उत्तर प्रदेश में आर्सेनिक का कहर

25 Nov 2016
0 mins read
उत्तर प्रदेश के गाँवों में जहर बाँटता हैण्डपम्प
उत्तर प्रदेश के गाँवों में जहर बाँटता हैण्डपम्प


पानी में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ने की बात अब केवल पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों तक सीमित नहीं है। पूरे देश में आर्सेनिक का फैलाव न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि इसका दुष्प्रभाव भी देखने को आ रहा है। देश में बढ़ते आर्सेनिक ने जहाँ मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है वहीं पर अभी भी शासन इसके रोकथाम पर उतना संजीदा नहीं है जितना जरूरी है।

देश के अधिकांश राज्यों के भूजल में आर्सेनिक घुला है। जिससे देश में ग्राउंड वाटर पर निर्भर करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मँडरा रहा है, क्योंकि कई जगहों पर पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी ज्यादा है। संसदीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 12 राज्यों के 96 जिलों के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक की मात्रा काफी ज्यादा है।

रिपोर्ट के मुताबिक छह राज्यों के 35 जिलों में सात करोड़ से ज्यादा लोग इसके असर में हैं। अभी कुछ महीने पूर्व संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्सेनिक से सबसे ज्यादा प्रभावित 20 जिले उत्तर प्रदेश के हैं। जबकि असम के 18, बिहार के 15, हरियाणा के 13, पश्चिम बंगाल के आठ और पंजाब के छह जिलों में आर्सेनिक की मौजूदगी बड़ी समस्या बनी हुई है।

संसद की एस्टिमेट कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिये भारत सरकार के पास कोई योजना नहीं है। न ही भारत सरकार के पास पूरे देश के बारे में विस्तृत आँकड़े हैं। भूजल में आर्सेनिक सीमा से ज्यादा होने से कैंसर, लिवर फाइब्रोसिस, हाइपर पिगमेन्टेशन जैसी लाइलाज बीमारियाँ होती हैं। यानि, खतरा बड़ा है और भारत सरकार को बड़े स्तर पर जल्दी पहल करनी होगी।

खतरे का दायरा सिर्फ पीने के पानी तक ही सिमटा हुआ नहीं है। हवा में बढ़ता प्रदूषण भी खतरे की घंटी बजा चुका है। उत्तर प्रदेश में तराई और पूर्वांचल के जिले आर्सेनिक से ज्यादा प्रभावित हैं। बलिया जनपद के 301 गाँवों में आर्सेनिक की मात्रा काफी बढ़ गयी है। बलिया के दोआबा क्षेत्र के चार ब्लाकों का भूजल आर्सेनिक युक्त ही नहीं विभिन्न तरह की बैक्टीरिया से भी ग्रसित है। ऐसे में यहाँ के लोगों को संक्रमण वाली बैक्टीरिया का भी कहर झेलना पड़ रहा है। अभी हाल ही में लखनऊ से आई जाँच टीम ने इसका खुलासा किया था।

रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर लखनऊ (सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र) पेयजल विशेषज्ञ हृदयानंद यादव व टीए अंसारी की टीम ने मुरलीछपरा ब्लाक के 2700 हैण्डपम्प, बैरिया के 1792 हैण्डपम्प, रेवती 1750 हैण्डपम्प व बेलहरी ब्लाक में 60 हैण्डपम्पों के पानी का परीक्षण किया था जिसमें पाया गया कि सबसे अधिक मुरलीछपरा के दलन छपरा, बहुआरा, धतुरी टोला, बैरिया, रेवती के हुसेनाबाद व बेलहरी के गंगापुर के तिवारी टोला का पानी प्रभावित है। इन जगहों पर आर्सेनिक के साथ ही बैक्टीरिया का प्रभाव अधिक मिला।

नेवादा के मजरे जोगी का पुरवा में हैण्डपम्प का दूषित पानीजल विशेषज्ञ हृदयानंद यादव व टीए अंसारी का कहना है कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से किनारे बसे गाँवों के हैण्डपम्पों में आर्सेनिक का सही आँकड़ा नहीं मिल पा रहा है। परीक्षण का क्रास जाँच करने आये प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर अर्जुन सिंह ने भी क्षेत्र में जाकर नमूना लिया व बताया कि वास्तव में जिले के लिये बैक्टीरिया नासूर बनता जा रहा है। आर्सेनिक प्रभावित जिले के लोगों को इससे बचाने के लिये अब तक के किये गए सारे प्रयास लगभग व्यर्थ ही साबित हुए हैं।

