साहेब बांध के बड़ा तालाब बनने की कहानी

Published on
2 min read

कुछ साल पहले यहां बोटिंग भी शुरू हुई थी। तालाब के बीच में एक कैफेटेरिया भी खुला था, लेकिन कालांतर में सब बंद हो गया। बड़ा तालाब से रांची पहाड़ी मंदिर तक रोप वे बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने की एक अच्छी योजना बनी थी। लेकिन यह योजना सरजमीं पर उतर नहीं पायी। बड़ा तालाब आज भी एक अदद उद्धारकर्ता की बाट जो रहा है।

किसी जमाने में रांची का बड़ा तालाब अपने सौंदर्य के लिए विख्यात था। इसका गुणगान अंग्रेज शासक तक करते थे। शुरुआती दिनों में तालाब के चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे इटैलियन पेड़ों की छाया लैंप पोस्टों की रोशनी में तालाब के सतह पर आकर्षक छटा बिखेरते थे। तालाब के चारों ओर रोशनी के लिए लैंप पोस्ट लगे हुए थे। इसे साहेब बांध भी कहा जाता है। रांची के प्रथम डिप्टी कमिश्नर राबर्ट ओस्ले ने जेल से आदिवासी कैदियों को जेल से लाकर तालाब को 1842 में खुदवाया था। इस तालाब से आदिवासियों की भावना जुड़ी हुई है। तालाब खुदायी में आदिवासी मजदूरों को मेहनताना भी नहीं दिया था। पालकोट के राजा से राबर्ट ओस्ले ने तालाब के लिए जबरन जमीन कब्जा किया था।

बड़ा तालाब जहां शहर की शोभा में चार चांद लगाता था वहीं भूगर्भ जल स्तर बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होता रहा है। लोग यहां स्नान-ध्यान और धार्मिक अनुष्ठान तक किया करते थे। हालांकि अभी भी छठ महापर्व के दिन तालाब की छटा देखते बनती है। शहर की हजारों की आबादी यहां भगवान भुवन भाष्कर को अर्घ्य देने पहुंचती है। तालाब की बायीं छोर पर बड़ा सा तोरणद्वार आज भी खड़ा है। कई किनारों पर घाट बना हुआ है।

निर्मल जल के कारण साइबेरियन पक्षियों का कभी बसेरा था यह तालाब। अब तो बगुले भी इधर झांकना अपनी तौहीन समझते हैं लेकिन अब विभिन्न नाले नालियों के जरिये शहर का गंदा पानी इस तालाब में आता है। पानी पीने लायक नहीं रह गया है। आसपास के मुहल्लों का कचड़ा भी इसी तालाब के किनारे फेंका जाता है। तालाब की गहराई भी लगातार कम होती जा रही है। जल स्तर काफी कम हो गया है। भू माफिया भी तालाब के किनारों पर कब्जा जमा चुके हैं। इसका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है।

रांची नगर निगम ने कई बार इसके सौंदर्यीकरण के बारे में कई बार योजनाएं बनायी। परामर्शी तक बहाल करने की बात हुई लेकिन बड़ा तालाब आज भी जस के तस है। कुछ साल पहले यहां बोटिंग भी शुरू हुई थी। तालाब के बीच में एक कैफेटेरिया भी खुला था, लेकिन कालांतर में सब बंद हो गया। बड़ा तालाब से रांची पहाड़ी मंदिर तक रोप वे बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने की एक अच्छी योजना बनी थी। लेकिन यह योजना सरजमीं पर उतर नहीं पायी। बड़ा तालाब आज भी एक अदद उद्धारकर्ता की बाट जो रहा है।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org