विश्व जल दिवस

2 Apr 2009
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22 मार्च, 2009 / संयुक्त राष्ट्र महासचिव-बान की मून का संदेश


जल हमारा मूल्यवान प्राकृतिक साधन है। पहले से अब कहीं अधिक जरूरी है कि हम सब मिलकर इसका प्रयोग बुद्धिमानी से करें, चूंकि संसार की बढ़ती आबादी अधिक मीठे पानी का उपयोग कर रही है किंतु जलवायु में परिवर्तन से अनेक क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता कम हो गई है क्योंकि हिमनद यानी ग्लेशियर पिंघल रहे हैं। वर्षा अब उतनी भविष्यवाचक नहीं रह गई है तथा बाढ़ और सूखा अधिक आम बन गए हैं। जल के प्रबंधन में अधिक एहतियात की जरूरत है तथा विभिन्न कार्यों के लिए इसकी आवश्यकता को संतुलित करना अब जरूरी बन गया है।

हमारी पृथ्वी का बहुत कुछ पानी चाहे वह धरती के नीचे हो या ऊपर, बहुत लोगों में बंट जाता है। दुनिया के 40 प्रतिशत लोग 263 नदी बेसिनों में से एक में रहते हैं। जिसमें दो अधिक देश भागीदार हैं। इन सीमित जल साधनों के बंटवारे पर आपसी बातों के दौरान विभिन्न पक्षों में अकसर संघर्ष के भी डर व्यक्त किए जाते हैं। राज्यों और समुदायों के बीच झगड़ों के लिए पानी एक उत्प्रेरक जरूर बना हुआ है।

इस वर्ष का विश्व जल दिवस ‘साझे का पानी, अवसरों में साझेदारी‘, विषय के रूप में मनाया जा रहा है। यह विषय इस बात को रेखांकित करता है कि सीमा पार के जल संसाधन किस प्रकार एकता को प्रोत्साहित कर सकते हैं। संसार भर में कम से कम 300 अंतर्राष्ट्रीय जल समझौते मौजूद हैं, कुछ जल समझौते ऐसे पक्षों के बीच हैं जो अन्य बातों को लेकर अकसर लड़ते ही रहते हैं। यह समझौते साझे के पानी के साधनों की संभाव्यता को द्रशाते हैं। ये समझौते आपसी विश्वास और शांति को किस प्रकार प्रस्फुटित कर सकते हैं, राजनीतिक इच्छा, एक उदार नीति का ढांचा, मजबूत आपसी रिश्ते हमें इस नींव पर निर्माण करने में सहायक होंगी जो सबके हित में है।

आज इस विश्व जल दिवस पर मैं सरकारों, सभ्य समाजों, निजी क्षेत्र और सभी स्टेक होल्डरों से अनुरोध करता हूं कि वें इसे समझने की कोशिश करें कि हमारा सामूहिक भविष्य इस बात पर निर्भर है कि हम अपने मूल्यवान और सीमित जल साधनों का इंतजाम किस तरह करते हैं।

Tags – World Water day, Massage of U N Secretary General Ban-Ki-Moon
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