कृषि विज्ञान केन्द्र : किसानों की प्रगति में सहायक


कृषि विज्ञान केन्द्र एक नवीनतम विज्ञान आधारित संस्था है जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिये जाते हैं जोकि किसानों को स्वावलम्बी बनने में सहायता प्रदान करता है। ये किसानों को स्वावलम्बी बनाने के साथ उनको ज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान भी प्रदान करता है। सन 1962-1972 तक शिक्षा मंत्रालय, योजना आयोग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि के प्रसार के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना का विचार किया था। अगस्त 1973 में एक समिति का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष डॉ. मोहन सिंह मेहता थे। उनकी अध्यक्षता में किसानों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान करने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना का निर्णय लिया गया। समिति ने 1974 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। पहला कृषि विज्ञान केन्द्र पायलट आधार पर तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन पुदुच्चेरी में 1974 में स्थापित किया गया था। क्षेत्र के अनुसार कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या तालिका-1 में दी गई है।

 

तालिका : 1 भारत में क्षेत्रानुसार कृषि विज्ञान केन्द्र की कुल संख्या

क्र.सं.

कृषि विज्ञान केन्द्र

कृषि विज्ञान केन्द्र की संख्‍या

(क)

क्षेत्र (Zone) 1

70

 

दिल्‍ली

1

 

हरियाणा

18

 

हिमाचल प्रदेश

12

 

जम्‍मू और कश्‍मीर

19

 

पंजाब

20

(ख)

क्षेत्र (Zone) 2

83

 

अंडमान और निकोबार

3

 

बिहार

38

 

झारखण्‍ड

24

 

पश्चिम बंगाल

18

(ग)

क्षेत्र (Zone) 3

78

 

असम

25

 

अरुणाचल प्रदेश

14

 

मणिपुर

9

 

मेघालय

5

 

मिजोरम

8

 

नागालैण्‍ड

9

 

सिक्किम

4

 

त्रिपुरा

4

(घ)

क्षेत्र (Zone) 4

81

 

उत्‍तर प्रदेश

68

 

उत्‍तराखण्‍ड

13

(ड़.)

क्षेत्र (Zone) 5

78

 

आंध्र प्रदेश

34

 

महाराष्ट्र

44

(च)

क्षेत्र (Zone) 6

70

 

राजस्‍थान

42

 

गुजरात

28

(छ)

क्षेत्र (Zone) 7

100

 

छत्‍तीसगढ़

20

 

मध्‍य प्रदेश

47

 

उड़ीसा

33

(ज)

क्षेत्र (Zone) 8

81

 

कर्नाटक

31

 

तमिलनाडु

30

 

केरल

14

 

गोवा

2

 

पुदुच्चेरी

3

 

लक्ष्‍यद्वीप

1

 

कुल संख्‍या

641

शोध छात्रा एवं सह प्राध्यापक प्रसार शिक्षा विभाग, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221 005.

 
कृषि विज्ञान केन्द्र की बुनियादी अवधारणायेंकृषि विज्ञान केन्द्र निम्‍नलिखित तीन बुनियादी अवधारणाओं पर कार्य करता है।

1. कृषि विज्ञान केन्द्र “कार्य अनुभव” के माध्यम से शिक्षा प्रदान करेगा और इस प्रकार तकनीकी शिक्षा से संबंधित होगा, जिसे प्राप्त करने हेतु साक्षर होना अनिवार्य नहीं है।

2. केन्द्र केवल विस्तार कर्मियों जोकि कार्यरत है, और अभ्यासरत किसानों और मछुआरों को प्रशिक्षित करेगा। दूसरे शब्दों में कार्यरत तथा स्वरोजगार की चाहत रखने वालों की जरूरतों को पूरा करेगा।3. कृषि विज्ञान केन्द्र के लिये कोई समान पाठ्यक्रम नहीं होगा। पाठ्यक्रम और कार्यक्रम, आवश्यकता के आधार पर तथा प्राकृतिक संसाधन की उपलब्धता के अनुसार होगा।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 18 कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की गई थी। सन 1984 में 44 और कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किये गये थे। 1 अप्रैल 1992 में आठवीं पंचवर्षीय योजना के तहत एक बैठक में ‘नेशनल डेमोन्सट्रेशन’ (48 जिलों में), ‘ऑपरेशनल अनुसंधान कार्यक्रम’, (152 केन्द्र) तथा ‘लैब टू लैड’ को कृषि विज्ञान केन्द्र में समाहित कर दिया गया था।

अगस्त 2005 में कृषि विज्ञान केन्द्र राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने 2007 तक प्रत्येक ग्रामीण जिलों में एक-एक कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना हो गई थी। वर्तमान में देश में कुल 642 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं जो किसानों के विकास हेतु कार्यरत हैं।

