सर्दी में सूखे जैसे हालात से किसान चिन्तित

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हिमाचल प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति से किसानों-बागवानों के साथ आम लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। मौसम के तेवर आने वाले दिनों में भी ऐसे ही रहे तो लोगों को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी। इसका असर खेती व बागवानी पर पड़ने के साथ-साथ लोगों की सेहत पर भी पड़ेगा। अगर जल्द बारिश व बर्फबारी नहीं होती है तो गर्मियों में पेयजल किल्लत के साथ बिजली संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। प्रदेश की आबादी का बड़ा हिस्सा जीवन-यापन के लिये खेती-बागवानी पर निर्भर है। बारिश-बर्फबारी न होने से सेब आर्थिकी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सेब की फसल तैयार होने के लिये जो जरूरी चिलिंग आवर्स चाहिए वे बर्फबारी न होने से नहीं मिल पायेंगे। इससे फ्लावरिंग प्रभावित होगी और सेब का साइज भी नहीं बन पायेगा।

किसानों ने रबी फसलों की बिजाई तो कर दी, लेकिन जमीन में इतनी नमी नहीं हो पाई कि बीज को पौधे में बदल सके। प्रदेश के साठ फीसद क्षेत्र में रबी की फसलों की बिजाई के बाद फसलें उग नहीं पाई हैं। फसल को दस फीसद से अधिक नुकसान का अनुमान विशेषज्ञ लगा रहे हैं। अगर जल्द बारिश न हुई तो नुकसान बहुत बढ़ जायेगा। कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाये तो प्रदेश के लोग खेती के लिये बारिश पर ही निर्भर हैं। लोगों को खुश्क खाँसी और वायरल बुखार से भी जूझना पड़ रहा है।

विपक्ष ने दिखाये तेवर

धर्मशाला के तपोवन स्थित प्रदेश की दूसरी विधानसभा में चार दिन तक चले सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में खूब तकरार हुई। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष अधिक हमलावर दिखा। विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री, विधायक आशा कुमारी व रामलाल ठाकुर ने सत्ता पक्ष को घेरने का प्रयास किया। सत्ता पक्ष की ओर से मुख्यमंत्री जयराम के साथ-साथ उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी बचाव करते नजर आये। विपक्ष ने नई सरकार पर संघ के दखल के आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता की गाड़ी के स्टीयरिंग पर मुख्यमंत्री जयराम बैठे हैं जबकि गियर कोई और ही डाल रहा है इसके जवाब में स्वयं मुख्यमंत्री ने मोर्चा सम्भालते हुए कहा कि स्टीयरिंग मेरे पास है और गियर भी मैं ही डालूँगा। विपक्ष को नसीहत दी कि चिन्ता मत कीजिये आपको सरकार की यह गाड़ी सही स्टेशन तक पहुँचायेगी। मुख्यमंत्री राहत कोष में सिर्फ दो लाख छोड़ने पर विपक्ष ने कहा कि हमने यह राशि जुटाई थी, लिहाजा खर्च करना भी हमारा ही अधिकार था।

पहाड़ को जख्म दे रही आग

हिमाचल में सर्दियों में आग के मामले बढ़ गये हैं। एक सप्ताह में आग के कई मामले सामने आ चुके हैं। सबसे दर्दनाक मामला चम्बा जिला के चुराह उपमंडल में हुआ। यहाँ करेरी पंचायत के कठवानी गाँव में आग लगी। जिस गोशाला में आग लगी, उसके पास तीन बच्चे खेल रहे थे। गलती से बच्चे गोशाला के अन्दर चले गये। दो बच्चों की जलकर मौत हो गई। एक बच्ची को गम्भीर हालत में कॉलेज रेफर किया गया है। दूसरा मामला शिमला जिला की ननखड़ी तहसील में हुआ। गहान पंचायत में आग से 43 कमरे व देवता का दोमंजिला मन्दिर भी जल गया। इससे 11 परिवार बेघर हो गये। प्रदेश में शिमला व अन्य जगहों पर जंगली आग की घटनाएँ सामने आ रही हैं। शिमला में दो लोगों की मौत झुलसने से हो चुकी है। कुल्लू जिले की दलाश पंचायत के गोहाण गाँव में जंगल की आग से दो महिलायें झुलस गईं। इनमें एक की हालत गम्भीर है। गाँव की तरफ बढ़ रही आग को बुझाते समय महिलायें उसकी चपेट में आ गई। प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आग की घटनाओं से ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि अधिकतर जगह आग बुझाने की गाड़ियाँ नहीं पहुँच पाती हैं।

अफसरशाही में बदलाव

सत्ता बदलने के साथ ही हिमाचल प्रदेश की नई सरकार ने अफसरशाही ताश के पत्तों की तरह फेंटकर रख दी है। पहले 10 जिलों के उपायुक्त बदलने गये, फिर पुलिस अधीक्षक। अब गत मंगलवार को देर रात 11 आईएएस अधिकारियों व 91 एचएएस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है। सत्ता सम्भालने के बाद जयराम सरकार का यह सबसे बड़ा प्रशासनिक फेरबदल रहा। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई जिलों में उपायुक्त रहे संदीप का 10 दिन में दूसरी बार तबादला किया गया। उन्हें पहले महिला एवं बाल कल्याण विभाग में निदेशक नियुक्त किया गया था।

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