कोसी: पुरानी कहानी, नया पाठ

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भारत यायावर द्वारा संपादित फणीश्वरनाथ रेणु के चुनिंदा रिपोर्ताज रचनाओं के संग्रह से ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ रिपोर्ताज लिया गया है। रेणु रिपोर्ताज के काफी बड़े आयाम में बाढ़ फैला हुआ है। बाढ़ उनके जेहन में ऐसे फैला हुआ था कि रेणु घंटों-घंटों संस्मरण सुनाते रह सकते थे। ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ में रेणु ने कोसी की बाढ़ कथा को रिपोर्ताज के रूप में प्रस्तुत किया है।

गेरुआ पानी अर्थात पहाड़ का पानी-बाढ़ का पानी?
..धिन-तक-धिन्ना, धिन-तक-धिन्ना!
...छम्मक-कट-छम, छम्मक-कट-छम!
अब मृदंग-झांझ नहीं, गीत नहीं-सिर्फ हाहाकार!

कोसी में आई बाढ़ की वजह से पलायन करते लोग

पानी धीरे-धीरे घट रहा है!
गांव फिर से बस रहे हैं।
पूजा के ढोल बजने लगे, सभी ओर।
प्रस्तुति
भारत यायावर
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