मिट्टी जाँच: महत्व एवं तकनीक

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मिट्टी के रासायनिक परीक्षण के लिए पहली आवश्यक बात है - खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेना। न केवल अलग-अलग खेतों की मृदा की आपस में भिन्नता हो सकती है, बल्कि एक खेत में अलग-अलग स्थानों की मृदा में भी भिन्नता हो सकती है। परीक्षण के लिये खेत में मृदा का नमूना सही होना चाहिए।

मृदा का गलत नमूना होने से परिणाम भी गलत मिलेंगे। खेत की उर्वरा शक्ति की जानकारी के लिये ध्यान योग्य बात है कि परीक्षण के लिये मिट्टी का जो नमूना लिया गया है, वह आपके खेत के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व करता हो।

नमूना लेने का उद्देश्य

मिट्टी का सही नमूना लेने की विधि के बारे में तकनीकी सिफारिश:

रासायनिक खादों के प्रयोग के लिये नमूना लेना

1. समान भूमि की निशानदेही :

1. नमूना लेने के औजार:

1. नमूना एकत्रित करने की विधि:


2. मृदा के उपर की घास-फूस साफ करें।
3. भूमि की सतह से हल की गहराई (0-15 सें.मी.) तक मृदा हेतु टयूब या बर्मा द्वारा मृदा की एकसार टुकड़ी लें। यदि आपको फावड़े या खुरपे का प्रयोग करना हो तो ‘’v’’ आकार का 15 सें.मीं. गहरा गड्ढा बनायें। अब एक ओर से ऊपर से नीचे तक 10-12 अलग-अलग स्थानों (बेतरतीब ठिकानों) से मृदा की टुकड़ियाँ लें और उन पर सबको एक भगोने या साफ कपड़े में इकट्ठा करें।
4. अगर खड़ी फसल से नमूना लेना हो, तो मृदा का नमूना पौधों की कतारों के बीच खाली जगह से लें। जब खेत में क्यारियाँ बना दी गई हों या कतारों में खाद डाल दी गई हो तो मृदा का नमूना लेने के लिये विशेष सावधानी रखें।

नोट:

रासायनिक खाद की पट्टी बाली जगह से नमूना न लें। जिन स्थानों पर पुरानी बाड़, सड़क हो और यहाँ गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हो, वहाँ से मृदा का नमूना न लें। ऐसे भाग से भी नमूना न लें, जो बाकी खेत से भिन्न हो। अगर ऐसा नमूना लेना हो, तो इसका नमूना अलग रखें।

1. मिट्टी को मिलाना और एक ठीक नमूना बनाना :

5. लेबल लगाना:

6. सूचना पर्चा:

1. नमूने बाँधना :

मिट्टी परीक्षण दोबारा कितने समय के अंतराल पर करायें ?

मिट्टी परीक्षण कहाँ करायें ?

मिट्टी के प्रकार

पी.एच

सुधारने के उपाय

अम्लीय मिट्टी झारखंड में
पाई जाती है। इस भाग में
ऊँची जमीन अधिक अम्लीय
होता है।

इस तरह की मिट्टियों की
रासायनिक प्रतिक्रिया पी.एच.
7 से कम होती है। परन्तु
उपयोग को ध्यान में रखते हुए
6.5 पी.एच. तक की मिट्टी को
ही सुधारने की आवश्यकता है।

चूने का महीन चूर्ण 3 से 4
क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से
बुआई के समय कतारों में डालकर
मिट्टी को पैर से मिला दें। उसके
बाद उर्वरकों का प्रयोग एवं बीज की
बुआई करें। जिस फसल में चूना की
आवश्यकता है। उसी में चूना दें, जैसे
दलहनी फसल, मूँगफली, मकई
इत्यादि। चूने की यह मात्रा प्रत्येक
फसल में बोआई के समय दें।

नाइट्रोजन की कमी के लक्षण

फॉस्फोरस की कमी के लक्षण

पोटाश की कमी के लक्षण

पोषक तत्त्व

उपलब्ध पोषक तत्त्व की मात्रा

(

कि.

/

हे.)

न्यून

मध्यम

अधिक

नाइट्रोजन

280 से कम

280 से 560

560 से अधिक

फॉस्फोरस

10 से कम

10 से 25

25 से अधिक

पोटाश 110 से कम 110 से 280 280 से अधिक
जैविक कार्बन 0.5% से कम 0.5 से 0.75% 0.75% से अधिक

जैविक खादों में पोषक तत्त्वों की मात्रा

पोषक तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा



जैविक खाद का

नाम

नाइट्रोजन

फॉस्फोरस

पोटाश

गोबर की खाद

0.5

0.3

0.4

कम्पोस्ट

0.4

0.4

1.0

अंडी की खली

4.2

1.9

1.4

नीम की खली

5.4

1.1

1.5

करंज की खली

4.0

0.9

1.3

सरसो की खली

4.8

2.0

1.3

तिल की खली

5.5

2.1

1.3

कुसुम की खली

7.9

2.1

1.3

बादाम की खली

7.0

2.1

1.5

रासायनिक उर्वरक में पोषक तत्त्वों की मात्रा

पोषक तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा



उर्वरक का नाम

नाइट्रोजन

फॉस्फोरस

पोटाश

यूरिया

46.0

-

-

अमोनियम सल्फेट

20.6

-

-

अमोनियम नाइट्रेट

35.0

-

-

कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट

25.0

-

-

अमोनियम क्लोराइड

25.0

-

-

सोडियम नाइट्रेट

16.0

-

-

सिंगल सुपर फॉस्फेट

-

16.0

-

ट्रिपल सुपर फॉस्फेट

-

16.0

-

डाई कैल्सियम फॉस्फेट

-

38.0

-

पोटैशियम सल्फेट

-

-

48.0

मोनो अमोनियम फॉस्फेट

11.0

48.0

-

डाई अमोनियम फॉस्फेट

18.0

46.0

-

सुफला (भूरा)

20.0

20.0

-

सुफला (गुलाबी)

15.0

15.0

15.0

सुफला (पीला)

18.0

18.0

9.0

ग्रोमोर

20.0

28.0

-

एन.पी.के

12.0

32.0

16.0

रॉक फॉस्फेट का व्यवहार कैसे करें ?

सूचना प्रदाता: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, काँके, राँची- 834006

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