नदी की जमीन पर बसा अवैध मोहल्ला

tangri river
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नदी जिस दिन अपनी जमीन खाली कराने को आगे आ जाएगी, वह दिन यहाँ बसे 1700 से अधिक परिवारों के लिये भारी होगा। इसलिये इस बात पर वहाँ रहने वालों को भी विचार करना चाहिए। लेकिन साथ-साथ इस सवाल का जवाब जिला प्रशासन को भी देना होगा कि जब यह जमीन टांगरी नदी की थी फिर उस समय अवैध निर्माण पर रोक क्यों नहीं लगाई गई, जब नदी के किनारे काॅलोनियों का निर्माण हो रहा था। कुछ महीने पहले की बात है। बरसात के मौसम में टांगरी नदी के आस-पास बसे डेढ़ हजार परिवारों की जान साँसत में फँसी थी। जब बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। वहाँ बसे लोग सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि बार-बार उन्हें उजड़ना पड़ता है और सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं देती। टांगरी नदी हरियाणा अन्तर्गत अम्बाला छावनी से होकर गुजरती है।

यह नदी अम्बाला छावनी के दूसरे छोर पर बसे घसितपुर तक जाती है। यहाँ लोग लगभग बीस सालों से बसे है। यहाँ अवैध काॅलोनिया नदी की जमीन पर बस गई हैं। जिन घरों में पहाड़ से आने वाला पानी बरसात के दिनों में अन्दर तक चला जाता है। इन महीनों में छतों पर भी कई बार यहाँ रहने वालों को खाना बनाना पड़ता है क्योंकि पानी घर के अन्दर तक घुसा रहता है।

एक तरफ यहाँ रहने वाले अपनी गलियों की सड़क दिखा रहे हैं, जमीन के रजिस्ट्रेशन के कागज दिखा रहे हैं और बिजली का कनेक्शन भी और पूछ रहे हैं कि जब यह सब हमें मिला है फिर हमारी काॅलोनी अवैध कैसे है? दूसरी तरफ जिला प्रशासन इन घरों को अवैध मानता है और उनके पास भी सरकारी दस्तावेज हैं लेकिन अवैध काॅलोनियों में रहने वालों के सवाल के जवाब नहीं।

टांगरी नदी पर अवैध कालोनियों का मामला इस बार अम्बाला के डीसी प्रभजोत सिंह की टांगरी नदी के पुल के निरीक्षण पर आने के बाद उठा। वे नदी के अन्दर बने मकानों को देखकर हैरान हुए थे। प्रभजोत जानना चाहते थे कि नदी के अन्दर इन मकानों को बनाने की इजाजत किसने दी? प्रभजोत इन मकानों को बनने और चूक की बात मीडिया के सामने स्वीकार कर चुके हैं लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस जानकारी बाहर नहीं आई। जाँच चल रही है।

बोह गाँव से लेकर घासितपुर के बीच की दूरी लगभग 08 किलोमीटर की है। यह टांगरी नदी के किनारे बसा वह 08 किलोमीटर है जो अवैध काॅलोनियों से पटा पड़ा है।

इस सम्बन्ध में सिंचाई विभाग ने अधिसूचना हेतु एक फाइल सरकार के पास भेजी है। बोह गाँव से लेकर बाँध समेत घासितपुर तक की सारी जमीन टांगरी नदी की है। टांगरी एक मौसमी नदी है और बड़ी संख्या में लोगों ने इस बेमौसमी नदी की जमीन पर अपना घर बना लिया है।

सुरक्षा के नियमों की अनदेखी करते हुए यहाँ मौजूद अवैध कॉलोनियों में घर बने हैं। यही वजह है कि साल-दर-साल टांगरी नदी का पानी काॅलोनी के घरों के अन्दर चला जाता है और उन 1700 से अधिक परिवारों के लिये खतरा बन जाता है जो इन अवैध काॅलोनियों में रहते हैं।

प्रशासन की तरफ से अवैध काॅलोनी में रहने वाले लोगों को एक नोटिस देकर कहा गया है कि वे यह जगह खाली करके किसी सुरक्षित जगह पर चले जाएँ। इसका अर्थ स्पष्ट है कि टांगरी नदी का यह किनारा यहाँ रहने वालों के लिये सुरक्षित नहीं है।

नदी जिस दिन अपनी जमीन खाली कराने को आगे आ जाएगी, वह दिन यहाँ बसे 1700 से अधिक परिवारों के लिये भारी होगा। इसलिये इस बात पर वहाँ रहने वालों को भी विचार करना चाहिए। लेकिन साथ-साथ इस सवाल का जवाब जिला प्रशासन को भी देना होगा कि जब यह जमीन टांगरी नदी की थी फिर उस समय अवैध निर्माण पर रोक क्यों नहीं लगाई गई, जब नदी के किनारे काॅलोनियों का निर्माण हो रहा था।

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