झील संरक्षण पर परिचर्चा का आयोजन संपन्न

27 Sep 2009
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वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने नये मास्टर प्लान को बड़े तालाब के लिए मृत्युदण्ड की तरह बताते हुए प्रस्तावों को खारिज करने का सुझाव दिया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामभुवन सिंह कुशवाह ने बड़े तालाब का बेहतर उपयोग करने, कृत्रिम बीच बनाने का सुझाव दिया।बड़ी झील के संरक्षण के लिए शनिवार को यहां नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर की अध्यक्षता में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें नागरिकों ने बड़ी एवं छोटी झील के संरक्षण एवं उसकी सेहत को सुधारने के लिए अनेक उपयोगी सुझाव दिए। इनमें झीलों के आसपास से अवैध अतिक्रमण हटाने, निर्माण की अनुमति पूरी तरह प्रतिबंधित करने, केचमेन्ट एरिया और झील के जल स्त्रोतों के संवर्द्धन एवं उन्हें संरक्षित किए जाने, उसके आसपास के क्षेत्रों में सभी तरह के स्वचलित वाहनों के प्रवेश और व्यावसायिक गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने जैसे सुझाव दिए गए।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा आयोजित इस परिचर्चा में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, पत्रकार, तकनीशियन, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं औद्योगिक संगठनों से जुड़े हुए लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम की शुरूआत नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर के संक्षिप्त सम्बोधन से हुई। जिसमें उन्होंने नागरिकों से बड़ी एवं छोटी झील के संरक्षण के लिए रचनात्मक सुझाव देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बड़ी झील हमारी एतिहासिक धरोहर है। ऐसी खूबसूरत और बड़ी झील देश में कहीं और नहीं है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव राघव चन्द्रा ने परिचर्चा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और पिछले दिनों झील को गहरा करने के प्रयास, झील संरक्षण एवं विकास के लिए प्रस्तावित प्रारूप पर प्रकाश डाला। इस सम्बन्ध में एक प्रजेन्टेशन भी प्रस्तुत किया। श्री चन्द्रा ने बताया कि बड़ी झील के सुनियोजित विकास के लिए अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर विशेषज्ञ वास्तुशास्त्रियों की प्रतिस्पर्धा भी आयोजित करने का प्रस्ताव है। इनमें सबसे अच्छे तीन प्रोजेक्ट्स को पुरस्कृत किया जाएगा।

परिचर्चा में झील के आसपास के क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के सम्बन्ध में खट्टी-मीठी प्रतिक्रियाऐं सामने आई। कुछ ने झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की प्रशंसा की तो कुछ ने इस प्रस्ताव को निरर्थक बताया। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एम.एन.बुच ने कहा कि बड़ी झील पर कमला पार्क स्थित मिट्टी का बंघ 1100 वर्ष पुराना है और छोटी झील पर पुलपुख्ता बांध 18 वीं सदी का है। ये दोनों बघान पर यातायात का मौजूदा दबाव खतरनाक है। सुरक्षा की दृष्टि से इनके स्थान पर वैकल्पिक मार्ग बनाना आवश्यक है। साथ ही तालाबों के आसपास किसी भी हालात में किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति पर सख्ती से प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने नए मास्टर प्लान में बड़े तालाब के चारों और लो डेंसिंटी क्षेत्र घोषित करने को घातक बताया और वहां वनीकरण का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बड़ी झील का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं, जिनेवा स्थित झील भी इसके सामने कमतर है।

वरिष्ठ पत्रकार मदन जोशी बड़ी झील के संरक्षण के लिए समूह चर्चा आयोजित करने एवं मुख्यमंत्री निवास चौराहा से वन विहार तक के मार्ग पर सभी तरह के स्वचलित वाहन प्रवेश को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया। पूर्व पुलिस महानिदेशक स्वराज पुरी ने बड़ी झील के चारों और निर्माण रोकने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति प्रदर्शित करने का सुझाव दिया। वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया ने तालाब बचाने के लिए आसपास के अवैध अतिक्रमणों पर बुल्डोजर चलाने तथा खाली जमीन पर हरियाली विकसित करने तालाब का व्यावसायिक उपयोग न करने की सलाह दी। स्वयंसेवी संगठन सदप्रयास के मुखिया अब्दुल जब्बार ने तालाब में प्रदूषण, झील किनारों पर बन रहे मंदिर, मस्जिद, मकबरों का हटाने, केचमेन्ट एरिया में निर्माण पर स्थाई रोक लगाने जैसे सुझाव दिए और कहा कि तालाबों का संरक्षण बड़ी विरासत के समान किया जाये। पत्रकार शशिकान्त त्रिवेदी ने जल स्त्रोतों में पर्यटन गतिविधियों को गलत बताया। पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया ने बड़े एवं छोटे तालाब के साथ शहर के अन्य तालाबों के संरक्षण पर भी ध्यान देने और बड़े तालाब के केचमेन्ट एरिया में पडऩे वाले अन्य बरसाती नालों को भी केचमेन्ट एरिया के साथ जोडऩे का सुझाव दिया। श्री नारंग ने नए मास्टर प्लान के प्रस्तावों को बड़े तालाब के संरक्षण में बाधक बताते हुए उस पर पुनर्विचार की बात कही।

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के व्याख्याता विपिन व्यास ने बड़े तालाब को विश्व धरोहर की तरह संरक्षित करने, आसपास वाहन प्रवेश प्रतिबंधित करने की बात कही। पीएचडी चेम्बर आफ कामर्स के राजेन्द्र कोठारी ने बड़ी झील के आसपास निर्माण को दृढ़ता से रोकने एवं प्रदूषण रोकने का सुझाव दिया। वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने नये मास्टर प्लान को बड़े तालाब के लिए मृत्युदण्ड की तरह बताते हुए प्रस्तावों को खारिज करने का सुझाव दिया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामभुवन सिंह कुशवाह ने बड़े तालाब का बेहतर उपयोग करने, कृत्रिम बीच बनाने का सुझाव दिया।

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