विष्णु नगरी में फ्लोराइड का धब्बा


पानी में फ्लोराइड की सुरक्षित मात्रा प्रति लीटर 1 मिलीग्राम है। पानी में अधिकतम 1.5 मिलीग्राम फ्लोराइड स्वीकार्य मात्रा है लेकिन जाँच में कई जगहों पर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 2 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है। कहीं-कहीं तो पानी में फ्लोराइड की मात्रा 3 मिलीग्राम से अधिक मिली है। मसलन आमस ब्लॉक के करमैन गाँव के बेलदारबीघा, करमैन और मुरगीबीघा टोले में 3 मिलीग्राम से अधिक फ्लोराइड पाया गया है। मुरगीबीघा टोले में 3.70 मिलीग्राम फ्लोराइड मिला है।

बिहार की राजधानी से दक्षिण की तरफ 100 किलोमीटर दूर स्थित है ऐतिहासिक क्षेत्र गया। गया को विष्णु नगरी और ज्ञान की नगरी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं की मानें तो बलशाली गयासुर का वध करने के लिये भगवान विष्णु ने यहाँ अवतार लिया था। कहा जाता है कि गयासुर के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम गया रखा गया। विष्णु के जहाँ पैर पड़े थे, वहीं विष्णुपद मन्दिर स्थित है। गया में ही गौतम बुद्ध को ज्ञान मिला था। कहा तो यह भी जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अपने पितरों को पिण्डदान करने के लिये गया आये थे।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी गया का बहुत महत्त्व है क्योंकि कई राजवंशों के शासनकाल में यह क्षेत्र खूब फूला फला। इतिहासकारों की मानें तो मौर्यवंश के शासक अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया था और गया में आकर बौद्ध मन्दिर बनवाया था। गुप्तवंश के शासक समुद्रगुप्त ने अपने शासनकाल में गया को राजधानी बनाया था।

चुनांचे कह सकते हैं कि गया का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व बहुत है, लेकिन इन महत्त्वों के बीच एक कड़वा सच यह भी है कि यहाँ रहने वाली एक बड़ी आबादी फ्लोराइड की जद में है।

यहाँ के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से अधिक है जो लोगों को बीमार कर रहा है लेकिन सरकारी स्तर पर इससे निबटने के लिये अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

हाल ही में बिहार सरकार के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से भूजल की जाँच की गई जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। गया जिले के लगभग 18 ब्लॉक के गाँवों के पानी की जाँच में कई गाँवों में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से बहुत अधिक पाई गई है।

गौरतलब है कि पानी में फ्लोराइड की सुरक्षित मात्रा प्रति लीटर 1 मिलीग्राम है। पानी में अधिकतम 1.5 मिलीग्राम (प्रतिलीटर) फ्लोराइड स्वीकार्य मात्रा है लेकिन जाँच में कई जगहों पर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 2 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है। कहीं-कहीं तो पानी में फ्लोराइड की मात्रा 3 मिलीग्राम से अधिक मिली है। मसलन आमस ब्लॉक के करमैन गाँव के बेलदारबीघा, करमैन और मुरगीबीघा टोले में 3 मिलीग्राम से अधिक फ्लोराइड पाया गया है। मुरगीबीघा टोले में 3.70 मिलीग्राम फ्लोराइड मिला है। आमस ब्लॉक के ही अकौना गाँव के कम-से-कम तीन टोले ऐसे मिले जहाँ पानी में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से अधिक है। अकौना गाँव के बंकट पछियारी टोला, बंकट पुसारी तथा जीटी रोड की दक्षिण ओर के टोले के जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा क्रमशः 2.30 मिलीग्राम, 2.64 मिलीग्राम और 2.16 मिलीग्राम मिली है।

इसी ब्लॉक के बैदा गाँव के दो टोले बैदा और हरिजन टोले में पानी में फ्लोराइड की मात्रा लगभग 2.5 मिलीग्राम पाई गई है।

आमस ब्लॉक के बिसुनपुर गाँव के माढपर टोले में पानी में फ्लोराइड की मात्रा 2.30 मिलीग्राम मिली है जबकि बलियारी टोले में भूजल में 2.60 मिलीग्राम फ्लोराइड पाई गई है। इसी ब्लॉक के राजपुर, सिहुली, तेतरिया, रामपुर, चकरा, बैताल गाँवों में फ्लोराइड की मात्रा सीमान्य से दोगुनी है।

अन्य ब्लॉकों में बांकेबाजार के धनेता गाँव के कमालपुर टोले में तो फ्लोराइड की मात्रा 4.25 मिलीग्राम मिली है जो गया में सबसे अधिक है। इस ब्लॉक के कम-से-कम 10 गाँव फ्लोराइड से बुरी तरह प्रभावित हैं।

