वनों की परिभाषा बदलने पर सरकार से जवाब तलब

12 Feb 2020
0 mins read
वनों की परिभाषा बदलने पर सरकार से जवाब तलब
वनों की परिभाषा बदलने पर सरकार से जवाब तलब

दैनिक जागरण, 12 फरवरी, 2020

हाईकोर्ट ने वनों की परिभाषा बदलने के मामले में सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने साफ किया है कि यदि 26 फरवरी तक जवाब दाखिल नहीं किया गया तो प्रमुख सचिव व पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से तलब होना पड़ेगा।

मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में नैनीताल के पर्यावरणविद प्रो.अजय रावत व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा था, लेकिन आज तक सरकार की तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया गया। प्रो. रावत के साथ ही नैनीताल के विनोद पांडे व रेनू पाल ने भी अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं। याचिका में 21 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में जहां दस हेक्टेयर से कम या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र हैं उनको वन की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा। उनको वन नहीं माना जाएगा। याचिका दायर करने वालों का कहना है कि यह न शासनादेश है, न ही कैबिनेट से पारित आदेश।

TAGS

forest uttarakhand, forest, forest hindi, forest meaning uttarakhand, uttarakhand, uttarakhand hindi, uttarakhand high court decisons on forest, environment, environement protection.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading