नरेगा से निराश सोनभद्र

13 Oct 2009
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सोनभद्र। गरीबी और भुखमरी की अनवरत मार झेल रहे सोनभद्र में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में भ्रष्टाचार के चौंका देने वाले तथ्य सामने आये हैं, अधिकारियों की असीमित धन लौलुपता और कमीशनखोरी ने आदिवासियों के हांथों से रोजगार पाने का आखिरी हथियार भी छीन लिया है| पिछले तीन वर्षों के दौरान लगभग ३१० करोड़ रूपया खर्च करने के बाद भी नतीजा कुछ खास नहीं है, सोनभद्र का सच ये है कि इस वर्ष नरेगा से निराश सोनभद्र के लगभग ३५ हजार आदिवासी रोजगार की तलाश में देश के अलग-अलग हिस्सों में पलायन कर गए, पूरे जनपद में भारी संख्या में फर्जी कार्य दिवस सृजित कर मजदूरों की कमाई तो हड़पी ही गयी, वहीँ योजना के सामग्री अंश पर भी शर्मनाक तरीके से डाका-डाल दिया गया, आज आलम ये है कि जनपद ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा १५ फीसदी कमीशन अग्रिम तौर पर लेने के बाद ही विकास खंडों को धन अवमुक्त किया जा रहा है, वहीँ विकास खंड, ग्राम प्रधानों और ग्राम्य सचिवों से इस योजना के मार्फ़त २५ से २७ फीसदी कमीशन वसूल रहे हैं, नरेगा को लेकर अपने सर्वेक्षण में हमने पाया कि सोनभद्र के सभी 8 विकास खंडों में अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने अपने अपने रिश्तेदारों को नरेगा से जुड़े विकास कार्यों में ठेकेदारी दे दी है,और ज्यादा से ज्यादा कमाई की जुगत में जुटे हुए हैं| नतीजा ये है कि आंकडे जो भी कहें आदिवासी बहुल सोनभद्र जनपद में ये योजना पूरी तरह से फ्लॉप शो साबित हुई है|

दाने-दाने को मोहताज सोनभद्र के आदिवासियों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पूरी तरह से धोखा साबित हुई है, अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत से योजना का लगभग १२० करोड़ रूपया खुद ही डकार लिया, वहीँ कागजों पर योजना आयोग को झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी| हमारे पास इस बात के तथ्य मौजूद हैं कि आयोग को ऍमआईएस के माध्यम से भेजे गए आंकडों और कागजी आंकडों में जमीन आसमान का अंतर था| स्थिति की समीक्षा के लिए हमने यहाँ के सभी विकास खंडों का क्रमवार का दौरा किया, यहाँ की सभी ५२ गर्म पंचायतों में ग्रामीणों ने जॉब कार्ड न दिए जाने और फर्जी जॉब कार्ड पर भुगतान लिए जाने की बात कही, विकास खंड चोपन के ग्राम सभा अगोरी में ग्राम प्रधान ने अपने परिवार के लगभग १५ सदस्यों के नाम से जॉब कार्ड निर्गत करके उन पर भुगतान प्राप्त कर लिया, वहीँ तमाम गरीबों को आवेदन के बावजूद जॉब कार्ड नहीं दिया, लगभग सभी ग्राम सभाओं में ऐसी शिकायत मिली| हमें जानकारी दी गयी कि बैंक भी पैसा निकासी पर प्रति व्यक्ति २०० रुपये घूस ले रहे हैं, वहीँ ग्राम प्रधानों द्वारा जॉब कार्ड पर फर्जी कार्यदिवस सृजित कर मजदूरों को कुछ पैसे देकर बड़ी राशि हड़प ली जा रही है, कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वो हमें भी बिना काम की भरी हुई हाजिरी के लिए २० रूपए प्रतिदिन देते हैं|इस मसले पर ग्राम प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर हम फर्जी कार्यदिवस नहीं दिखायेंगे तो कमीशन कहाँ से देंगे और कमीशन नहीं देंगे तो अधिकारी हमारे गाँव में नरेगा का काम ही नहीं खोलेंगे| अधिकाँश जगहों पर जो भी मृदा कार्य कराये गए, उनकी लागत अनुमानित लागत से काफी अधिक थी, अधिकारियों ने २०-२५ लाख रुपयों में जो कार्य कराये उनकी अनुमानित लागत ५-७ लाख रूपए तक ही थी, और ये चीज पूरे जनपद में देखने को मिली|

ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों पर योजना आयोग ने चुप्पी साध रखी है, पिछले माह सोनभद्र के कई अधिकारियों के खिलाफ योजना में किये जा रहे भ्रष्टाचार शिकायतों को संज्ञान में लेकर राज्य सरकार को तात्कालिक तौर पर कार्यवाही करने को कहा गया, लेकिन अपना ऊँची रसूख के चलते इन दोनों अधिकारियों का बाल भी बांका नहीं हुआ| आलम ये है हाल के दिनों में बिना बैठक किये कार्यदायी संस्थाओं को करोडों रूपये अवमुक्त कर दिए, विधान परिषद् सदस्य श्याम सिंह बताते हैं कि इन लोगों ने बिना जिला पंचायत की संस्तुति के १०.५४ कार्ड रूपए का बंदरबांट कर लिया, उनका कहना था कि जो भी ब्लाक एडवांस कमीशन नहीं दे रहे, उनको धन नहीं दिया जा रहा, जब हमने इस सम्बंध में शिकायत कि तो मंडलायुक्त ने ग्राम विकास आयुक्त को गलत सुचना देकर के गुमराह कर दिया| स्थिति को बेहद गंभीर बताते हुए समाजसेवी रोमा कहती हैं आप यकीन करें न करें, नरेगा से पिछले ३ वर्षों के दौरान एक-एक खंड विकास अधिकारी ने ५-५ करोड़ रूपए कमाए हैं, सोशल ऑडिट के काम में भी उन्ही लोगों को शामिल किया जा रहा है जो अधिकारियों के चाटुकार हैं, आप ईमानदारी की उम्मीद किससे करेंगे?

 

नरेगा में धोखा


सोनभद्र। नरेगा से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत के लिए बनाये गए सेल में सर्वाधिक सोनभद्र की शिकायतें दर्ज हैं. लेकिन नतीजा सिफर है| जांच के लिए आने वाली केंद्रीय टीमें भी जनता से सीधे संवाद न करके अधिकारियों के भरोसे जांच का काम कर रही हैं, जिससे स्थिति अनवरत और भी बिगड़ी जा रही है, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवेन्द्र शास्त्री कहते वहीं कि अगर एक बार किसी स्वतंत्र एजेन्सी से जांच करा दी जाये दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा|

नरेगा के धन का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है और किस तरह से अधिकारी इसका पैसा हजम कर रहे हैं ये जानने के लिए हम सबसे पहले विकास खंड चतरा गए| वहां के 'वृद्धि ' ग्राम पंचायत को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने निर्मल ग्राम घोषित करते हुए ग्राम प्रधान को दो लाख रुपये नकद और प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया था| यहाँ के ग्रामीणों कि शिकायत थी कि ग्राम प्रधान ने नरेगा के माध्यम से ६ लाख रूपए मूल्य के खडंजे का निर्माण कराया, लेकिन मौके पर एक भी इंट नहीं रखी गयी, यहाँ पर नरेगा के तहत कराये गए अन्य कार्यों में भी व्यापक भ्रष्टाचार देखने को मिला| शपथ पत्र के साथ जब ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार के इन मामलों की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी से की तो उन्होंने ग्राम विकास अभिकरण के उस चर्चित अभियंता को जांच का काम सौंप दिया जो पूर्व में ही भ्रष्टाचार के कई मामलों में संलिप्त था| जब उस जांच का कोई नतीजा नहीं निकला तो ग्रामीणों ने थक-हार कर सीजीऍम कोर्ट में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज करा दिया| इसी तरह चतरा विकास खंड के ही अलैकर ग्राम पंचायत में भी नरेगा के धन में व्यापक अनियमितताओं कि शिकायत से हारकर ग्रामीणों को न्यायालय कि शरण में जाना पड़ा| इसी तरह इस विकास खंड के सिल्थम और खूरई समेत अन्य ग्राम पंचायतों में नरेगा के धन में काफी बंदरबांट की गयी है|

अब हम चलते हैं अतिनक्सल प्रभावित नगवां विकास खंड में| यहाँ के आमडीह ग्राम पंचायत के कुर्वल गांव के ग्रामीणों ने नरेगा के धन में अनियमितता से आजिज आकर लोकसभा चुनावों का बहिष्कार कर दिया था और अधिकारियों के बार-बार मनाने पर भी टस से मस नहीं हुए यहाँ बिहार की सीमा से लगे मडपा ग्राम पंचायत में बन रहे एक चेक डैम का निर्माण लगभग ६० लाख रूपए कि लागत से कराया जा रहा है जबकि हकीकत ये है कि अनुमानित लागत अधिक से अधिक २० लाख रूपए है, यहाँ के पनौरा, सोमा, केवटा, समेत अन्य गर्म पंचायतों में भी नरेगा के धन को जमकर लूटा गया है|

