दहशत के बीच घाटियां

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सात मई को उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटों के लिए मतदान होना है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि इससे यात्रा में कोई परेशानी नहीं आएगी। केदारनाथ मंदिर परिसर से डेढ़ किलोमीटर दूर श्रद्धालुओं के रहने का इंतजाम किया गया है। यहां 500 से 1000 लोग रह सकते हैं।जून, 2013 में मौसम के कहर से भीषण तबाही के बाद पहली बार चारधामों में केदारनाथ धाम मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पूजा शुरू हो गई। चारधाम के लिए यात्रा शुक्रवार से ही शुरू हो चुकी है। चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड में जो भयंकर प्राकृतिक आपदा आई, उसे याद कर अब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ के दर्शन को जाते श्रद्धालु तूफानी बारिश, भूस्खलन में कागज की नाव जैसे बह गए।

सैकड़ों की संख्या में जानें गईं, लोग जमीन के नीचे दफन हो गए, परिजनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए, लापता हो गए। इस त्रासदी को आंकड़ों में तो पेश किया जा सकता है, किंतु उसके दर्द के शब्दों को बयां करना कठिन है, जिस मंदिर में दूर-दराज से आए भक्त कठिन यात्रा कर पूजा के लिए पहुंचते हैं, उसका परिसर भी बुरी तरह तबाह हो गया, लेकिन बारिश थमी, राहत कार्य युद्धस्तर पर चलाया गया, सेना, वायुसेना के जांबाजों ने दिन-रात की परवाह किए बगैर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वायुसेना के कुछ जवान इसमें शहीद भी हो गए। सरकार, गैर सरकारी संगठनों व स्वयंसेवी संस्थाओं ने पीड़ितों की हरसंभव मदद की और कुछ समय बाद मंदिर में पुन: पूजा प्रारंभ हुई। हालांकि इसे लेकर धर्म-गुरुओं में मतभेद भी रहा। बहरहाल, अब एक बार फिर चारधाम यात्रा की घंटियां बजने लगी हैं।

आपदा से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार सुरक्षा इंतज़ामों में काफी सतर्कता बरत रही है। सरकार का दावा है कि रास्ते भली-भांति तैयार हो गए हैं। दूरसंचार की अच्छी व्यवस्था है। पेट्रोलिंग और वॉच टॉवर के जरिए यात्रियों के आवागमन पर लगातार नजर रखी जाएगी। सात मई को उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटों के लिए मतदान होना है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि इससे यात्रा में कोई परेशानी नहीं आएगी। केदारनाथ मंदिर परिसर से डेढ़ किलोमीटर दूर श्रद्धालुओं के रहने का इंतजाम किया गया है। यहां 500 से 1000 लोग रह सकते हैं। लिंचोली में बड़ा हेलीपैड बनाया गया है, यहीं बेसकैम्प भी होगा।

हेलीपैड के पास गढ़वाल मंडल विकास निगम और मंदिर समिति का ऑफिस भी होगा। तीर्थयात्रियों को वहां सुबह से शाम तक मुफ्त भोजन दिया जाएगा। मंदिर परिसर में बिजली और पानी की सुविधा भी है। पांच मई को खुलने वाले बद्रीनाथ धाम के आस-पास के रिहायशी इलाकों और मंदिर परिसर के आस-पास जमी बर्फ हटाने का काम भी लगभग पूरा होने वाला है।

बद्रीनाथ धाम तक नेशनल हाईवे भी आने-जाने के लिए खुल गया है, लेकिन बद्रीनाथ पहुंचने से पहले रड़ाग बैड और उससे एक किलोमीटर के दायरे में बड़े-बड़े हिमखंड सड़क पर बड़ी रुकावट हैं और गाड़ियां फिलहाल इन्हीं हिमखंड़ों के बीच से बने रास्ते से गुजर रही हैं। सरकार के दावों से अलग इस आशय की खबरें प्राप्त हो रही हैं कि आवागमन व आवास व्यवस्था आदि की तैयारियां पूरी नहीं हुई हैं। यात्रा मार्गों पर कई जगह भूस्खलन क्षेत्र व खतरे के स्थान चिंता का सबब बने हुए हैं। बद्रीनाथ को जाने वाली सड़क जोशीमठ से आगे गोविंद घाट और बेनाकुली के बीच अब भी खतरनाक बनी हुई है। विष्णु प्रयाग हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के साथ इस इलाके में कई किलोमीटर तक सड़क का नामो-निशान मिट गया था।

नदी के किनारे भूस्खलन के मलबे के ऊपर काम चलाऊ सड़क बनी है, जहां कभी भी दुर्घटना हो सकती है, इसलिए सीमा सड़क संगठन को इस पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। यह सही है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित मंदिरों तक पहुंचने वाली सड़क का निर्माण व अन्य इंतजाम बारिश, बर्फबारी आदि के कारण बार-बार प्रभावित हुआ। विषम भौगोलिक परिस्थितियों से काफी अड़चन उत्पन्न हुई, पर बेहतर होता सरकार इन सबका अनुमान कर ही अपनी कार्ययोजना बनाती। चारधाम यात्रा तीर्थ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यहां के स्थानीय निवासियों के लिए अर्थोपार्जन का बड़ा जरिया भी है। गत वर्ष की आपदा से उत्तराखंड के पर्यटन व अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा था, जिससे बहुत से लोग अब भी उबर नहीं सके हैं। उन्हें सब कुछ सामान्य होने और चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के पहुंचने का इंतजार है ताकि जिंदगी पटरी पर आ सके।

सरकार उनके इंतजार को सार्थक बना सकती है। एवरेस्ट की ऊंचाई से लेकर महासागर की अतल गहराइयों को नापने का जोखिम मानव ने उठाया। समुद्र मार्ग, बर्फीली चोटियों और अनजाने रास्तों पर चलकर नए स्थानों की खोज की। निरंतर नए की तलाश में आगे बढ़ना इंसानी फितरत है। सात मई को उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटों के लिए मतदान होना है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि इससे यात्रा में कोई परेशानी नहीं आएगी। केदारनाथ मंदिर परिसर से डेढ़ किलोमीटर दूर श्रद्धालुओं के रहने का इंतजाम किया गया है। यहां 500 से 1000 लोग रह सकते हैं।

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