न बरखा, न खेती
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की 70 प्रतिशत जनता कृषि से जुड़ी हुई है। भारतीय कृषि मानसून आधारित कृषि है। कृषि के लिए पानी की कोई भी व्यवस्था कर ली जाए लेकिन आसमान से वर्षा के रूप में ही पानी हमें मिलता है। इस बार कमजोर मानसून की वजह से सारी भविष्यवाणियां धरी की धरी रह गई हैं और देश में खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है। जहां एक तरफ लोग गर्मी से बेहाल हुए हैं वहीं दूसरी ओर बारिश कम होने से फसलें बर्बाद हो रही हैं। इस खतरनाक संकट के स्थिति का जायजा ले रहे हैं राजीव गुप्ता।
कमजोर मानसून की वजह से आने वाले समय में देश में सूखे जैसे हालात बनना लगभग तय हो गया है। अगर मौसम विभाग की माने तो इस वर्ष बारिश में अनुमान से 22 फीसदी की कमी रिकॉर्ड की गई है। सामान्य से 68 फीसदी बारिश कम होने की वजह से खराब मानसून का सबसे ज्यादा असर पंजाब पर पड़ा है। उत्तर भारत में 41 प्रतिशत कम बारिश हुई तो मध्य भारत में 25 प्रतिशत और दक्षिण भारत में 23 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गयी।