अधिदेश (Mandates)


मूल्यांकन, परिष्करण और निरूपण के माध्यम से प्रौद्योगिक उत्पादों का अंगीकरण ही कृषि विज्ञान केन्द्र का मूल्य अधिदेश है। इस अधिदेश को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिये तथा किसानों के उन्नयन एवं विकास हेतु निम्नलिखित गतिविधियाँ प्रत्येक कृषि विज्ञान के द्वारा संचालित की जाती है।

1. कृषि प्रौद्योगिकियों की स्थानीय विशिष्टता की पहचान करने के लिये विभिन्न खेती प्रणालियों के तरह खेत पर परीक्षण किया जाता है।

2. उत्पादन क्षमता प्रमाणन हेतु किसानों के खेतों पर अग्रवर्ती प्रदर्शन किया जाता है।

3. किसानों और प्रसार कर्मिकों को आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी में अपने ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है।

4. जिले की कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्र की पहल के समर्थन से कृषि प्रौद्योगिकी के ज्ञान केन्द्र के रूप में कार्य करता है।

5. प्रौद्योगिकी उत्पादों जैसे बीज, रोपण सामग्री, जैविक घटकों, नवजात और युवा पशुधन आदि को किसानों को उपलब्ध कराता है तथा उनका उत्पादन भी करवाता है।

6. कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के तेजी से वितरण और तकनीक के अंगीकरण के लिये जागरूकता पैदा करने हेतु प्रसार गतिविधियों का आयोजन करता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्देश्य


कृषि विज्ञान केन्द्र खेती किसानी तथा ग्रामीण विकास हेतु प्रतिपल कार्यरत है। इनके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

1. नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी के विकास एवं उसके त्वरित विस्तार और अंगीकरण के बीच के समय अंतराल को कम करने की दृष्टि से किसानों के साथ सरकारी विभागों जैसे कृषि/बागवानी/मत्स्य/पशु विज्ञान और गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं के समक्ष प्रदर्शन।

2. किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार प्रौद्योगिकियों का परीक्षण और सत्यापन तथा उत्पादन की कमी और प्रौद्योगिकियों के यथोचित संशोधन हेतु दृष्टिगत अध्ययन।

3. किसानों/खेत पर काम करने वाली महिलाओं, ग्रामीण युवकों और क्षेत्र स्तर पर कार्यरत प्रसारकों को “क्रियामूलक शिक्षण” और “क्रियामूलक ज्ञान” पद्धति से प्रशिक्षण प्रदान करना।

4. जिला स्तरीय विकास विभागों जैसे कृषि/बागवानी/मत्स्य/पशु विज्ञान और गैर सरकारी संगठनों और उनके प्रसार कार्यक्रमों को प्रशिक्षण कार्यों और संचार संसाधनों के साथ समर्थन देना।

कृषि विज्ञान केन्द्र, इस प्रकार कृषि शोध में खेत पर प्रशिक्षण, व्यावसायिक प्रशिक्षण और नवीनतम तकनीकों के हस्तान्तरण के साथ जिले में समग्र ग्रामीण विकास के लिये प्रतिबद्ध आधार स्तर पर कार्य करने वाली अग्रणी संस्थान है। कृषि विज्ञान केन्द्र की गतिविधियों में प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और हस्तान्तरण प्रमुख हैं। जोकि अनुसंधान संस्थानों और ग्रामीणों के बीच की खाई को पाटने में सहयोग करता है, यह संस्था नई विकसित प्रौद्योगिकी उत्पादों आदि को प्रदर्शन और किसानों, ग्रामीण युवाओं और प्रसार कर्मियों के बीच प्रशिक्षण के माध्यम से क्षेत्र स्तर पर अंगीकृत करने में सहायता प्रदान करती है।

वर्तमान में कृषि विज्ञान केन्द्र


वर्तमान स्थिति : वर्तमान में देश में 642 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत 55, गैर सरकारी संस्थानों के अंतर्गत 99, कृषि विश्वविद्यालयों के अधीन 435, व शेष अन्य संस्थानों के अधीन है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद 55 कृषि विज्ञान केन्द्रों के अतिरिक्त अन्य केन्द्रों के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। प्रशासनिक नियंत्रण की जिम्मेदारी संबंधित संस्थानों की होती है। कृषि विज्ञान केन्द्र जिलास्तर पर कृषि संबंधी विभागों के साथ मिलकर विभिन्न कृषि कार्यक्रमों व योजनाओं को लागू करने में तकनीकी समर्थन और सामयिक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रमुख स्रोत हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किसान मेला, किसान गोष्ठी, खेत दिवस आदि सम्पर्क कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र अग्रिम पंक्ति प्रसार के द्वारा किसानों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है।

