फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

fluoride in water
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फ्लोराइड की समस्या दिन-प्रतिदिन अलग रूप लेती जा रही है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए गए कार्यों के चलते जरुर कुछ राहत हुई थी किंतु अब ढर्रा बिगड़ चुका है। तिरला विकासखंड के ग्राम हिम्मतगढ़ में मंगूबाई व भगवान सिंह ने बताया कि उनके गाँव में लगे हैंडपंप से पानी पीना मजबूरी है। फ्लोराइड की समस्या को दूर नहीं किया गया है। धार। फ्लोराइड की समस्या को बहुत ही हल्के तौर पर लिया जा रहा है। बच्चों के साथ-साथ बड़ों पर भी फ्लोरोसिस का असर हुआ है। गाँव के जिन फलियों में बच्चों को शुद्ध पानी पीने को मिलना चाहिए वह इसलिए उपलब्ध नहीं हो रहा है क्योंकि व्यवस्था को चलाने के लिए ग्राम पंचायत ध्यान ही नहीं देती है।

आदिवासी अंचल के ग्रामों में हालात यह है कि पुराने फिल्टर युक्त हैंडपंप अब जमींदोज कर दिए गए है। इन पर लगे कीमती फिल्टर के सारे सामान चोरी हो चुके है। इधर फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में गहरे नलकूप खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद नलकूप खनन का कार्य किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप हजारों रुपए बर्बाद हो रहे हैं।

फ्लोराइड की समस्या दिन-प्रतिदिन अलग रूप लेती जा रही है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए गए कार्यों के चलते जरुर कुछ राहत हुई थी किंतु अब ढर्रा बिगड़ चुका है। तिरला विकासखंड के ग्राम हिम्मतगढ़ में मंगूबाई व भगवान सिंह ने बताया कि उनके गाँव में लगे हैंडपंप से पानी पीना मजबूरी है।

फ्लोराइड की समस्या को दूर नहीं किया गया है। सरकार ने हैंडपंप के पास में कुछ वर्ष पहले फिल्टर लगाया था वह महज औपचारिकता भर साबित हुआ। इधर ग्राम मोहनपुरा के नजदीकी फलिए में कुछ समय पहले ही नया हैंडपंप खोदा गया।

उल्लेखनीय है कि फ्लोराइड की समस्या वाले क्षेत्र में इस तरह का खनन नहीं होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि वहाँ पर हैंडपंप खोदकर सरकार का कीमती पैसा बर्बाद करना है। इसके बावजूद यहाँ पर कुछ समय पहले ही हैंडपंप खोदा गया परिणामस्वरूप पानी में फ्लोराइड की मात्रा प्राप्त हुई।

हालाँकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का कहना है कि हम इस ओर ध्यान देंगे। साथ ही पानी की गुणवत्ता को भी जाँचा जाएग। फिल्ड टेस्ट के अलावा हम लेबोरेटरी में परीक्षण करवाएँगे जिससे कि गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।

इधर तिरला विकासखंड के चमारी में भी इसी तरह की स्थिति बनी है। यहाँ पर लोग हैंडपंप का उपरी हिस्सा निकालकर इधर-उधर फेंक चुके है। फ्लोराइड से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते है। इसकी वजह यह है कि बच्चे पौष्टिक आहार उस मात्रा में नहीं ले पाते है जितना कि उन्हें लेना चाहिए इसलिए वे अपने घर के पास जिस हैंडपंप का पानी पीते है उसका उन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

यही स्थिति धरमपुरी, सरदारपुर विकासखंडों की भी है जहाँ पर फ्लोराइड से लड़ने वाली जंग में सब कुछ पिछड़ चुका है। हालात यह है कि हैंडपंप को जमींदोज तक कर दिया गया है। नए-नए उपाय करने की बात की जा रही है किंतु पुराने उपायों पर लापरवाही बरती जा रही है।

अपवाद स्वरूप हो सकता है


लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री कोमल प्रसाद ने बताया कि स्कूल में जो फिल्टर दिए हैं उनको लेकर हम सहायक यंत्रियों को निर्देश देकर व्यवस्था ठीक करवाएँगे। इसके अलावा फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में यदि हैंडपंप खनन होता है तो वह अपवाद हो सकता है। ऐसे हैंडपंप का पानी लेबोरेटरी में परीक्षण करवाया जाएगा। पुराने हैंडपंपों की दशा को भी देखा जाएगा।

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