इस रोग से लोगों को बचाने के लिये अब विकल्प के रूप में सिर्फ सतही जल (सरफेस वाटर) आधारित पेयजल योजना ही विकल्प है। जनपद को इस बीमारी से बचाने के लिये हो रहे गम्भीर प्रयास के क्रम में विभाग ने सरफेस वाटर आधारित पेयजल योजना का प्रस्ताव शासन को प्रस्तावित है। जलनिगम की इस योजना को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है। पाँच सौ करोड़ की इस योजना को शासन ने लगभग स्वीकार भी कर लिया है।

इधर, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मामलों की केन्द्रीय मंत्री उमा भारती कहती हैं कि वह पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश के आर्सेनिक प्रभावित जिलों में आर्सेनिक के बढ़ने के कारणों का पता लगाएँगी व उसके निदान की व्यवस्था करेंगी। जल संसाधन मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक देश के 86 जिले आर्सेनिक और 282 जिले फ्लोराइड से प्रभावित हैं।

जल में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ने और जलस्तर के गिरने की बात केवल भारत तक सीमित नहीं है। दुनिया भर में गिरता हुआ जलस्तर चिन्ता का विषय है। भारत समेत पूरी दुनिया में आज जल संरक्षण चिन्ता का प्रमुख विषय है। इस समस्या से लड़ने में हमें अपनी प्राचीन पद्धतियों को फिर से खोज करनी होगी, क्योंकि ये पद्धतियाँ सदियों से हमारे यहाँ जलस्तर को बनाए रखने में मददगार रही है।

जल विशेषज्ञों का कहना है कि आज जरूरत इस बात की है कि हम इन प्राचीन पद्धतियों के साथ-साथ नई तकनीक का भी तालमेल बैठाएँ ताकि जलसंरक्षण का हमारा पावन उद्देश्य पूरा हो सके। गुजरात जैैसे राज्यों में जल संरक्षण के सफल प्रयोग चल रहा है। इसे देश के अन्य भागों में लागू किये जाने पर भी विचार होना चाहिए।

हमें यह सोचना है कि हम नदियों के सहयोगी कैसे बनें और यह भी कि नदियाँ हमारी सहयोगी कैसे बनें। नदियों के साथ-साथ हिमालय की बर्फीली चोटियों पर भी प्रदूषण बढ़ रहा है। पानी के अक्षय स्रोत ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, जिसका हमें निराकरण करना होगा। नदी सरंक्षण मामलों में हमें यूरोप से बहुत कुछ सीखना है। विशेषकर उनके पारम्परिक उपायों से जो उनकी संस्कृति का भी हिस्सा बन गए हैं।

 

 

 

TAGS

arsenic in drinking water in india in hindi, water pollution with arsenic is maximum in which indian state in hindi, arsenic contamination in groundwater in hindi, arsenic contamination meaning in hindi, arsenic availability in india in hindi, arsenic contamination in uttar pradesh in hindi, in which parts of india groundwater is affected with arsenic contamination in hindi, groundwater arsenic contamination in india vulnerability and scope for remedy in hindi, arsenic in uttar pradesh in hindi, arsenic contamination in uttar pradesh in hindi, arsenic poison in uttar pradesh in hindi, information about arsenic poisoning in groundwater in hindi, causes of arsenic pollution in hindi, arsenic contamination of groundwater in bangladesh in hindi, arsenic in drinking water in india in hindi, arsenic pollution in west bengal in hindi, arsenic pollution effects in hindi, arsenic pollution wikipedia in hindi, arsenic in drinking water impact on human health in hindi, arsenic affected districts in west bengal in hindi, what is arsenic contamination in hindi, arsenic pollution in india in hindi, arsenic pollution in west bengal in hindi, arsenic pollution effects in hindi, arsenic contamination meaning in hindi, arsenic pollution in west bengal pdf in hindi, arsenic contamination in soil in hindi, arsenic pollution in groundwater ppt in hindi, arsenic problem in bangladesh paragraph in hindi, paragraph arsenic pollution in hindi, arsenic problem in bangladesh composition in hindi, arsenic problem in bangladesh essay in hindi, Essay on arsenic contamination in hindi, nibandh on arsenic contamination in hindi.

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading