पुंछ: बाढ़ की भयावह तस्वीर

लोगों के व्यक्तिगत नुकसान के अलावा पुंछ जिले को संरचनागत नुकसान भी बहुत हुआ है। लोक निर्माण विभाग की 121 सड़कें इस बाढ़ की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। बिजली और पानी के हालात जिले में बहुत ही खराब स्थिति में हैं। बाढ़ की वजह से 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन के 15 टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमें से 12 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और 3 पानी के साथ बह गए। इसी तरह 33 केवी लाइन के 119 पोल क्षतिग्रस्त हुए जबकि 154 उखड़ गए और 143 पोल बाढ़ के साथ बह गए। हालांकि बिजली विभाग जिले में बिजली आपूर्ती को पुनर्स्थापित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है किंतु अन्य संरचनागत क्षतियों की वजह से ऐसा कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। ‘‘कोई उन्हें बचा नहीं पाया....वे पानी में बह गए...’’ ये चीखें थीं सात माह की गर्भवती फातिमा बी (28) की। चार बच्चों की मां फातिमा बी के पति मोहम्मद फारीद उनकी आंखों के सामने बह गए और अब बच गए हैं चार बच्चे और एक आने वाला जिनकी देख-भाल फातिमा को अकेले करनी है। मोहम्मद फरीद के 70 वर्षीय पिता वली मोहम्मद अपनी भरी हुई आंखों में अपने मृत बेटे के दुख को थाम कर बताते हैं, ‘‘प्रशासन तथा स्थानीय निवासियों ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई उसे नहीं बचा पाया। वह तीन दिन तक छत पर असहाय बैठा रहा और फिर बह गया।’’ मोहम्मद फरीद के भाई परवेज अहमद ने बताया, ‘‘उसने हम सब से जाने के लिए कहा और कहा कि वह बाद में आ जाएगा। लेकिन जब तक उसे खतरे का सही एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”

मोहम्मद फरीद और उनके परिवार की कहानी कोई अनोखी नहीं है। सितंबर माह की शुरुआत में जम्मू कश्मीर राज्य में आई बाढ़ ने पूरे राज्य में भयानक तबाही मचाई। हर तरफ बर्बादी का मंजर छाया हुआ है। पंद्रह दिन बीत जाने के बाद भी लोग जब उस दिन को याद करते हैं तो सिहर उठते हैं।

राज्य में आई इस बाढ़ ने जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया। पुंछ जिले के नगर मुख्यालय को बाकी जगहों से जोड़ने वाला शेर-ए-कश्मीर पुल टूट जाने के बाद से पुंछ शहर का अन्य जगहों से संबंध पूरी तरह से टूट गया। नदी के किनारों पर बने घर बह गए हैं। लोगों को गुज्जर ब्यॉज हॉस्टल में अस्थाई रूप से पनाह दी गई है। 125 गुज्जर लड़कों को मिलाकर मौजूदा समय में गुज्जर हॉस्टल 600 से ज्यादा लोगों के खाने का इतंजाम कर रहा है।

हॉस्टल के सहायक वॉर्डन जहांगीर इकबाल का कहना है कि मुश्किल तो बहुत हो रही है, लेकिन हम फिर भी कोशिश कर रहे हैं।

वीरता पुरस्कार प्राप्त भारतीय सेना से 19 वर्षों के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त नायक मोहम्मद खलिक भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इस बाढ़ में अपना सब कुछ खो दिया है। उन्होंने निकटवर्ती सेना की इकाई से संपर्क किया। सेना द्वारा उन्हें हर संभव मदद पहुंचाई गई। वह मदद इतनी थी कि वह गुज्जर हॉस्टल से बाहर निकल कर अपनी पत्नी समेत 4 बच्चों के साथ एक किराए के कमरे में आ सके।

नायक मोहम्मद फौज द्वारा दी गई सहायताओं के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हैं। 45 वर्षीय खलिक बताते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब उनके और उनके परिवार पर त्रासदी आई है। मिलिटेंसी के दौर में पुंछ से 76 किमी. दूर मेंढर स्थित उनके घर को मिलिटेंट्स ने जला दिया था जिसकी वजह से विस्थापित होकर पुंछ आना पड़ा था। अपने बाएं हाथ पर लगी गोली के निशान को दिखाते हुए खलिक पूरे गर्व से बताते हैं कि सेना अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने दिलो-जान से देश की सेवा की है। और अब जब उन्हें जरूरत है तो उन्हें उम्मीद है कि देश और सेना दोनों उनकी पूरी मदद करेगी।


