मछली पालकों में पहचान बना चुके हैं शक्ति

मछली पालकों में पहचान बना चुके हैं शक्ति

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उच्च शिक्षा पाकर रोजगार के लिये बड़हरिया (सीवान) के शक्ति सिन्हा भटक रहे युवाओं के लिये प्रेरणा स्नेत हैं। शक्ति ने अपने कठिन परिश्रम और जज्बे से यह साबित कर दिया कि रोजगार सिर्फ शहर जाकर ही नहीं प्राप्त किया जा सकता, बल्कि अपने गाँव में भी मत्स्य-पालन कर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। बेकार पड़ी ऊसर व बंजर भूमि को पोखरे के रूप में आबाद कर इस नौजवान ने मत्स्य-पालन को अपना कैरियर का हिस्सा बनाया। वे पिछले करीब दस साल से मछलीपालन कर रहे हैं। मछली-पालन से उन्हें प्रत्येक वर्ष छह से सात लाख रुपये की शुद्ध आय हो रही है। यही नहीं, वे दूसरे युवाओं को भी मत्स्य-पालन के लिये प्रेरित कर रहे हैं।

बड़हरिया प्रखण्ड के ग्राम रोहड़ा खुर्द के त्रिपुरारी शरण अस्थाना के पुत्र शक्ति सिन्हा ने स्नातक की शिक्षा हासिल करने के बाद आर्थिक कारणों से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाये। उन्हें बचपन से गाँव से लगाव था। गाँव की माटी से अटूट प्रेम के कारण उन्होंने रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की राह नहीं पकड़ी। ऐसे में तत्कालीन मत्स्य प्रसार पदाधिकारी से मुलाकात ने शक्ति के मन में मछली पालन को कारोबार का हिस्सा बनाने की एक ललक पैदा की। अब अपने संघर्ष के बदौलत अन्य युवाओं के लिये वे प्रेरणास्नेत बन गए हैं।

25 बीघे बंजर भूमि को बनाया पोखरा

शक्ति सिन्हा ने वर्ष 2006 में ग्रामीणों के सहयोग से सुंदरपुर-सुंदरी गाँव के बीच ऊसर व बंजर पड़ी 25 बीघा भूमि को पोखरा बनाया, जिसमें मछली-पालन की शुरुआत की। इसमें मत्स्य प्रसार अधिकारी कार्यालय का महत्त्वपूर्ण सहयोग मिला। छोटी पहल को वर्ष 2012 में और बड़ा रूप दिया। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के फाजिल नगर व कोलकाता के नैहटी से जीरा (मछली का बच्चा) मँगाना शुरू किया, जिसे 25 बीघा के पोखरा में पालने के साथ ही अन्य मत्स्य पालकों को ये जीरा (मछली का बच्चा) की आपूर्ति भी करते हैं। इससे संपूर्ण खर्च छाँट कर छह से सात लाख रुपये की वार्षिक आय हो रही है।

फिशरीज केन्द्र पर हैं अत्याधुनिक संसाधन

सुंदरपुर -सुदंरी में फिशरीज है। जहाँ फिश रिफ्रेशिंग टैंक व ऑक्सीजन पंप भी है, जो जीरा (मछली का बच्चा) को ज्यादा दिनों तक जिंदा रखता है। आत्मा द्वारा अनुदानित आधुनिक यंत्र लग जाने से मछलियों के रख-रखाव में सहूलियत होती है। फिशरीज में जेनरेटर,गोदाम,सोलर पंप सेट,बिजली व स्टॉफ रूम सहित अन्य आवश्यक संसाधन मौजूद है।

पहला वातानुकूलित मछली केन्द्र

बिहार का पहला वातानुकूलित मछली केन्द्र जिला मुख्यालय के मालवीय चौक पर शक्ति सिन्हा ने खोला है। पिछले छह माह पूर्व जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने इसका उद्घाटन किया। यहाँ मार्केटिंग व ग्राहकों के हित को देखते हुए सही वजन, स्वच्छ वातावरण की स्वस्थ मछलियाँ यहाँ मिलती हैं। उनके द्वारा मीठे जल के चलते यहाँ रोहू, नैनी, कतला, ग्रास, सिल्वर, कमन, एंगेशियस, पेयासी आदि प्रजाति की मछली का पालन किया जाता है। ये मछलियाँ बिक्री केन्द्र पर उपलब्ध हैं।

यह है शक्ति की आगामी योजना

शक्ति सिन्हा कहते हैं कि आगे की मेरी योजना समेकित कृषि प्रणाली पर आधारित एक मॉडल स्थापित करना है, जिसमें गाय पालन, बकरी पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन का इंतजाम होगा। वे कहते हैं कि मछली की माँग तेजी से बढ़ रही है। मांसाहारी लोगों की भी मछली पहली पसंद है, ऐसे में माँग के अनुसार मछली अभी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में अभी कारोबार के लिहाज से मछली-पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।

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