खेत-तालाब योजना: किसानों को खेत तालाब बने वरदान

4 Sep 2008
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खेत-तालाब योजना, फोटो-राज एक्सप्रेस
खेत-तालाब योजना, फोटो-राज एक्सप्रेस

गुना/झांसी/ मध्य प्रदेश- बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति व सूखे के हालातों के चलते जल संवर्धन एवं जल संरक्षण के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, इन्दिरा आवास के लाभार्थियों के साथ बीपीएल के दायरे में रहने वाले लोगों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नरेगा में खेत-तालाब योजना लागू की गई है। इस योजना में खेत के एक हिस्से को ही तालाब का रूप देकर खेत में ही सिंचाई सुविधा बढ़ाने की योजना है।

गुना के लोग अपने खेत में अपना तालाब पाकर अब वे काफी राहत महसूस करते हैं। वर्षा के पानी से लबालब भरा तालाब उनके लिए किसी जमा पूंजी से कम नहीं है। पलेवा के साथ एक सिंचाई तो आसानी से उनकी फसल में हो ही जाती है, साथ ही खेत में लगे ट्यूबवैल और कुएं का जल स्तर भी ऊपर आया है। यह सुखद अनुभव प्राप्त किया गुना जिले के उन कृषकों ने, जिन्होंने शासन की खेत-तालाब योजना का लाभ लेकर अपना खेत-तालाब बनाया है। किसानों के हित में और जलाभिषेक अभियान के महायज्ञ में खेत तालाब भू-जल संवर्धन को भी बढावा दे रहे हैं। जिन किसानों ने खेत-तालाब योजना को अपनाया है, उन्हें देखकर जिले के अन्य किसान भी खेत तालाब के लिए प्रेरित हुए हैं।

विकासखंड आरोन के ग्राम खामखेडा निवासी हरवीर सिंह रघुवंशी बताते हैं कि गत वर्ष उन्होंने अपने खेत में खेत-तालाब बनाया था, जिसमें पहली बारिश के पानी ने जलाभिषेक किया। तालाब में भरपूर पानी संग्रहित होने से उन्होंने चने और गेंहू की फसल के पलेवा के साथ-साथ एक सिंचाई भी ली, जिससे फसलों को काफी लाभ हुआ। खेत तालाब में संग्रहित हुए जल ने भू-जल स्तर को बढाया, जिससे परिणाम स्वरूप ट्यूबवैल में वर्ष भर पर्याप्त पानी बना रहा। इसी प्रकार ग्राम बूढाखेडा की ऊषाबाई, गुरैया की मनोरमाबाई और आरोन की पिस्ताबाई ने भी खेत-तालाब के सुखद अनुभव प्राप्त किए। इन महिला कृषकों ने शासन की खेत-तालाब योजना को किसानों के लिए वरदान निरूपित किया। उनका मानना था कि यदि यह योजना बहुत पहले आई होती तो शायद किसानों को फसल के लिए जल संकट का सामना नहीं करना पडता।मत्स्य पालन में सहयोगी बने खेत तालाब जिले के विकासखंड बमोरी के ग्राम बेरखेडी में कृषक चेनसिंह ने और शेखपुर के कृषक माधौसिंह ने तो खेत-तालाब योजना का दोहरा लाभ प्राप्त किया है। इन दोनों जागरूक किसानों ने अपने खेत-तालाब में संग्रहित वर्षा के जल में मत्स्यपालन को भी अपनाया। उनका कहना था कि खेत तालाब फसलों को सिंचाई के लिए पानी तो उपलब्ध कराते ही है, यदि उनके कुछ जल को संरक्षित रखा जाए तो मत्स्य पालन भी किया जा सकता है।

ग्वालियर में जल संवर्धन एवं जल संरक्षण के तहत ग्वालियर संभाग में खेत-तालाब योजना के तहत अभी तक 1059 खेत-तालाब बनाये गये हैं। जिन पर एक करोड़ 20 लाख 98 हजार रूपये व्यय किये गये हैं। कृषि जलवायु क्षेत्रीय परियोजना के आंचलिक प्रबंधक ने एक जानकारी में बताया कि खेत-तालाब योजना के तहत ग्वालियर संभाग में एक हजार 462 तालाब बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसकी तुलना में 2 हजार 271 कृषकों के खेत-तालाब के प्रकरण तैयार किये गये हैं। इनमें से एक हजार 645 प्रकरणों में खेत-तालाब बनाने की स्वीकृति दी गई है। स्वीकृत एक हजार 645 खेत-तालाबों में से अभी एक हजार 59 खेत-तालाब बनाये गये हैं। सर्वाधिक 521 खेत-तालाब अशोक नगर जिले में बनाये गये हैं, इन पर 37.78 लाख रूपये व्यय किये गये हैं। गुना जिले में 291 तालाब बनाये गये हैं, इन पर 43.74 लाख रूपये व्यय किये गये हैं। ग्वालियर में 111 खेत-तालाब बनाये गये हैं, इन पर 16.52 लाख रूपये व्यय किये गये हैं। शिवपुरी जिले में 88 तालाब बनाये गये हैं, इन पर 14.24 लाख रूपये व्यय किये गये हैं। दतिया जिले में 48 खेत-तालाब बनाये गये हैं, इन पर 8.7 लाख रूपये व्यय किये गये हैं। ग्वालियर जिले में 16, शिवपुरी जिले में 12, गुना जिले में 19, अशोक नगर जिले में 49 और दतिया जिले में 18 खेत-तालाबों का निर्माण कार्य प्रगति पर है ।

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