कश्मीर में बाढ़कश्मीर में बाढ़अपना घर खो देने वाले खलिक जैसे पता नहीं कितने लोग आज राहत कैम्पों में बैठकर अपने आगे के भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। पुंछ जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार समूचे पुंछ जिले में लगभग 7868 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें से 604 पक्के घर पूरी तरह से और 584 कच्चे घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसी तरह से 1975 कच्चे घर पूरी तरह से और 4705 कच्चे घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।

शारीरिक रूप से विकलांग मोहम्मद रफीक ने अपना व्हीलचेयर और तीन कमरों का घर इस भयानक बाढ़ में खो दिया। 21 वर्षीय नजमा कौसर जिनके पति सदाकत हुसैन लकवे के मरीज हैं और तीन छोटी बेटियां है मदद की उम्मीद लिए हर दरवाजे को झांक रही हैं। ऐसी न जाने कितनी अनसुनी कहानियां हैं जो इस बाढ़ ने पैदा की हैं और जिनके पात्र इस इंतजार में हैं कि उन्हें कब सुना जाएगा।


कश्मीर में बाढ़कश्मीर में बाढ़लोगों के व्यक्तिगत नुकसान के अलावा पुंछ जिले को संरचनागत नुकसान भी बहुत हुआ है। लोक निर्माण विभाग की 121 सड़कें इस बाढ़ की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। बिजली और पानी के हालात जिले में बहुत ही खराब स्थिति में हैं। बाढ़ की वजह से 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन के 15 टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमें से 12 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और 3 पानी के साथ बह गए। इसी तरह 33 केवी लाइन के 119 पोल क्षतिग्रस्त हुए जबकि 154 उखड़ गए और 143 पोल बाढ़ के साथ बह गए। हालांकि बिजली विभाग जिले में बिजली आपूर्ती को पुनर्स्थापित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है किंतु अन्य संरचनागत क्षतियों की वजह से ऐसा कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। फिर भी बिजली विभाग के तमाम प्रयासों से इलाके में लोगों को कम-से-कम एक-दो घंटे की बिजली मिल जा रही है।

हालांकि ऐसी विषम परिस्थितियों में पुंछ का जिला प्रशासन आम लोगों को राहत पहुंचा सकने की पूरी कोशिश कर रहा है। लोगों को जितना संभव है विभिन्न राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। ईदगाह, अखाड़ा मंदिर, गुज्जर ब्याज हॉस्टल हर जगह प्रभावितों को शरण दी जा रही है। पुंछ प्रशासन ने अब तक सभी तहसीलों में 381 टेंट, 1241 कंबल और 933 गद्दे बांटे हैं।

पुंछ जिला प्रशासन ने राहत के लिए सभी सामाजिक संस्थाओं से यह अपील भी की है कि वह बिना किसी योजना के राहत सामग्री न बांटे इससे अफरा-तफरी और सभी को समान सामग्री न मिल पाने का डर है। उनका कहना है कि राहत सामग्री के लिए प्रशासन से संपर्क किया जाए जिससे की राहत सामग्रियां ज्यादा सुनियोजित ढंग से बांटी जा सके।

इस विपदा की घड़ी में पुंछ प्रशासन और सेना द्वारा लोगों की सहायता करने का हर संभव प्रयास किया गया जो कि काबिले तारीफ है किंतु अभी पूरे ही जम्मू कश्मीर राज्य के सामने एक बहुत बड़ा प्रश्न मुंह बाए खड़ा है और वह इन बेघर हुए लोगों का पुनर्वास और पूरे ही राज्य का पुनर्निर्माण। पूरे जम्मू कश्मीर राज्य की जनता अपने भविष्य के लिए अपनी सरकारों की तरफ उम्मीद लगा कर बैठी है। अब देखना है कि आने वाले दिनों में क्या धरती का स्वर्ग अपनी पुरानी रौनक और शान को पुनः प्राप्त कर पाएगा।

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