खेती किसानी के लिए बजट 2020

3 Feb 2020
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खेती किसानी के लिए बजट 2020
खेती किसानी के लिए बजट 2020

अरविंद सिंह, हिन्दुस्तान, 2 फरवरी 2020

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 16 सूत्रीय कार्ययोजना पेश की। इसमें सबसे अहम ‘किसान रेल’ और ‘कृषि उड़ान’ योजना है। इसके तहत जल्द खराब होने वाले फल-सब्जियों और अन्य खाद्य उत्पादों को रेलगाड़ियों और विमानों के जरिए देश के कोने-कोने तक पहुँचाया जाएगा। सरकार ने कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए बजट आवंटन में 18 प्रतिशत की वृद्धि की है और यह 2.83 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

बजट में किसानों की 15 लाख करोड़ रुपए का संस्थागत कर्ज देने का लक्ष्य रखा गया है। पीएम किसान योजना के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ा जाएगा। वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने कहा कि अन्नदातों को ऊर्जादाता भी बनाएंगे। इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के तहत खेतों में सोलर यूनिट लगाकर उन्हें बिजली की ग्रिड से जोड़ा जाएगा ताकि बिजली पैदा करके ये किसान लाभ कमा सकें। इस योजना से 2022 तक 25,750 मेगावाट सौर ऊर्जा बनाने की योजना है।

सरकार ने कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए ‘किसान रेल’ चलाने की घोषणा की है। इसके तहत वातानुकूलित किसान मालगाड़ियां चलाई जाएंगी। सरकार और निजी भागीदारी के तहत उन्हें चलाया जाएगा। इसके अलावा फल,सब्जी, डेयरी उत्पाद, मछली, मांस आदि की लम्बी दूरी की ढुलाई के लिए मेल-एक्सप्रेस भी चलेंगी।

सरकार का सबसे ज्यादा जोर खेती की लागत कम करने और ज्यादा मुनाफा देने पर रहा। इसके लिए बजट में शून्य बजट जैविक खेतीबाड़ी योजना पर जोर दिया गया है। जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाएगा, जिसकी मदद से किसान अपने उत्पाद खुद बेच सकेंगे। हालांकि, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में पीएम किसान निधि योजना के लिए आवंटन घटाकर 54,370.15 करोड़ रुपए कर दिया है। पहले 75,000 करोड़ रुपए का प्रावधान था। बजट में कमी का कारण कुछ राज्यों में योजना लागू करने में समस्या है।

प्रो. स्वामीनाथन ने तारीफ की

प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन ने बजट की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि सरकार ने कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की है।


16 सूत्रीय कार्ययोजना से बदलेगी खेती-किसानी की तस्वीर

  1. 20 लाख किसानों को सोलर पम्प लगाने में सरकार मदद करेगी। बंजर जमीन पर किसान सौर ऊर्जा उत्पादन यूनिट लगाकर पैसा कमा सकेंगे।
  2. 15 लाख करोड़ रुपए कृषि ऋण के तहत किसानों को दिए जाएंगे। पीएम किसान योजना के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ा जाएगा
  3. 200 लाख टन तक मछली उत्पादन बढ़ाएंगे दो साल मे। मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 3477 सागर मित्रों व 500 मत्स्य उत्पादक संगठनों को जोड़ा जाएगा।
  4. उन राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया जाएगा जो कृषि उपज विपणन कानून ठेके पर खेती जैसे मॉडल कानून को अमल में लाएंगे।
  5. पानी की किल्लत से जूझ रहे 100 जिलों के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जाएगी। वहाँ भूजल स्तर बढ़ाने व जल संचयन पर जोर दिया जाएगा।
  6. रासायनिक उर्वरकों के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल को रोकने के लिए पारम्परिक जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
  7. हम ब्लॉक और तालुका स्तर पर शीतगृह बनाने को बढ़ावा देंगे। फूड कॉर्पोरेशन अपनी जमीन पर भी कोल्ड स्टोरेज बनाएंगे।
  8. स्वयं सहायता समूहों खासकर महिला स्वयं सहायता समूह योजना के जरिए ग्राम भंडारण योजना की शुरुआत होगी। यहाँ बीज संग्रह किए जाएंगे।
  9. किसान रेल योजना के तहत किसान अपने उत्पादों को रेलगाड़ियों के जरिए बाजारों तक भेज सकेंगे। ट्रेन में इसके लिए वातानुकूलित डिब्बे लगेंगे।
  10. ‘कृषि उड़ान’ की शुरुआत होगी। इससे पूर्वोत्तर और आदिवासी इलाकों से कृषि उपज को कम समय में बाजार तक पहुँचाया जा सकेगा।
  11.  बागवानी में अभी ज्यादा ध्यान देना है। हम इसे क्लस्टर में बांटक एक जिले में एक उत्पाद को बढ़ावा देंगे, ताकि किसानों को बेहतर दाम व बाजार मिले।
  12. जीरो बजट खेती और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि कृषि में लागत कम करके उसे ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
  13.  वेयरहाउसिंग पर ध्यान देंगे। इसके तहत ग्रामीण स्तर पर ऐसे भंडारण गृह के लिए ऋण सहायता मुहैया कराई जाएंगी।
  14.  दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना कर 53 लाख मीट्रिक टन से 108 लाख मीट्रिक टन करेंगे। 2025 तक पशुओं में होने वाली बीमारियां दूर हो जाएंगी।
  15.  नीली क्रान्ति के तहत समुद्री मत्स्य संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक ढांचा स्थापित किया जाएगा।
  16.  दीनदयाल अत्योदय योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देंगे।