वहीं, बाराचट्टी ब्लॉक के 7 गाँवों में फ्लोराइड की मात्रा 2 मिलीग्राम से 2.80 मिलीग्राम तक पाई गई है। डुमरिया और फतेहपुर ब्लॉक के हालत कुछ ठीक हैं क्योंकि डुरिया के एक गाँव और फतेहपुर के 4 गाँवों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक मिली है। वहीं नगर (चंदौती) ब्लॉक की बात करें तो यहाँ के भी अधिकतर गाँव फ्लोराइड की जद में हैं। इस ब्लॉक के चमंडी गांव के चमंडी और चूड़ामण बीघा टोले में एक लीटर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 3.6 मिलीग्राम से अधिक पाई गई है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जाँच रिपोर्ट की मानें तो इस ब्लॉक के 16 गाँवों के पानी में फ्लोराइड का असर है।

जाँच रिपोर्ट में बताया गया है कि नीमचक बथानी ब्लॉक के छह गाँवों में फ्लोराइड की मात्रा 2 मिलीग्राम से 3 मिलीग्राम के बीच है।

गौरतलब है कि बाहर के कुल 11 जिले फ्लोराइड से ग्रस्त हैं जबकि आर्सेनिक की चपेट में 13 जिले हैं। वहीं, 9 जिलों में आयरन का कहर है।

आयरन तो खैर उतना नुकसानदेह नहीं है लेकिन फ्लोराइड और आर्सेनिक जानलेवा हद खतरनाक है। आर्सेनिक के असर से कैंसर हो जाता है वहीं, फ्लोराइड हड्डी को बुरी तरह प्रभावित करता है।

गया की बात करें तो फ्लोराइड ग्रस्त इलाकों में पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।

बिहार सरकार ने सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल योजना शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें गाँवों में भी नल का जल पहुँचाने की योजना है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि नल से जो जल लोगों के घरों तक पहुँचाया जाएगा, या ऐसे ही।

पानी पर काम करने वाले लोक स्वराज संस्था के चंद्रभूषण कहते हैं, ‘सरकार की इस योजना में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि पानी को परिशोधित कर लोगों तक पहुँचाया जाएगा। अगर पानी को भूगर्भ से निकाल कर साफ किये बिना ही लोगों तक पहुँचाया जाएगा तो कोई फायदा नहीं होने वाला। जरूरी है कि सरकार पानी को परिशोधित कर लोगों तक पहुँचाए।’

बताया जाता है कि बिहार सरकार ने फ्लोराइड ग्रस्त क्षेत्रों के ट्यूबवेल में फ्लोराइड फिल्ट्रेशन किट लगाए थे लेकिन वे भी निष्क्रिय पड़े हुए हैं।

इधर, पता चला है कि बिहार सरकार ने वाटरएड नामक संस्था के साथ समझौते के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया जिसमें फ्लोराइडग्रस्त क्षेत्रों में साफ पानी पहुँचाया जाएगा।

प्रगति ग्रामीण विकास समिति के परियोजना समन्वयक पंकज कुमार ने कहा, ‘जहाँ पेयजल में फ्लोराइड है, वहाँ वाटरएड तकनीकी सहयोग देगा, ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके।’ उन्होंने कहा कि पानी को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिये जल चौपाल का कॉन्सेप्ट शुरू किया गया है। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के परियोजना समन्वयकइस समझौते के तहत जिन क्षेत्रों के पेयजल में फ्लोराइड या दूसरे तरह के हानिकारक तत्व हैं, वहाँ सरकार का जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से पेयजल मुहैया कराया जाएगा।

इस परियोजना पर काम बेहद सुस्त तरीके से चल रहा है। पंकज कुमार ने कहा, ‘जल चौपाल के माध्यम से हमलोग हानिकारक तत्वों से प्रभावित जलस्रोतों की शिनाख्त करते हैं और अलग-अलग रंगों से उन पर निशान बना दिये जाते हैं, ताकि लोग इन जलस्रोतों के पानी का इस्तेमाल न करें।’

फ्लोराइड व आर्सेनिक पर व्यापक पैमाने पर काम करन वाले प्रोफेसर तरित रायचौधरी ने कहा, ‘फ्लोराइड और आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में पूरी तरह परिशोधित पानी पहुँचाया जाना चाहिए ताकि बचे लोगों को इससे बचाया जा सके। सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे कि शीघ्र-अतिशीघ्र उन्हें राहत मिले।’

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