सरयू नदी में भारी मशीनों से खनन पर हाईकोर्ट की रोक
सरयू नदी में भारी मशीनों से खनन पर हाईकोर्ट की रोक

सरयू नदी में भारी मशीनों से खनन पर हाईकोर्ट की रोक

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राष्ट्रीय सहारा, 25 मार्च 2020

उत्तरखंड उच्च न्यायालय ने सरयू नदी (बागेश्वर) में खनन के लिए भारी मशीनों के प्रयोग पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। 

मंगलवार को यह निर्देश बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्वे की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कहना है कि उपजिलाधिकारी बागेश्वर द्वारा नौ मार्च को एक निविदा प्रकाशित की थीं।  इसमें स्थानीय व्यक्ति एवं संस्थाओं को सरयू नदी में रेता उपखनिज के निस्तारण उठान हेतु खुली नीलामी के लिए आमंत्रित किया गया था।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिला प्रशासन माफिया को लाभ पहुंचाने व बड़ी मशीनों से नदी का स्वरूप ही बदलने का काम करने वाला है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि आज दिन तक सरयू नदी में बिना मशीनों के लिए चुगान होता आया है। इस नदी में जमा रेता बजरी से भू कटाव का अंदेशा भी नहीं है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि 19 मार्च तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी तथा खुली नीलामी 20 मार्च को की जानी थी।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि प्रशासन द्वारा 20 मार्च को खुली नीलामी कर दी है। नीलामी को निरस्त करने के लिए स्थाीय लोगों द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी  बागेश्वर को 13 मार्च को संयुक्त प्रत्यावेदन भी दिया जा चुका था, लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका द्वारा नौ मार्च को जारी निविदा विज्ञापन व खुली नीलामी को चुनौती दी गई है।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि कठायतबाड़ा, सेंज, द्वाली, चैरासी, भिटालगांव, मनीखेत और आरे क्षेत्र से सरयू नदी पर मैन्युअल चुगान से बजरी रेता का निष्पादन हो, जिस से स्थानीय लोगों को न सिर्फ रोजगार मिलेगा, बल्कि नदी भी अपने प्राकृतिक रूप में सुरक्षित रहेगी। प्रशासन द्वारा बड़े खनिज माफिया को इसमें आमंत्रित करके पवित्र नदी को बहुत क्षति पहुंचेगी, जहां मशीनों द्वारा खनन से अनेक पुलों व पानी के पंप को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि सरयू नदी में रेता बजरी की मात्रा के बिना आंकलन के ही नियम विरुद्ध नीलामी की जा रही है। यह नीलामी उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति 2020 के प्रावधनों के विपरीत है।

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