज्यादा ग्रामीण बस्तियां इससे प्रभावित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 16,833 बस्तियों के लोग खराब पानी पीने को मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश (12,182) बस्तियां खारे पानी से प्रभावित हैं।बंगाल और असम में भी असर : रिपोर्ट के मुताबिक, आर्सेनिक और लौह प्रदूषक के मामले में बंगाल और असम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भारत में कुल 30,000 ग्रामीण बस्तियां आर्सेनिक और लौह प्रदूषण से प्रभावित हैं, जिसमें से 20,000 बस्तियां केवल असम और बंगाल में हैं। बंगाल में आर्सेनिक से प्रभावित बस्तियां (6,207) सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद असम (4,125), बिहार (804), पंजाब (651) और उत्तर प्रदेश (650) हैं। लौह प्रदूषक से असम में सबसे ज्यादा बस्तियां (5,113) हैं। इसके बाद बंगाल (5,082), त्रिपुरा (2,377), बिहार (2,299) और ओडिशा (2,377) का नंबर आता है।ये राज्य बेहतर : रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे राज्य जहां पर पेयजल किसी भी प्रकार के प्रदूषक से प्रभावित नहीं हैं, उनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु शामिल हैं।

भारत में पेयजल की समस्या से ग्रसित बस्तियां (कुल 55,511)

आयरन

18,406

खारापन13,255
आर्सेनिक12,457
फ्लोराइड7,873
भारी धातुएं2,115
नाइट्रेट1,405

 

आर्सेनिक से ग्रसित बस्तियां

बंगाल6,207
असम4,125
बिहार804
पंजाब651
उत्तर प्रदेश650

 

लौह प्रदूषकों से ग्रसित बस्तियां

असम5,113
बंगाल5,082
त्रिपुरा2,377
बिहार2,299
ओडिशा2,100

 

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