पानी पहुँचा पाताल में

26 May 2015
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Groundwater level
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निमाड़ के सात जिलों में हाहाकार की दस्तक


गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही मध्यप्रदेश और ख़ासतौर पर मालवा–निमाड़ अंचल में पानी के लिए हाहाकार की गूँज सुनाई देने लगी है। जैसे–जैसे गर्मी का पारा बढ़ेगा, वैसे–वैसे हालात बेकाबू हो सकते हैं। आँकड़ों को देखें तो संकट की दस्तक अभी से साफ़ सुनी जा सकती है। इस बार कम बारिश के चलते जमीनी जल स्तर तेजी से नीचे और नीचे जा रहा है। बीते साल की तुलना में अब तक जल स्तर 10 फीट तक नीचे चला गया है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने मालवा–निमाड़ में सर्वेक्षण के बाद यह खुलासा किया है कि बीते एक साल में भूमिगत जल स्तर में औसत 0.18 से 10 फीट तक की गिरावट दर्ज की गई है। सबसे बुरी हालत इन्दौर सहित धार, बड़वानी, झाबुआ, देवास, मंदसौर और रतलाम में बताई जा रही है। बीते साल इन्दौर में औसत जल स्तर 30 मार्च 14 तक 29.50 फीट था, जो अब बढ़कर 38.35 तक नीचे उतर गया है।

इसी तरह धार में 26.20 से बढ़कर 30.27, बड़वानी 28.03 से बढ़कर 28.95, झाबुआ में 22.33 से 26.40, देवास में 33 से 38, मंदसौर में 33. 50 से 35 तथा रतलाम में औसत जल स्तर 33 से 43 फीट तक नीचे उतर गया है। गर्मी से पहले ही यह हालात हैं तो आगे क्या होगा। ये आँकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। गर्मी के दिनों में इनके और भी ज्यादा भयावह होने की आशंका जताई जा रही है। इससे जहाँ एक और पीने के पानी के लिए हाहाकार मच सकता है वहीं गर्मी का पारा भी बढ़ सकता है।

जमीनी जल स्तर गिरने से इन्दौर–उज्जैन इलाके में हैण्डपम्प भी अब आखरी साँस लेने लगे हैं करीब 9000 से ज्यादा हैण्डपम्प बंद पड़े हैं, हालात इतने बुरे हैं कि अब ‘लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग’ निजीकरण कर हैण्डपम्प दुरुस्त कराने जा रहा है। इसके ठेके भी दिए जा चुके हैं। फिलहाल उज्जैन के चार और देवास के दो विकासखण्डों के ठेके हो चुके हैं। ठेकेदार यदि इन्हें समय सीमा में नहीं सुधारेंगे तो उन्हें हर दिन 200 रूपये के मान से जुर्माना देना पड़ेगा। इन्दौर जिले में रंगवासा के पास सिन्दौसा और महू के बिचौली में हालात बहुत चिन्ताजनक है। मंदसोर और नीमच जिले में भी पानी के चट्टानों से नीचे चले जाने की वजह से यह संकट और बढ़ गया है। अंचल में 9000 में से सिर्फ पानी की कमी से 7165 हैण्डपम्प बंद पड़े हैं बाकी में तकनीकी खराबी है।

बताया जाता है कि इस साल औसत से भी कम बारिश होने से ऐसी स्थिति बन रही है। भूगर्भीय विशेषज्ञ बताते हैं कि खेती के लिए किसान अपने खेतों में टयूबवेल से सिंचाई करते हैं। लगातार मनमाने ढँग से धरती का सीना छलनी करते हुए बड़ी तादाद में बोरिंग किये जा रहे हैं। यह गिरते हुए भू-जल स्तर का सबसे बड़ा कारण है कई तहसीलों में भूमिगत जल स्तर का दोहन सबसे ज्यादा हुआ है। देवास और सोनकच्छ में 95 प्रतिशत तक भूजल का दोहन किया जा चुका है, यहाँ अब हालात चिन्ताजनक हैं। इलाके के किसान फिलहाल तालाब और पोखरों–नालों के पानी का उस स्तर पर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जितना होना चाहिए। जल संरचनाओं के लगातार कम होते जाने और इनके संरक्षण के आभाव में पानी लगातार हर साल नीचे और नाचे जा रहा है।

इनका कहना है
जलस्तर में तेजी से बदलाव हुए हैं। आने वाले समय में जल संकट न हों इसके लिए भू-जल संवर्धन के काम जोर-शोर से किये जा रहे हैं। (केके सोनगरिया मुख्य अभियन्ता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी इंदौर क्षेत्र)

अनोखी जुगाड़-बोरिंग बना कुआँ
इन्दौर जिले के गंगाजलखेडी गाँव में जल संकट के हालात मालवा–निमाड़ की तस्वीर को बयाँ करती है। 10 हजार की आबादी वाले इस गाँव में पीने के पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। मीलों दूर से महिलाएँ सर पर पानी से भरे बर्तन उठाकर लाने को मजबूर हैं। गाँव में 20 हैण्डपम्प हैं लेकिन आसरा केवल 2 का ही है। इनमें से भी एक ऐसा है जिसमें न तो मोटर है और न ही पम्प। ऐसी स्थिति में गाँव के लोगों ने जुगाड़ का सहारा लिया है। यहाँ लोगों ने बोरिंग को ही कुआँ बना डाला है। बोरिंग के ऊपर बकायदा घिर्री लगा कर एक ऐसी बाल्टी तैयार की है जो केसिंग के भीतर 110 फीट गहराई में जाकर पानी उलीचती है।

सम्पर्क करें
11 ए मुखर्जी नगर, देवास (मप्र), पायनियर स्कूल चौराहा, मोबाइल 98260 13806
 

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