कुछ इसी तरह का हाल चोपन विकास खंड का है, यहाँ के किशुनपुरवा ग्राम पंचायत में नरेगा के धन से ग्राम प्रधान ने अपने मकान में ही ४०० मीटर नाली बना ली, वहीँ धन आहरित करने के बावजूद खडंजे का निर्माण नहीं कराया गया, यहाँ के सभी ५२ ग्राम पंचायतों में हालत हद से बाहर जा रहे हैं, हाल के दिनों में रोजगार को लेकर सर्वाधिक पलायन इसी विकास खंड से हुआ है| इस विकास खंड के खंड विकास अधिकारी के तमाम प्रयासों के बावजूद निचले स्तर पर भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सका, तमाम नक्सल इलाकों में विकास के दावों का सच पूरी तरह से हवा-हवाई साबित हुआ है| गौरतलब है किशुनपुरवा वो गांव है जहाँ के नक्सली महंगू के आतंक से पूरी उत्तर प्रदेश पुलिस थर्राती थी, लगभग यही कहानी अन्य विकास खंडों की है|

 

कालापानी में लूट


शासन कितना भी बदले, प्रशासन का चरित्र बदलेगा ऐसी संभावना कम ही है| आजादी के ६० वर्षो में सबसे एतिहासिक कही जाने वाली योजना के प्रति भी हमारा प्रशासन पारम्परिक व्यवहार कर रहा है. आम ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी साबित होने की कूबत रखने वाली राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना भी अब देश की अन्य राहत योजनाओं की तरह भूखे प्रशासन की भेंट चढ़ते जा रही है| इस योजना में आए धन का ४० प्रतिशत हिस्सा सीधे प्रशासनिक लोगों की जेबों में जा रहा है. बाकी की २० प्रतिशत की लूट ग्रामसभा के लोग कर रहे है| आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र के रेणुका पार इलाके में यह योजना राहत की जगह दर्द का रूप ले चुकी है. इस क्षेत्र के २० से ज्यादा ग्राम पंचायतो में ५००० से ज्यादा आदिवासी, मजदूरी के भुगतान के लिए पिछले एक साल से प्रधान सहित जिले भर के अधिकारियो के चक्कर लगा रहे हैं| पनारी ग्राम पंचायत के रामदीन बैगा के लड़की का विवाह मजदूरी न मिलने के कारण रूक गया. यह केवल एक मामला नहीं है, बल्कि ७० किमी क्षेत्र में सैकडों आदिवासी युवतियों का विवाह केवल धन अभाव में रूक गया. रेणुका पार के पनारी, पर्सोई, अगोरी, बडगांव, भरहरी, बिल्ली-मारकुंडी , घतिहता, घोरिया, गोठानी, जुगैल, हर्रा, कनहरा, खरहर, नेवारी, टापू सहित तमाम ग्राम पंचायतों के ६ हजार से ज्यादा ग्रामीणों का या तो जॉब कार्ड ही नहीं बनाया गया, या तो दिया ही नहीं गया.

रेणुका पार के ४० से ज्यादा टोले में अभी तक नरेगा के तहत कोई काम ही नहीं हुआ. अत्यंत दुर्गम हिस्सों में स्थिति और भी ख़राब है| जुगैल ग्राम पंचायत के मुर्गिदान टोले में खाली जॉब कार्ड इस योजना की सही तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं. हजारो लोगो को अभी तक कोई काम ही नहीं मिला है. नरेगा से प्रशासनिक भ्रष्टाचार के सेंसेक्स में बढ़त जारी है|

सोनभद्र में नरेगा (२००८-०९ )

 

 

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रोजगार की मांग
इस माह के अंत संभावित मांग
रोजगार प्रद्दत
जुलाई माह में कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या
कुल
आकलित बजट
a
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d
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सं'
जनपद
अब तक बांटे गए जॉब कार्ड
अब तक सृजित मानव दिवस
१०० दिन रोजगार पाने वालों की संख्या
भूमि सुधार से लाभान्वित लोग
लाभार्थी विकलांग
एससी
एसटी
अन्य
कुल
एससी
 
एसटी
अन्य
कुल
महिलायें
1
सोनभद्र
91341
66093
53521
210955
105262
141970
105262
25127
113.46
45.5
37.67
20.78
103.95
38.67
40756
15621
184

 

 

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