वर्तमान परिवर्तन : कृषि मंत्रालय द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों के सशक्तिकरण के लिये 26 जुलाई, 2015 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 87 वें स्थापना दिवस पर महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं जो निम्नवत हैं-

1. 45 नये जिलों व 645 बड़े जिलों में अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की स्वीकृति दी गई है।

2. कृषि विज्ञान केन्द्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ (SMS) के पद को वैज्ञानिक के रूप में परिवर्तित करके कर्मचारियों को उपयुक्त सम्मान दिया गया है।

3. कार्यक्रम समन्वयक के पद को प्रधान (हेड) कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप में परिवर्तित करके जिलों की भूमिका में, कृषि विज्ञान केन्द्र की प्रमुख स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है।

4. कृषि विज्ञान केन्द्रों में वैज्ञानिकों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 की जायेगी। जिसमें मृदा व जल, एग्रीबिजनेस, पशुपालन, मत्स्य पालन, प्रसंस्करण विषयों के वैज्ञानिक एवं दो तकनीशियन के पद सृजित किये गये है। इस प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्र में पदों की संख्या 16 से बढ़कर 22 हो जायेगी।

5. 3 नये क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय (जोनल प्रोजेक्ट डायरेक्ट्रेट) जिनका परिवर्तित नाम कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संस्था (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन रिसर्च, इंस्टीट्यूट) होगा, जिसे सृजित कराकर उनकी संख्या को 8 से 11 किया गया है जिससे कृषि विज्ञान केन्द्रों की मॉनीटरिंग अच्छी हो। पटना, पुणे व गुवाहटी में नये संस्थान स्थापित किये जायेंगे।

6. कृषि विज्ञान केन्द्रों को अधिक किसान उपयोगी और आधुनिक बनाने के लिये मिट्टी एवं पानी की जाँच सुविधा, एकीकृत कृषि प्रणाली, आई.सी.टी. का उपयोग, उन्नत बीज उत्पादन एवं प्रसंस्करण, जल संचयन और सूक्ष्म सिंचाई तथा सौर ऊर्जा के उपयोग जैसी इकाइयाँ शामिल की जा रही हैं।

7. प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘लैब टू लैंड’ कार्यक्रम के तहत पानी, मिट्टी की उर्वरता, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिसके लिये नये कार्यक्रम शुरू किये गये हैं, इनमें फार्मर-फ़र्स्ट, आर्या, स्टूडेन्ट रेडी, मेरा गाँव मेरा गौरव हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र से किसानों को लाभ


किसान भाई-बहन कृषि विज्ञान केन्द्र से निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं-

1. प्रशिक्षण : कृषि विज्ञान केन्द्र किसान भाईयों, बहनों एवं ग्रामीण युवाओं के लिये एक वर्ष में 30-50 आवश्यकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। यह केन्द्र की सबसे महत्त्वपूर्ण क्रिया है। प्रशिक्षण खास कर उन लोगों के लिये आवश्यक है जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया है तथा बेरोजगार है। केन्द्र इन लोगों को स्वरोजगार देने के लिये मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी और मत्स्य पालन का प्रशिक्षण देता है और महिलाओं को सशक्त करने के लिये गृह विज्ञान से संबंधित प्रशिक्षण जैसे- सिलाई, बुनाई, अचार बनाना, पापड़ बनाना आदि दिया जाता है।

2. खेत पर परीक्षण : कृषि विज्ञान केन्द्र इसके माध्यम से किसानों की प्रमुख समस्या का उपचार करते हैं। कृषि वैज्ञानिक, किसानों को बताते हैं कि कौन सा बीज उत्कृष्ट है और कौन सी तकनीक सर्वश्रेष्ठ है, इसमें तुलनात्मकता को स्थान दिया जाता है। यहाँ किसानों की भागीदारी अध्ययन का एक रूप है।

3. अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन : इसके माध्यम से केन्द्र किसानों को नई तकनीक के बारे में बताते हैं जोकि उत्पादन की लागत को कम करने कीट व रोगों को नियंत्रित करने के लिये, पैदावार को बढ़ाने के लिये तथा महिलाओं के परिश्रम को कम करने के लिये, कृषि औजार तथा नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरण के उपयोग के बारे में बताया जाता है।

4. अन्‍य विस्‍तार गतिविधियाँ : कृषि विज्ञान केन्द्र अन्य विस्तार गतिविधियों जैसे किसान मेला, प्रक्षेत्र भ्रमण, किसान गोष्ठी, सेमिनार, कृषि प्रदर्शनी, साहित्य प्रकाशन, मोबाइल द्वारा वॉइस (Voice) मैसेज आदि द्वारा किसानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी प्रदान कर उनकी कार्यक्षमता तथा कौशल को बढ़ाता है