किसानों और ग्रामीण विकास के लिए अधिक धन चाहिए

देवेन्द्र शर्मा, हिन्दुस्तान 2 फरवरी, 2020

कृषि क्षेत्र की उपेक्षा कर देश में छायी आर्थिक मंदी से निपटने में सरकार चूक गई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में कृषि के लिए की नई योजना का प्रस्ताव नहीं किया है।

ज्यादातर योजनाएं पुरानी हैं। ग्रामीण भारत व किसानों के लिए यह बजट पूरी तरह से निराशजनक है। देश की अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाने के लिए बजट में कृषि क्षेत्र व ग्रामीण विकास के लिए अधिक धन की व्यवस्था करनी चाहिए थी। इस बार महज 2.83 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं जोकि पिछले साल की उपेक्षा महज तीन फीसदी अधिक है। हर साल बढ़ने वाली मंहगाई दर इससे अधिक बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना मद में अधिक बजट देने की जरूरत थी। किसानों को सालाना छह हजार करोड़ के बाजार 18 हजार करोड़ रुपए देने की जरूरत है। किसान जेब में पैसा होगा तो खर्च करेगा। इससे मांग व खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। मनरेगा में भी 70 हजार करोड़ बजट का प्रावधान करते ही जरूरत थी। निर्मला सीतारण किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 16 सूत्रीय कार्यक्रम लेकर आई है।

एक जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी 20 सूत्रीय कार्यक्रम लागू किए थे। वित्त मंत्री पुराने ढर्रे पर चल रही हैं। उर्वरक संतुलित प्रयोग, सोलर पंप, सौर ऊर्जा, जानवरों को मुंह-पैर की बीमारी आदि सब पुरानी योजनाएं हैं। सरकार ने गत वर्ष सितम्बर में एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए कॉरपोरेट जगत को दिए जिससे निवेश बढ़ाया जा सके, लेकिन हकीकत यह है उक्त पैसा उनकी जैब में गया। यही पैसा यदि ग्रामीण विकास व कृषि क्षेत्र को दिया जाता तो देश की अर्थव्यवस्था इतनी बुरी स्थिति में नहीं पहुंचती।


सफलता की किसान रेल से तरक्की की कृषि उड़ान

दैनिक जागरण, 2 फरवरी, 2020

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने फल-सब्जी, डेयरी, मांस-मछली व पॉल्ट्री जैसे जल्द खराब होने वाले उत्पादों की त्वरित ढुलाई एवं आसान मार्केटिंग के जरिए किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बजट में ‘किसान रेल’ और ‘कृषि उड़ान’ नाम की दो योजनाओं का एलान किया है। इनमें रेलवे की ओर से किसान रेल जबकि विमानन मंत्रालय की ओर से कृषि उड़ान योजना चलाई जाएगी।

किसान रेल के तहत रेलवे की ओर से विशेष प्रकार की रेफ्रीजरेटेड कंटेनर वाली ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव है। इनमें जल्द खराब होने वाली खाद्य वस्तुओं की सुरक्षित ढुलाई होगी। इससे उन्हें बाजारों तक ताजा स्थिति में पहुंचाया जा सकेगा। कोल्ड चेन के अन्तर्गत आने वाली इस स्कीम से किसानों को इन उपजों का उचित मूल्य मिलने के साथ आमदनी भी बढ़ेगी। सीतारमण ने कहा, ‘जल्द खराब होने वाली उपजों के लिए निर्बाध राष्ट्रीय कोल्ड सप्लाई चेन बनाने की योजना के तहत भारतीय रेल पीपीपी मॉडल के तहत किसान रेल योजना शुरू करेगी, ताकि फल-सब्जियों को तेजी के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाया जा सके।’ उन्होंने कहा कि चुनिंदा मेल-एक्सप्रेस एवं फ्रेट ट्रेनों में रेफ्रीजरेटेड पार्सल वैनों के जरिए फल-सब्जियों की ढुलाई की सुविधा देने पर भी विचार किया जा रहा है।

किसान रेल

रेल मंत्रालय ने पेरीशेबल गुड्स के लिए 17 टन क्षमता के नए डिजाइन वाले रेफ्रीजरेटेड पार्सल वैन विकसित किए हैं। इस समय रेलवे के पास इस तरह की नौ पार्सल वैन हैं। इनमें सामान्य पार्सल से डेढ़ गुना किराया लिया जाता है। दादरी व सोनीपत में कोंकोर की ओर से कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित की गई हैं। फल-सब्जियों की ढुलाई के लिए रेलवे ने कोंकोर से 12 टन प्रत्येक क्षमता वाले 98 वेंटीलेटेड इंसुलेटेड कंटेनरों की खरीद की है।


जल की रानी लिखेगी विकास की कहानी

दैनिक जागरण, 2 फरवरी, 2020

गत वर्षों में मछली उत्पादन को सात प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बजट में मत्स्य पालन पर विशेष फोकस किया है, ताकि रोजगार के अवसर बढ़ने क साथ विदेशी मुद्रा कोष भी बढ़े। वर्ष 2024-25 तक मछली के निर्यात को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मछली पालन के साथ समुद्री शैवाल, खरपतवार उगाने और केज कल्चर को भी बढ़ावा देने का प्रस्ताव है।

सरकार बजट में मछुआरों की सुरक्षा, समृद्धि और भविष्य को लेकर चिंतित दिखी। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को मत्स्य प्रसंस्करण के जरिए लाभ मिलता है। इससे 32 लाख से अधिक लोगों को सीधे रोजगार मुहैया होता है। बजट पूर्व पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की संस्तुति की गई थी। यह क्षेत्र नियमित प्रगति को दर्शाता है। भारत समुद्री उत्पाद निर्यात के मामले में दुनिया में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। वर्ष 2018-19 में समुद्री उत्पाद का निर्यात 13,92,559 मीट्रिक टन था। इसका मूल्य 46,589 करोड़ रुपए बनता है। भारत में मत्स्य पालन के समृद्ध संसाधन मौजूद हैं। सरकार ने समुद्री मत्स्यपालन के अलावा नदियों, नहरों, झीलो व तालाबों में भी मछली पालन की प्रोत्साहित किया है। देश के कुल मछली उत्पादन 13.43 मिलियन मीट्रिक टन में से समुद्री मछली का हिस्सा 3.71 मिलियन मीट्रिक टन है। अंतर्देशीय मछली उत्पादन 9.7 मिलियन मीट्रिक टन है।

वर्ष 2022-23 तक 200 लाख टन का लक्ष्य

मत्स्य पालन को वर्ष 2022-23 तक 200 लाख टन कराने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए सरकार ने 3,477 सागर मित्रों और 500 मत्स्य उत्पादक संगठनों के जरिए विस्तार की योजना तैयार की है। मछली निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2024-25 तक इसका लक्ष्य एक लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया है। अंतर्देशीय मछली उत्पादन में बढ़ोत्तरी पर भी जोर दिया गया है।


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