शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)
शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)

पटना नगर निकाय के दावे बेमानी

पूर्व अनुभवों से सबक लेते हुए फील्ड में काम करने वाले अधिकारी समीक्षा बैठक‚  तैयारी बैठक‚ ‘गर्दन बचाव' बैठक करने से नहीं चूक रहे।
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इस बार बरसात में राजधानी पटना की सड़कें और कॉलोनियां डूबीं तो ठीकरा किसके सिर फूटेगाॽ जब भी शहर डूबा है तो संबंधित विभागों ने एक दूसरे के सिर पर ही ठीकरा फोड़ा है। शहर डूबने या डुबोने के इल्जाम में कद्दावर अधिकारी तो बचते रहे‚ लेकिन छोटे हर बार नपते रहे। शायद इसी के मद्देनजर नगर निकाय के कुछ अधिकारियों ने अपने बचाव की तैयारी भी शुरू की दी हैं। इस बार बरसात में शहर नहीं डूबेगा‚ यह दावा करने के लिए नगर निकाय ने योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का दावा जरूर किया‚ लेकिन दावे की हकीकत मानसून की पहली और दूसरी बारिश ने ही बयां कर दी। 

पिछले दो दिनों की बारिश में शहर के प्रमुख और घनी आबादी वाले करबिगहिया‚ लंगरटोली‚ गांधी मैदान आदि इलाकों की सड़कें डूबीं तो शहरवासी सोच कर सहम गए कि फिर कहीं २०१९–२० वाली स्थिति न हो जाए। बहरहाल‚ पूर्व अनुभवों से सबक लेते हुए फील्ड में काम करने वाले अधिकारी जल–जमाव न हो‚ इसके लिए समीक्षा बैठक‚ तैयारी बैठक‚ ‘गर्दन बचाव' बैठक आदि करने से नहीं चूक रहे हैं।

 जल–जमाव नहीं होने का दावा 

 नगर निगम प्रशासन का दावा है कि जिन इलाकों में नाले का निर्माण हो गया है वहां जल–जमाव नहीं होगा। पिछले सप्ताह नगर निगम की बैठक में जल–जमाव के मुद्दे पर चर्चा की गई। अधिकारियों ने मानसून पूर्व स्पष्ट कह दिया था कि गांधी मैदान‚ राम गुलाम चौक‚ पीएम मॉल‚ वार्ड नम्बर ३ में रूपसपुर एवं खलीपुर‚ पुलिस कॉलोनी‚ मित्र मंडल आदि घनी आबादी वाले इलाकों में नालों की उड़ाही लगभग पूरी हो चुकी है। ऐसी स्थिति में इन इलाकों में जल–जमाव होने की संभावना नहीं है जबकि पिछले वर्ष मूसलधार बारिश में विधानसभा परिसर डूब गया था। इको पार्क‚ पटना जंक्शन का इलाका‚ रामगुलाम चौक‚ राजेंद्र नगर रोड नम्बर १ एवं २‚ वार्ड नम्बर ४७ में शिव शक्ति चौराहा के पास आदि इलाकों में जल निकासी के लिए नाले बन चुके हैं। इनमें से कुछ इलाकों में उड़ाही भी पूरी हो चुकी है। ऐसी स्थिति में इन इलाकों में जल– जमाव होने की संभावना से नगर निगम इनकार कर रहा है। बहरहाल‚ शहरवासी जल–जमाव की आशंका से सहमे हैं। 

दो घंटे में शिकायत निवारण का दावा 

अगर नगर निगम के तैयारी की बात करें तो शहर को १९ जोन में बांटा गया है‚ और अंचलों को करीब तीन करोड़ रु पये जलनिकासी योजना के तहत अग्रिम आवंटित किए गए हैं। निगमायुक्त अमित पराशर के मुताबिक‚ उड़ाही के लिए धन राशि की कमी नहीं है। पटना सिटी‚ अस्जोमाबाद‚ पाटिलपुत्र‚ कंकड़बाग‚ नूतन राजधानी एवं बांकीपुर अंचलों को उड़ाही के लिए करीब ढाई करोड़ रु पये अग्रिम दिए गए हैं। जरूरत पड़ने पर और राशि आवंटित की जाएगी। उड़ाही पूरी हो चुकी है। जल–जमाव और कचरा संग्रह के मद्देनजर पूरे शहर को १९ जोन में बांटा गया है। ४–५ वार्ड को लेकर एक जोन बना है। किसी भी जोन से शिकायत मिलने पर २ घंटे के भीतर समस्या का निराकरण किया जाएगा। मैनहोल और कैचपिट की उड़ाही करीब ९५ प्रतिशत पूरी हो चुकी है। 

नालों की उड़ाही पूरी होने का दावा

नगर निगम का दावा है कि बड़े नालों की जहां सफाई पूरी हो चुकी है एवं लगातार शिल्ट हटाने का काम भी चल रहा है‚ वहीं दूसरी तरफ छोटे खुले नाले‚ मैनहोल और कैचपिट की सफाई भी लगातार जारी है। प्रति दिन डे–नाइट शिफ्ट में अधिकारी और कर्मी कार्य कर रहे हैं। 

अधिकारियों से लिया गया शपथ पत्रः नगर निगम में इस बार शपथ पत्र का फार्मूला निकाला है। नाला उड़ाही में लगे संबंधित पदाधिकारी शपथ पत्र देंगे कि उनके क्षेत्र का नाला साफ हो चुका है। पूरे मानसून के दौरान उनके क्षेत्र का नाला उनके ही जिम्मे होगा। किसी तरह की समस्या अथवा उड़ाही में लापरवाही होने पर पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे। अलर्ट मोड में नगर निगम के पदाधिकारीः नगर आयुक्त ने सभी पदाधिकारियों एवं क्यूआरटी को हर वक्त अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया है। समय–समय पर मंॉकड्रिल के माध्यम से जोनल टीम के रिस्पांस की जांच भी की जाएगी। पिछले महीने मॉकड्रील किया गया था। इसके साथ ही पदाधिकारियों से नाला उड़ाही से संबंधित अपने स्तर से सÌटफिकेट भी देना होगा‚ जिसमें वह अपने कार्य की जिम्मेदारी लेंगे। समीक्षा में पीछे नहीं हैं अधिकारी प्रति वर्ष की तरह इस बार भी नाला उड़ाही और अन्य स्थितियों का जायजा लेने में अधिकारी पीछे नहीं हैं। पिछले एक सप्ताह के भीतर नगर विकास मंत्री‚ नगर आयुक्त‚ बुडको के एमडी एवं नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारियों ने शहर के विभिन्न इलाकों का भ्रमण कर जलनिकासी और जल–जमाव वाले संभावित इलाकों का निरीक्षण किया। एयरपोर्ट नाला‚ हज भवन के पीछे‚ ईको पार्क नाला सहित नूतन राजधानी अंचल के मैनहोल एवं खुले नालों का निरीक्षण किया जा चुका है। 

लेखक एसएनबी‚ पटना से जुड़े हुए हैं।

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