प्रेरित करती है मशरूम लेडी
उत्तराखंड की दिव्या रावत ने यह साबित किया है कि अगर आप में इच्छाशक्ति हो तो मंजिल पाने से आपको कोई रोक नहीं सकता। दिव्या ने अपने बूते पर खुद की कंपनी की शुरुआत की है। लोग उन्हें ‘मशरूम लेडी’ के नाम से जानते हैं।
राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
उत्तराखंड की उद्यमी दिव्या रावत ने शुरुआत मामूली स्तर पर मशरूम के उत्पादन से की थी। लेकिन आज वह अपनी कंपनी ‘सौम्या फूड लिमिटेड’ की मालकिन हैं। उनके इस प्लांट में साल में तीन तरह के मशरूम उत्पादित किये जाते हैं- बटन, ओएस्टर और मिल्की मशरूम। सौम्या की कंपनी सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी मशरूम की आपूर्ति करती है। यही नहीं दिव्या रावत अन्य राज्यों में युवाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी दे रही हैं। इसका फायदा ये हो रहा है कि सैकड़ों युवाओं एवं महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। दिव्या के पिता तेज सिंह रावत आर्मी में थे। दिव्या को इसी वर्ष विश्व महिला दिवस के मौके पर मशरूम क्रांति के लिये राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उत्तराखंड सरकार भी दिव्या को सम्मानित कर चुकी है।
सौ पैकेट मशरूम से की थी शुरुआत
दिव्या ने 12 जुलाई 2012 को 35 से 40 डिग्री तापमान में (उत्पादन 20 से 22 डिग्री में ही संभव) सौ पैकेट मशरूम से अपने व्यवसाय की शुरुआत की थी। उन्होंने खाली पड़े खंडहरों, मकानों में मशरूम उत्पादन शुरू किया। इसके बाद कर्णप्रयाग, चमोली, रुद्रप्रयाग, यमुना घाटी की विभिन्न गाँवों की महिलाओं को इस काम से जोड़ा। उन्होंने जितनी गंभीरता से मशरूम के उत्पादन पर ध्यान दिया, उतनी ही मेहनत से इसकी मार्केटिंग भी की। अब तो प्रदेश सरकार ने उनके कार्यक्षेत्र रवाई घाटी को मशरूम घाटी घोषित कर दिया है।
कंपनी का टर्नओवर लाखों में
वर्ष 2014 में दिव्या ने सोलन स्थित ‘मशरूम प्रोडक्शन टेक्नोलाॅजी फॉर आंत्रेप्रेन्योर द डायरेक्टर अॉफ मशरूम रिसर्च’ से प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब दिव्या के प्लांट में वर्ष भर में तीन तरह के मशरूम का उत्पादन किया जाता है। सर्दियों में बटन, मिड सीजन में ओएस्टर और गर्मियों में मिल्की मशरूम। बटन एक माह, ओएस्टर 15 दिन और मिल्की 45 दिन में तैयार होता है। मशरूम के एक बैग को तैयार करने में 50 से 60 रुपये की लागत आती है, जो फसल देने पर अपनी कीमत का दो से तीन गुना मुनाफा देता है। दिव्या ने नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी और इग्नू से पढ़ाई की है। वह पिछले कुछ वर्षों से चमोली और आस-पास के जिलों में वृहद स्तर पर मशरूम की खेती कर रही हैं। दिव्या की कंपनी मंडियों में 80 से 160 रुपये प्रति किलों की दर से थोक में मशरूम की सप्लाई कर रही हैं।
नौजवानों को स्वरोजगार के लिये करती हैं प्रेरित
दिव्या कहती हैं
“नौकरी खोजने की क्या जरूरत है, इच्छाशक्ति हो तो हम घर बैठे स्वरोजगार से अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं। मेरा काम तो एक बेहतर शुरुआत भर है। मेरा सपना उत्तराखंड को ‘मशरूम स्टेट’ बनाना है।”
दिव्या सप्ताह में एक दिन अपनी गाड़ी में मशरूम की ट्रे रखकर शहर के अलग-अलग इलाकों में रोड शो के माध्यम से पढ़े-लिखे नौजवानों को स्वरोजगार के लिये प्रेरित करती हैं।