लहरों पर लहर (After sea wave, wave of agony)


प्राकृतिक आपदाओं से अपने अस्तित्व को बचाना तब तक शायद न हो जब तक हम इन आपदाओं से अपने को अच्छी तरह शिक्षित न कर लें वरन एक ऐसी तकनीक का विकास करें जो इन आपदाओं से बचने में कारगर साबित हो।

मृत्युकारक समुद्री लहरों के जाने के बाद अब दया व करूणा की लहरें थीं। भयावह समुद्री लहरों के 7 घंटे बाद, बालू फिर से वही चमकदार थी, समुद्र अब उतना भयावह नीले रंग का नहीं था, हवाएँ पेड़ों की पत्तियों से टकराकर अब भी वहीं सॉय-सॉय की आवाज पैदा कर रही थी, पर इस शांत से समुद्र को देखने के लिये वो आँखे नहीं थी!

26 दिसम्बर 2004, के दृश्य को जिन आँखों ने देखा शायद वो आँखे आज भी विस्मय से चकित होंगी। जैसे ही लहरें वापस लौटी घरों का अस्तित्व मिट चुका था, पेड़ जमीन पर आ गिरे थे, वाहन जमे हुए पानी में आधे डूबे थे, बर्तन, कपड़े और अन्य सामान पानी में तैर रहे थे, पर इन सबको संभालने वाले लहरों के साथ अपना अस्तित्व खो चुके थे।

क्यों समुद्र इस तरह अपना विस्तार करता है? प्रश्न उत्सुकता भरा है! वजह है सुनामी लहरों का बनना। कुछ मायनों में सुनामी लहरें समुद्र में अचानक होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों से उत्पन्न होती है जैसे समुद्र की धरातल पर दरार पड़ना, समुद्र में भूस्खलन का होना इत्यादि।

प्राकृतिक आपदाओं से अपने अस्तित्व को बचाना तब तक शायद न हो जब तक हम इन आपदाओं से अपने को अच्छी तरह शिक्षित न कर लें वरन एक ऐसी तकनीक का विकास करें जो इन आपदाओं से बचने में कारगर साबित हो।

यह मानव ही है जो इन आपदाओं से व्यथित होने के बाद भी प्रकृति के भयावह रूप से अपनी रक्षा करना चाहता है। शायद वो दिन आयेगा जब मानव को प्राकृतिक आपदाओं का उतना खौफ न रह जाए।

सुनामी लहरों का आना एक प्राकृतिक घटना है जो बहुत सी लहरों के मिलने से बनती है। जब समुद्र का पानी किसी कारणवश अपने स्थान से अत्यधिक रूप से विस्थापित होता है तो एक भयावह लहरों के रूप में विस्तार करता है जिसे सुनामी कहते हैं। सुनामी उद्भव का महत्त्वपूर्ण कारण समुद्र में भूस्खलन का होना है। सुनामी शब्द का उद्भव जापानी भाषा के शब्द ‘सु’ = बेडागृह तथा ‘नामी = लहर’ से हुआ है। यह शब्द जापानी लहरों के लिये सबसे पहले मछुआरों ने प्रयोग किया था।

जब पानी का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में अपने स्थान से विस्थापित होता है तो वह गुरुत्वाकर्षण के कारण अपना सामानात्तव ग्रहण करने की कोशिश करता है जिस वजह से सुनामी लहरें बनती हैं। समुद्र की धरातल पर प्लेटों के विवर्तन के कारण समुद्री भूकम्प आते हैं जिसकी वजह से समुद्र की सतह पर विस्थापित पानी सुनामी का रूप ले लेता है। भूकम्प के कुछ ही मिनटों में प्रथम सुनामी लहर दो भागों में बँट जाती है जिसमें से एक भाग गहरे समुद्र की तरफ दूर सुनामी के रूप में चलती है और दूसरा भाग महाद्वीपीय किनारों की तरफ स्थानीय सुनामी के रूप में आती है जब स्थानीय सुनामी महाद्वीप के समुद्री ढलान पर पहुँचती है तो उसमें कुछ परिवर्तन होता है। जैसे उस सुनामी लहरों का आयाम बढ़ जाता है और तरंग दैर्ध्य कम हो जाता है। जिसके कारण पहली लहर बहुत ढलावयुक्त हो जाती है जो इस लहर को महाद्वीपीय किनारों पर टकराने के बाद अंदर तक विस्तार का कारण बनती है।

दूसरी तरफ गहरी समुद्री दूर सुनामी लहरें स्थानीय सुनामी की तुलना में दूर तक चलती है क्योंकि उसका वेग व गति दोनों ज्यादा होता है। महाद्वीप के किनारों पर टकराते ही स्थानीय सुनामी अपनी अत्यधिक ऊँचाई ग्रहण करती है। जिसे समुद्र के सतह के संदर्भ में नापा जाता है। किनारों पर टकराने के बाद सुनामी लहरों की ऊर्जा का एक हिस्सा वापस लौटती लहरों के साथ लौट जाता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी सुनामी किनारों पर बार-बार टकराने वाली एक तरह की लहरों को उत्पन्न करती है जो आगे पीछे चलती हैं। यही वजह है कि एक सुनामी लहर के आने के बाद कुछ घंटों तक समुद्र के किनारे पर जाने से रोका जाता है। सुनामी लहरें बहुत अत्यधिक गति से चलती है जिसकी वजह से उसके किनारों पर पहुँचने के वक्त का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।

सुनामी लहरों से बचने के लिये उसके प्रतीकों को जानना बहुत जरूरी है! सुनामी लहरों के आने से पहले क्या प्रतीक है जो समुद्र की सतह पर नजर आते हैं? कभी-कभी हर सुनामी लहरों के आगे वाले हिस्से पर एक आयताकार नाद होता है जिसके वजह से सुनामी लहरों के आने से पूर्व समुद्र के सामान्य जलस्तर में गिरावट आती है! यदि समुद्र का ढलाव कम गहरा हो तो यह गिरावट 800 तक चली जाती है। लोग इस कारण से बेखबर होकर उसे उत्सुकता पूर्वक देखने आते हैं या फिर टूटे हुए जलस्‍तर से मछलियों को पकड़ते हैं।उसी तरह कुछ सुनामी लहरों के आगे वाले हिस्से पर शिखर हो तो बड़ी सुनामी लहर के किनारों पर आने से पहले महाद्वीपीय किनारों पर समुद्र का जलस्तर बढ़ जाता है। जिन जगह पर सुनामी के आने की प्रबल सम्भावनाएँ हो वहाँ पर सुनामी चेतावनी केन्द्र के द्वारा आम जनता को इससे अवगत कराया जाता है।

सम्पर्क


शुभजीत सिन्हा
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून



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