जलवायु परितर्वन से शार्क और ट्यूना मछलियों का जीवन खतरे में

9 Dec 2019
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जलवायु परितर्वन से शार्क और ट्यूना मछलियों का जीवन खतरे में
जलवायु परितर्वन से शार्क और ट्यूना मछलियों का जीवन खतरे में

ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन का प्रभाव महासागरों पर भी पड़ने लगा है। महासागर गर्म हो रहे हैं। इससे समुद्री जल में ऑक्सीजन की कमी हो रही है और जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है। रिपोट के मुताबिक महासागरों में ऑक्सीजन की कमी का सबसे ज्यादा असर शार्क, ट्यूना और मार्लिन जैसी मछलियों पर पड़ेगा। साथ ही 2050 तक पर्यटन व्यवसाय तबाह होने से सैंकड़ों अरबों डाॅलर का नुकसान हो सकता है। इसका असर पृथ्वी के अन्य पारिस्थितिक तंत्र के साथ साथ मानव जीवन पर भी पड़ेगा।

स्पेन के मद्रिद में चल रहे यूएन क्लाइमेट चेंज काॅन्फ्रेंस (काॅप 25) में जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि 1960 के दशक में महासागरों में कम ऑक्सीजन वाले स्थानों की संख्या 45 थी, जो वर्तमान में बढ़कर लगभग 700 हो गई है। महासागर मानवजनित प्रदूषण से भरे पड़े हैं। ऐसे में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के कारण महासागरों की गहराई के साथ साथ सतह पर भी ऑक्सीजन की कमी होने लगी है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को ऑक्सीजन की कमी का मुख्य कारण बताया गया है। 

दरअसल प्रदूषण के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होते हैं। तटीय इलाकों के पानी में उर्वरक, मल, पशु और जलीय कृषि अपशिष्ट शैवाल की मात्रा अधिक बढ़ने से पानी में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। इससे अधिकांश मछलियों सहित विभिन्न समुद्री प्रजातियों पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि माइक्रोब्स और जेलिफ़िश जैसी कम ऑक्सीजन का उपयोग करने वाली प्रजातियां प्रदूषित हवा को साफ कर रही है, जिससे इनका जीवन बच सकता है। लेकिन शार्क, ट्यूना और मार्लिन जैसी प्रजातियों की मछलियों का आकार बड़ा होता है। इन्हें भोजन के साथ साथ अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन ऑक्सीजन कम होने के कारण इनका जीवन सबसे ज्यादा संकट में पड़ सकता है। साथ ही महासागरों में ऑक्सीजन का लेवल कम होने से पृथ्वी पर भी ऑक्सीजन के लेवल में 3 से 4 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। जिससे मानव जीवन भी प्रभावित होगा। हालाकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने से नुकसान कम होगा, लेकिन इसके लिए खुद को समुद्र के परिवर्तनों के अनुकूल ढालने की आवश्यकता होगी।

 

स्त्रोत साभार - डाउन टू अर्थ

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