कृषि विज्ञान केन्द्र की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां


1. क्षमता विकास : कृषि विज्ञान केन्द्र ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कृषकों, कृषक महिलाओं तथा ग्रामीण युवक व युवतियों की क्षमता विकास करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केन्द्र ने प्रसार कार्यकर्ताओं की क्षमता विकास के लिये इन सर्विस प्रशिक्षण की सुविधा दी है जिसके माध्यम से प्रसार कार्यकर्ता विभिन्न तकनीकियों के बारे में जानते हैं तथा उनका प्रयोग करते हैं।

2. संपोषणीय विकास : कृषि तकनीकों को खेत पर परीक्षण कर उनकी उपयोगिता का पता लगाया जाता है जैसे मृदा संरक्षण तथा जल संरक्षण के लिये जैविक खाद तथा हरी खाद का प्रयोग करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से किसानों को दी जाती है।

3. आय बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण : कृषि विज्ञान केन्द्र कृषकों, महिलाओं तथा युवकों को आय बढ़ाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देते हैं जो उनको स्वालम्बी बनाता है तथा उनको सशक्त बनाता है और परिवार में निर्णयकर्ता के रूप में प्रदर्शित करता है।

4. व्यापारिक विकास : कृषि विज्ञान केन्द्र व्यापारिक फसलों जैसे- कपास, महरूम, जूट आदि के उत्पादन पर जोर दे रहे है। जिसके माध्यम से किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की मुख्य उपलब्धियाँ निम्न प्रकार हैं।

भारतीय कृषि पर कृषि विज्ञान केन्द्र का प्रभाव : कृषि विज्ञान केन्द्र ने भारतीय कृषि पर बहुत ही गहरा प्रभाव डाला है। इसकी आधुनिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों, प्रशिक्षण, प्रदर्शन और खेत पर परीक्षण ने भारत राष्ट्र को दलहनी फसलों तथा दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त करने में सहयोग किया है।

वर्ष 2012-13 में 25.21 मिलियन, हेक्टेयर से दलहन का कुल उत्पादन 19.78 मिलियन टन हुआ है। दुग्ध उत्पादन 2012-13 में 132.4 मिलियन टन था। वर्ष 2013-14 में यह उत्पादन 6 प्रतिशत बढ़कर 140 मिलियन टन हो गया है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के उत्तम प्रयासों तथा सहायताओं के द्वारा, भारतीय किसान ने फसल उत्पादन, फल एवं सब्जी उत्पादन, मछली उत्पादन में द्वितीय स्थान तथा अण्डा उत्पादन में तृतीय स्थान प्राप्त किया है। वर्ष 2012-13 में फसल उत्पादन 257.13 मिलियन टन था तथा वर्ष 2014-15 में 264.2 मिलियन टन हो गया है। फल तथा सब्जी उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2013-14 में फल व सब्जी का उत्पादन 209.2 मिलियन टन था। जिसमें फल 73.53 मिलियन टन एवं सब्जी 136.9 मिलियन टन है। उत्पादों के अनुसार भारत का विश्व में स्थान तथा कुल उत्पादन तालिका-2 में प्रस्तुत किया गया है।

निष्‍कर्ष


कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के लिये ज्ञान का केन्द्र है जिसमें किसान प्रशिक्षण खेत पर परीक्षण, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन तथा अन्य विस्तार गतिविधियों के माध्यम से कृषि के आधुनिक तकनीकियों की जानकारी प्राप्त करता है। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को परम्परागत खेती के साथ वैज्ञानिक खेती की जानकारी भी प्रदान करता है जिसका उपयोग करके किसान अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति से सुदृढ़ हो रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र क्षेत्रीय स्तर पर बहुत प्रभावशाली है ये किसानों को ऑन-कैम्पस तथा ऑफ-कैम्पस प्रशिक्षण देता है जो उनकी खेती से संबंधित क्षेत्रीय समस्या का समाधान करता है।

 

तालिका : 2 उत्‍पादों के अनुसार भारत का विश्‍व में स्‍थान तथा कुल उत्‍पादन

क्र.सं.

उत्‍पाद

भारत का विश्‍व में स्‍थान

कुल उत्‍पादन मिलियन टन में (वर्ष 2014-15 का आंकड़ा)

1

फसल उत्‍पादन

द्वितीय

264.20

2

दलहनी उत्‍पादन

प्रथम

19.78

3

दुग्‍ध उत्‍पादन

प्रथम

140.00

4

फल एवं सब्‍जी उत्‍पादन

द्वितीय

209.20

5

मछली उत्‍पादन

द्वितीय

64

6

अण्‍डा उत्‍पादन

तृतीय

250.00

स्रोत : द हिन्‍दू समाचार पत्र

 


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