नदियों का नामकरण

नदी शब्द की उत्पत्ति ‘नद्’ से हुआ है, जिसका अर्थ होता है- आवाज करना। कलकल की ध्वनि होने के कारण उसे नदी कहा जाता है। नदियों के नाम अर्थयुक्त और सुंदर हैं, जिन पर देवभाषा संस्कृत की स्पष्ट छाप है। ये नाम प्राचीनकाल के मनीषियों या भूगोल शास्त्रियों ने रखा है। भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि का आधार है- नदियां। हमारी सभ्यता का उदय नदियों के किनारे ही हुआ है। इन्हीं के कारण भारत भूमि शस्य श्यामला बन पाई है। नदियों को पावन माना जाता है। सभी धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में इनका जिक्र है। हमारे देश की प्रमुख नदियों के नाम किस प्रकार रखे गए, यह जानना कम दिलचस्प नहीं है। गंगा हिमालय पर्वत में गंगोत्री से निकलती है और 2,427 किलोमीटर की यात्रा करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ‘श्री गंगा माहात्म्य के अनुसार गा (पृथ्वी) में आकर पुनः अपने स्थान को लौटने के कारण इसका नाम गंगा पड़ा है। इस नदी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- भगीरथ, जाह्नवी, विष्णुपदी, त्रिपथगा आदि नाम हैं।

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक गोमती नदी के किनारे गायों का एक बड़ा झुंड विचरण करता था। इसी वजह से इसका नाम ‘गोमती’ पड़ा है। जबकि गोदावरी त्रयंबकेश्वर के निकट ब्रह्मगिरि से उत्पन्न होती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कुछ विद्वानों का मत है कि गोदावरी शब्द की उत्पत्ति तेलुगु भाषा के शब्द ‘गोदे’ से हुआ है, जिसका अर्थ ‘मर्यादा’ होता है। यमुना नदी यमुनोत्री से निकलती है और इलाहाबाद में गंगा से मिलती है। यमुनोत्री से निकलने और यम की बहन होने के कारण इसे ‘यमुना’ कहा जाने लगा। कालिंदी पर्वत से प्रवाहित होने के कारण इसे ‘कालिंदी’ भी कहा जाता है। सरयू की उत्पत्ति ब्रह्मसर से होने के कारण इसका नाम सरयू या (शरयू) पड़ा है।

कृष्णा से स्पष्ट है, कृष्ण वर्ग होने के कारण इस नदी का नामकरण किया गया कृष्णा। यह महाबलेश्वर के गोमुख से निकलती है और सतारा के निकट उससे वेणा (येन्ना) नदी आकर मिलती है। इससे इसका संयुक्त नाम ‘कृष्णवेणा’ हो गया। सिंधु नदी तिब्बत से प्रवाहित होकर अरब सागर में जाकर गिरती है। इसकी कुल लंबाई 2.735 किलोमीटर है। ‘सिंधु’ देश की एक बड़ी नदी है। इस कारण इसका नाम ‘सिंधु’ हो गया। ‘सिंधु’ का मतलब ‘समुद्र’ ही नहीं, सामान्य नदी भी होता है। नर्मदा नदी अमरकंटक के एक कुंड से निकलकर भड़ौच के निकट खंभात की खाड़ी में गिरती है। कालिदास के मेघदूत में इसे ‘रेवा’ कहा गया है। ‘रेवा’ संस्कृति के रेल शब्द से बना है, जिसका अर्थ कूदना होता है। पहाड़ी चट्टानों से नीचे गिरने के कारण इसका नाम ‘रेवा’ पड़ा है।

महानदी अमरकंटक श्रेणी के दक्षिण में रायपुर जिले के सिहावा ग्राम के एक पोखर से निकलती है। ‘महानदी’ का शब्दकोश गत अर्थ ‘समुद्र तक जाने वाली नदी है लेकिन बड़ी नदी के अर्थ में इसे ‘महानदी’ की संज्ञा दी गई है। ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के मुलतापी (मुलताई) शहर की एक झील से निकलकर सतपुड़ा की घाटियों को काट कर बहती हुई अरब सागर में गिरती है। पुराणों में इसका उल्लेख ‘ताप्ती’, ‘पातिका’, ‘तायिनी’, आदि नामों से हुआ है।’ कावेरी नदी ब्रह्मगिरी से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कावेरी शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द काबिरी से हुई है, इसका अर्थ उपवनों का विस्तार करने वाली होती है। ब्रह्मपुत्र तिब्बत के मानसरोवर के ब्रह्मकुंड से निकलता है। इसकी कुल लंबाई 2,703 किलोमीटर है। ब्रह्मकुंड से निकलने के कारण इसका नाम ‘ब्रह्मपुत्र’। इसका प्राचीन नाम ‘लोहित’ या ‘लौहित्य’ है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading