स्वच्छ जल मनुष्य का मौलिक अधिकार: संयुक्त राष्ट्र

16 Oct 2010
0 mins read

नई दिल्ली. 29 जुलाई 2010। संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित कर स्वच्छ जल और सफाई को मनुष्यों का मौलिक अधिकार घोषित किया है. संयुक्त राष्ट्र की महासभा में बोलिविया ने इस आशय में प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव के पक्ष में 126 देशों ने मतदान किया वहीं 46 देशों के प्रतिनिधि मतदान के दौरान गैर-हाज़िर रहे जिनमें अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश प्रमुख हैं. वहीं किसी भी सदस्य देश द्वारा इसका विरोध नहीं किए जाने से ये प्रस्ताव पारित कर दिया गया. हालांकि इस प्रस्ताव को लागू करना किसी भी राष्ट्र के लिए बाध्यता नहीं है.

बोलिविया ने इस प्रस्ताव में कहा है कि सुरक्षित और स्वच्छ पेय जल और सफाई मौलिक अधिकार है जो जीवन के अधिकार का उपयोग करने के लिए अनिवार्य है. प्रस्ताव के मसौदे में यह भी बताया गया कि विश्वभर में 88 करोड़ 40 लाख लोगों को पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता और करीब 2.6 अरब लोगों को शौचालय व्यवस्था नहीं मिलती. संयुक्त राष्ट्र के ही एक और आंकड़े के अनुसार हर साल 15 लाख बच्चे पानी और गंदगी से होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं.

इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट के सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह आग्रह किया गया है कि वह गरीब देशों के हर नागरिक के लिए स्वच्छ और किफायती पेय जल के प्रयासों में मदद के लिहाज से उनको आर्थिक सहायता प्रदान करें. अधिकतर विकसित देशों ने इस प्रस्ताव का बहिष्कार सहायता देने की वचनबद्धता किस तरह की होगी की अस्पष्टता होने के कारण किया. वहीं चीन, ब्राजील और भारत जैसे विकासशील देशों ने प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया.

रविवार.कॉमरविवार.कॉम
 
Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading