जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ सकता है कुपोषण

21 Nov 2019
0 mins read
जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ सकता है कुपोषण
जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ सकता है कुपोषण

आमतौर पर कुपोषण का अर्थ लंबे समय तक शरीर में पोषक तत्वों की कमी का होना माना जाता है, जिससे बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चों को आसानी से बीमारी लग जाती है। लेकिन समय के साथ कुपोषण के मायने बदल गए हैं और अधिक तथा कम वजन होना भी कुपोषण का ही एक रूप माना जाने लगा है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अुनसार दुनिया भर में करीब 70 करोड़ बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं, जिस कारण वे मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक प्रकार से विकसित नहीं हो पाते। हालाकि वैश्विक स्तर पर कुपोषित बच्चों की संख्या में पहले की अपेक्षा कमी आई है, लेकिन हाल ही में जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर छपी ‘‘लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट 2019’’ में जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में कुपोषण की स्थिति और गंभीर होने का अंदेशा जताया गया है।

यूनिसेफ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ‘‘द स्टेट ऑफ वर्ल्डस चिल्ड्रन 2019’’ के मुताबिक विश्वभर में हर पांच में से तीसरे बच्चे को कुपोषण है, यानी 70 करोड़ बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में वर्ष 2018 में 14.9 करोड़ ऐसे अविकसित बच्चे पाए गए, जिनकी आयु पांच वर्ष से कम है। तो वहीं पांच करोड़ बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर थे। उधर, एशिया में पांच वर्ष से कम आयु के करीब 34 करोड़ बच्चों में विटामिन और खनिज पदार्थों की कमी पाई गई, जबकि करीब चार करोड़ बच्चे आयु से अधिक वजन या मोटापे से परेशान थे। आंकड़ों को आधार मानकर स्पष्ट तौर कहें तो 6 से 26 माह की उम्र वाले करीब 44 प्रतिशत बच्चों को भोजन में सब्जियां और फल नहीं मिलते, जबकि 59 प्रतिशत बच्चों को दूध, दही, अंडे, मछली और मांस आदि नहीं मिल पा रहा है। भारत के संदर्भ में यदि कुपोषण की बात की जाए, तो यहां स्थिति काफी भयावह है। भारत के सभी राज्यों में कुपोषण की स्थिति पर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रेशन द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। 

कुपोषण से बचने या कम करने के लिए बच्चों को पोषाहार दिया जाता है। इस दौरान बच्चे की नियमित रूप से देखभाल भी की जाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश और बर्फबारी, तापमान में वृद्धि तथा भूमि का मरुस्थल में तब्दील होना आदि प्रकार की घटनाए घटित हो रही हैं। इसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है और उपज कम हो रही है। तो वहीं भूमि की उर्वरता क्षमता कम होने तथा अधिक कीटनाशकों का उपयोग करने से अनाज में पहले की अपेक्षा पोषक तत्वों की काफी कमी हो गई है। 13 नवंबर 2019 को जारी की गई ‘लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट 2019’’ में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी साइंसेज में छपे एक शोध के हवाले से बताया गया कि वर्ष 1960 के बाद भारत में चावल के औसत उत्पादन में करीब दो प्रतिशत की कमी आई है, जबकि सोयाबीन और सर्दियों में उगने वाले गेहूं की उपज एक फीसदी तक घट गई है। 

शोध में बताया गया कि यदि जलवायु परिवर्तन में सुधार नहीं आया और वैश्विक तापमान बढता गया, तो वैश्विक स्तर प्रत्येक डिग्री सेल्सिय तापमान बढ़ने से गेहूं की उपज 6 फीसद, चावल 3.2 प्रतिशत, मक्का 7.4 और सोयाबीन की उपज में 3.1 प्रतिशत तक की कमी आ जाएगी। मांसाहार की बात करें तो विश्वभर के करीब 520 करोड़ लोगों को पशु प्रोटीन का लगभग पांचवा हिस्सा मछली पूरा करती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र गर्म हो रहे हैं। करीब 35 अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वार किए गए एक शोध में बताया कि समुद्र के गर्म होने से जलीय जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। इससे जलीय जीवों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इन सभी समस्याओं के बावजूद वैश्विक आबादी तेजी से बढ़ रही है, जिस कारण भविष्य में भोजन की जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती रहेगा और कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा होगा। यदि एक हद तक बढ़ती आबादी को रोकने में सफलता हासिल भी हो जाती है तो भी जुलवायु परिवर्तन को रोकना बेहद जरूरी है, जिसके लिए सबसे पहले हम इंसानो को अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होगा। वरना, जलवायु परिवर्तन का सबसे पहला और सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा। जिस कारण न पृथ्वी का वर्तमान सुरिक्षत रहेगा और न भविष्य।

TAGS

climate change, climate change in india, reason of climate change, climate change hindi, global warming, global warming in hindi, reason of global warming, climate change and malnutrition, climate change increase malnutrition, reason of malnutrition, what is malnutrition, the state of worlds childern report 2019, UNICEF report, lancet countdown report 2019, lancet countdown report, desertification, desertification india, malnutrition india, public health foundation of india, ICMR, national institute of nutrition.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading