हर साल गहरे जख्म दे रही हैं आपदाएँ

30 Aug 2018
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बादल फटने से संकट में टिहरी
बादल फटने से संकट में टिहरी
बादल फटने से संकट में टिहरी (फोटो साभार - स्टेट एजेंडा)नई टिहरी- जिले में हर साल बादल फटने और भारी बारिश से हो रहे भूस्खलन में दर्जनों लोग अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं। आपदा के कहर से बचने के लिये लोगों के पास सुरक्षित स्थान पर बसने के सिवा कोई चारा नहीं है। राज्य के गठन के बाद जिले में बादल फटने और भूस्खलन की बड़ी घटनाओं में अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है।

आपदा ने भिलंगना ब्लॉक को सबसे अधिक जख्म दिये हैं। बारिश के मौसम में वहाँ के लोगों को हर वर्ष भारी जानमाल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगस्त 2002 में मरवाड़ी, अगुंडा, मेड व कोट गाँव में आपदा के कहर से 28 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2010 में जौनपुर ब्लॉक थत्यूड़ के पास मोलधार में बादल फटने से एक ही परिवार के चार लोग जिन्दा दफन हो गए थे। सितम्बर 2011 की बारिश नरेन्द्रनगर ब्लॉक के डौर गाँव के लिये काल बनकर आई । वहाँ गाँव के ऊपर हुए भूस्खलन से छह लोग मलबे में दब गए थे। जून 2013 में हुई भारी बारिश के कारण जौनपुर के परोड़ी गाँव में 19 मकान ध्वस्त हो गए थे।

31 जुलाई, 2014 को घनसाली नौताड़ में बादल फटने से 12 मकानों के ढहने से पाँच लोग दब गए थे। 25 मई, 2016 को गजा तहसील के पाली गाँव में एक कच्चा मकान टूटने से परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई थी। 17 जुलाई को नरेन्द्रनगर के समीप पहाड़ी से हाईवे पर भूस्खलन होने से कार सवार तीन युवकों की मौत हो गई थी। 23 जुलाई, 2016 को भिलंगना ब्लॉक के पूर्वाल गाँव में एक घर की दीवार क्षतिग्रस्त होने से परिवार के तीन सदस्य दब गए थे। 24 जुलाई, 2017 की थौलधार ब्लॉक के बैलगाँव में मकान टूटने से एक बालिक की मौत हो गई थी और परिवार के पाँच सदस्य घाटल हो गए थे।

तीन घरों के बुझे चिराग

जिस घर में कभी नन्हीं परियों की आवाज गूँजती थी, वहाँ अब मलबे के ढेर हैं कोट गाँव में बुधवार सुबह उमा सिंह के घर का मंजर देखकर हर किसी की आँख नम हो गई। भूस्खलन में उमा सिंह के तीन बेटों का हँसता-खेलता परिवार मलबे में दफन हो गया। बुधवार सुबह करीब 4.30 बजे भूस्खलन से कोट गाँव में उमा सिंह के पूर्वजों की निशानी मटियामेट हो गई। घर उजड़कर कर जमींदोज हो गया। घर के चारों तरफ मलबा-ही-मलबा है। सुबह छह बजे घटना का पता चला।

तीन परिवार किये शिफ्ट

भिलंगना ब्लॉक के कोट गाँव में भूस्खलन की चपेट में आने से जमींदोज हुए मकान में सात लोगों की मौत पर जनप्रतिनिधियों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दुख की घड़ी में मदद को आगे आने की अपील की। यहीं खतरे की जद में आये तीन परिवारों को पंचायत भवन और निरंकारी भवन में शिफ्ट किया गया। घनसाली विधायक शक्तिलाल शाह ने देर शाम गाँव में पहुँचकर घटना पर दुख व्यक्त किया। पूर्व पीसीसी किशोर उपाध्याय ने सरकार से पीड़ित परिजनों को दस-दस लाख आर्थिक सहायता गाँव का पुनर्वास समस्याओं के निराकरण की माँग की।

