मुख्यमंत्री के इलाके में लग गई है निर्मल भारत अभियान पर रोक
इटावा के जिला पंचायत राज अधिकारी एसएन सिंह का कहना है कि अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय संकुलों और एकल घरों के लिए शौचालय बनाए जाते हैं। मनरेगा से कम बजट मिलने के कारण शौचालयों के निर्माण की गति धीमी है। इटावा, 27 मई 2013। मनरेगा योजना में बजट के अभाव में निर्मल भारत अभियान पर रोक लग गई है। यह रोक कहीं और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले के इटावा में लग गई है। इसको हैरत की नजर से देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि मनरेगा योजना के तहत बड़े अफसरों की लापरवाही के कारण ही निर्मल भारत अभियान पर रोक लग रही है।
निर्मल भारत अभियान के तहत देश भर के गांवों में पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) चलाया जा रहा है। अभियान के तहत घर-घर में शौचालय का निर्माण कराकर खुले में शौच की प्रवृत्ति को रोकने का मकसद है। अभियान के तहत दो वित्तीय सालों में डॉ. राममनोहर लोहिया समग्र ग्राम योजना के तहत चुने गए 36 गांवों को प्राथमिकता पर लिया गया है। इन गांवों में 3504 शौचालय निर्माण के लिए पंचायत राज विभाग की ओर से एक करोड़ 61 लाख 18 हजार 400 रुपए का बजट जारी किया गया। लेकिन मनरेगा में बजट के टोटे से शौचालय निर्माण की गति धीमी है।
अभियान के तहत 2012-13 में चुने गए 16 लोहिया गांवों में शौचालय निर्माण के लिए सभी विकास खंडों से प्राप्त कार्य योजना के मुताबिक पंचायतराज विभाग की ओर से शौचालय निर्माण के लिए 72 लाख 68 हजार रुपए का इंतजाम किया गया। इसी तरह चालू वर्ष 2013-14 में चुने गए 20 लोहिया गांवों में शौचालय निर्माण के लिए 88 लाख 50 हजार 400 रुपए का बजट जारी किया गया। पंचायतराज विभाग की ओर से प्रति शौचालय निर्माण के लिए 4600 रुपए निर्धारित है, जिसमें केंद्र की ओर से 3200 रुपए और राज्य सरकार की ओर से 1400 रुपए दिए जाते हैं। लाभार्थी अंश 900 रुपए और निर्माण पर मनरेगा से मजदूरी के लिए 4500 रुपए निर्धारित है। इस तरह एक शौचालय 10 हजार में तैयार होगा। ग्रामीण घर में शौचालय बनवाने के लिए तैयार हों, इसके लिए उनको स्वच्छता का महत्व समझाते हुए शौचालय बनवाने को प्रेरित किया जाता है।
चालू वर्ष 2013-14 में मनरेगा में पहली किश्त बतौर 1 करोड़ 75 लाख 36 हजार रुपए पंचायतों को और 49 लाख 24 हजार रुपए जिला पंचायत को मिले हैं। इस तरह जनपद को अब तक कुल 2 करोड़ 24 लाख 60 हजार रुपए मनरेगा योजना के तहत मिले हैं। ग्राम पंचायतों के हिस्से में मामूली राशि आने से वे प्राथमिकता वाले काम पहले करा रही हैं और शौचालय निर्माण को निचले पायदान पर डाल रखा है।
पंचायतराज विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 में 3463 एपीएल लाभार्थियों के शौचालय निर्माण लक्ष्य के सापेक्ष मनरेगा से धनराशि की उपलब्धता के आधार पर 610 शौचालयों का निर्माण हो चुका है। मनरेगा की धनराशि की उपलब्धता के आधार पर शेष शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। शौचालय लक्ष्य 3463 में पहले चरण में हर गांव में अधिकतम 100 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस आधार पर 16 गांवों में अभिनयपुर पाठकपुर के 99 और सकई सकरावली के 80 सहित कुल 1580 का लक्ष्य निर्धारित है।
इसी तरह 2013-14 में 20 लोहिया गांवों में 5630 शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें पहले चरण में हर गांव के अधिकतम 100 शौचालय का निर्माण का लक्ष्य करते हुए संख्या 1924 है, जिसमें केशोपुर राहिन के 53 मितरौल के 71 पहले ही चरण में बन जाएंगे। वर्ष 2012-13 का बजट जनवरी 2013 में जारी किया गया यानी वित्तीय वर्ष समाप्त होने के दो माह पहले और वर्ष 2013-14 की पहली किश्त 8 मई को जारी की गई। 100 से अधिक शौचालय संख्या वाले गांवों को दूसरी किश्त में बजट जारी किया जाएगा।
इटावा के जिला पंचायत राज अधिकारी एसएन सिंह का कहना है कि अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय संकुलों और एकल घरों के लिए शौचालय बनाए जाते हैं। मनरेगा से कम बजट मिलने के कारण शौचालयों के निर्माण की गति धीमी है।