इटारसी में उपेक्षित तालाब की गंदगी हटाने, जुड़े सैकडों हाथ

27 Sep 2009
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इटारसी. एसडीएम सत्येंद्र अग्रवाल की पहल पर नपा के सहयोग से पिछले 25 वर्षों से उपेक्षित इटारसी का एकमात्र तालाब का आज जनभागीदारी से श्रमदान कर सफाई अभियान प्रारंभ हुआ.भोपाल के ‘अपना सरोवर अपनी धरोहर अभियान बडा ताल संरक्षण’ की तर्ज पर ही आज शहरवासी श्रमदान करने तालाब पर एकत्र हुए.

इटारसी का एकमात्र तालाब जो कि अपनी उपेक्षा की कहानी स्वयं बयां करता है. करीबन 20-25 वर्ष पहले यही तालाब शहरवासियों की आस्था का केंद्र हुआ करता था. धार्मिक गतिविधियों का केंद्र यह तालाब किसी भी धार्मिक उत्सव पर सजाया जाता था. नवरात्रि में इस जगह देवी और ज्वारे विसर्जन, गणेश उत्सव में गणेश विसर्जन, सावन में भुजरिया तो मोहर्रम में ताजिये का विसर्जन होता था.धीरे धीरे इस तालाब का पानी सूखने लगा तो आसपास के बाजार क्षेत्र के लिए यह गंदगी और कूडा करकट एकत्र के लिए एक जगह बन गया. इसी के चलते लोगों की धार्मिक भावना आहत हुई और किसी भी त्योहार पर विसर्जन का कार्यक्रम इसमें बंद किया गया. इस तरह से उपेक्षित तालाब से नगर प्रशासन ने भी अपना ध्यान हटा लिया. विजय दुबे काकू भाई के नपा अध्यक्ष बनने पर उन्होंने सफाई अभियान चलाया जो करीबन 3 से 4 माह तक चला. इस अभियान में जेसीबी मशीन द्वारा सफाई की गई. इस तालाब के लिए यह सबसे खराब प्रयोग रहा, क्योंकि जहां इस सफाई से तालाब के प्राकृतिक जल स्रोत बंद हुए वहीं पर मिटटी में कमल की जड़े इस तालाब से हट गई.

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जल अभिषेक अभियान की शुरूआत में नगर प्रशासन ने एक बार फिर तालाब की सफाई का बीडा उठाया है.

इटारसी नपा सीएमओ जेजे जोशी ने बताया कि पानी बचाओ अभियान के तहत हम जन भागीदारी से तालाब की सफाई कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि जनभागीदारी से तालाब की गंदगी, मिटटी हटाकर और गहरा कर दिया जाये जिससे वर्षा जल पहले से अधिक मात्रा में जमा हो सके. इस अभियान में हमने शहर के सभी सस्थाओं और जनप्रतिनिधियों के अलावा जनता से सहयोग की अपील की है. जब तक सफाई पूरी नहीं होती यह अभियान चलेगा.

तालाब की सफाई में हिस्से ले रहे एसडीएम सत्येंद्र अग्रवाल ने कहा कि लगातार गिरते जल स्तर से निपटने के लिए यह कदम जरूरी है. इस कार्य के लिए हमने जनभागीदारी से सिर्फ श्रम का दान चाहते हैं. यह शहर जितना मेरा उससे ज्यादा शहरवासियों का है. इसका बहुत अच्छा परिणाम सामने आया है. आज सब्जीमंडी के लोग, हम्माल और अन्य वर्गो के लोग सामने आ कर श्रमदान करना चाह रहे हैं. रही लोगों के सहयोग न देने की बात का तो ये यह हर व्यक्ति के सोचने की बात है कि वो अपना शहर किस तरह से रखना चाह रहा है. काम छोटा या बड़ा नहीं होता हमने लोगों से अपील की है. उनका आना या न आना उनकी मर्जी है.
 
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