कुमजुग गाँव में दो मकान दबे

मंगलवार रात को हुई भारी बारिश से घाट क्षेत्र के कुमजुग गाँव में ग्रामीणों में अफरातफरी मची रही। 60 परिवार यहाँ रतजगा करते रहे। बारिश से यहाँ दो मकान मलबे से दब गए जबकि चुफलागाड नदी के तेज बहाव में एक मकान और खेत-खलियान भी बह गए हैं। अनहोनी की आशंका पर ग्रामीण पहले ही गाँव के अन्य परिवारों के यहाँ शरण लिये हुए थे। जिला प्रशासन ने गाड-गदेरों के पास रह रहे ग्रामीणों को भारी बारिश होने पर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की अपील की। कुमजुग गाँव में मकान अति संवेदनशील बने हुए हैं। इस खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने बरसात से पहले ही पास ही सुरक्षित स्थानों पर शरण ली हुई है लेकिन घर का सामान यहीं था। मंगलवार को देर शाम भारी बारिश शुरू हुई जो बुधवार सुबह आठ बजे थमीं। किसी अनहोनी की आशंका पर ग्रामीण ने रतजगा किया। रात को मूसलाधार बारिश से कुमजुग गाँव में मोहन सिंह और बल्खू दास के मकान मलबे में दब गए जबकि गाँव को जाने वाला पैदल रास्ता भी कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया। उधर उत्तरकाशी के सिलकुरा गाँव में भी दो मकान ध्वस्त हुए हैं।

टिहरी के 58 गाँवों को है सुरक्षित ठौर का इन्तजार

आपदा और भूस्खलन से प्रभावित टिहरी जिले के 58 गाँवों के लोगों को वर्षों से सुरक्षित ठौर-ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। आपदा प्रभावित 4969 परिवार वर्षों से पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं, लेकिन प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के मामले में प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ भूगर्भीय सर्वे तक ही सिमट कर रह गई है। ऐसे में लोग आपदा के साये में जीने को मजबूर हैं।

टिहरी जिले में आपदा और भूस्खलन की दृष्टि से भिलंगना ब्लॉक सबसे अधिक संवेदनशील है। ब्लॉक के 29 गाँव वर्षों से आपदा की मार झेलते आ रहे हैं। गाँवों में आपदा के दौरान होने वाली घटनाओं के बाद शासन-प्रशासन पुनर्वास करने का आश्वासन देते आये हैं, लेकिन कुछ ही माह बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाता है। प्रभावित गाँवों के लोग वर्षों से सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास की माँग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती है।

उत्तरकाशी में वरुणावत से गिरा बोल्डर

वरुणावत पर्वत से बुधवार देर शाम इंदिरा कालोनी वाले हिस्से में भारी बोल्डर गिरने से अफरातफरी मच गई। बोल्डर बस्ती से होते हुए गंगोत्री हाईवे तक पहुँचा, जिससे यहाँ तीन लोग घायल हो गए। मौके पर पहुँचे पुलिस प्रशासन ने भूस्खलन के खतरे की जद में आई बस्ती को खाली करा दिया है। इसके साथ ही गंगोत्री हाईवे पर तांबाखानी सुरंग के पास यातायात भी रोक दिया गया है। मौके पर पहुँचे गंगोत्री विधायक गोपाल रावत ने हालात का जायजा लिया और बस्ती से हटाए जा रहे लोगों के लिये सुरक्षित स्थान पर ठहरने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। बुधवार शाम करीब पौने सात बजे वरुणावत पर्वत से इंदिरा कॉलोनी के तांबाखानी वाले छोर पर भूस्खलन सक्रिय हो गया।

पहाड़ी से गिरे भारी बोल्डर बस्ती को लाँघते हुए गंगोत्री हाईवे तक पहुँचने से यहाँ भगदड़ मच गई। बोल्डर की चपेट में आने से राजेश कुमार, सचिन पश्चिमी एवं करण घायल हुए, जबकि कुछ निर्माण भी क्षतिग्रस्त हुए। घायलों को तत्काल उपचार के लिये जिला अस्पताल पहुँचाया गया। प्रत्यक्षदर्शी राहुल ने बताया कि पहाड़ी से पहले बोेल्डर के गिरने से हुई आवाज घबराकर गंगोत्री हाईवे से लगी दुकानों से लोग जैसे ही बाहर निकले, तब तक दूसरा बोल्डर भी आ गिरा। जिससे उक्त तीनों लोग घायल हो गए।


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