सूखे का असर : अपराधियों के हवाले बुन्देलखण्ड

सूखे का असर : अपराधियों के हवाले बुन्देलखण्ड

Published on
3 min read


पिछले साल जनवरी से अक्टूबर 2015 के बीच दस माह में 729 चोरियाँ पुलिस रोजनामचे में दर्ज हुई। सबसे अधिक बुरा हाल सागर सम्भागीय मुख्यालय का रहा। जहाँ 302 वारदातें चोरी की हुई थी। छतरपुर जिले में चोरों ने 156 घटनाओं को अंजाम दिया। वहीं टीकमगढ़ में 147, दमोह में 71 और पन्ना जिले में 53 चोरी के अपराध पुलिस रिकार्ड में दर्ज हुए थे। इस दौरान पाँच जिलों में दस माह में चोर 89 करोड़ 61 लाख 10 हजार रुपए का माल ले उड़े। जबकि पुलिस मात्र 3 करोड़ 38 लाख 36 हजार 574 रुपए का ही माल बरामद कर सकी थी बुन्देलखण्ड में सूखे के असर ने भूखमरी पलायन के साथ अपराधों की बाढ़ सी ला दी है। भगवान भी सुरक्षित नहीं बचे हैं। जिनकी तिजोरियों पर भी चोरों की निगाहें लग चुकी हैं। वहीं चोरी, लूट, राहजनी की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है। इस साल के शुरुआती जनवरी और फरवरी माह के 60 दिनो में सागर सम्भाग के पाँच जिलों में 268 वारदातें चोरी, लूट की दर्ज हुई। जिसमें पुलिस की नाकामी के आँकडे छुपे।

चौंकाने वाली खबर है कि छतरपुर शहर में पिछले सात दिनो में सात मन्दिरों की तिजोरियों से चोर नगदी ले उड़े हैं। प्रतिदिन एक मन्दिर को जब चोर निशाना बना रहे हैं तब पुलिस भी क्या भगवान भरोसे ही अपना कर्तव्य निभा रही है। यह एक बड़ा सवाल निर्मित हो गया है। अब तो यही कहा जाएगा कि जब भगवान सुरक्षित नहीं है तो जनता का क्या हाल होगा। हकीकत में तो जनता भी आतंक के साये में जी रही है।

नौगाँव में एक दलित शिक्षक अशोक अहिरवार के घर 22 जून को चोरी करने आये बदमाश बकायदा चार पहिया वाहन से आये। उन्होंने टीवी, फ्रिज, साईकिल, गैस चूल्हा सहित पूरी गृहस्थी का समान लादा और चलते बने। पड़ोसी ने पुलिस को सूचना भी दी लेकिन पूरी तरह मुस्तैद पुलिस वारदात के बाद ही मौके पर पहुँची। तब तक चोर दबंगी से चले गए। पुलिस के दर्शन ना होना या अपराधियों में पुलिस का भय ना होने के ही यह परिणाम है कि आमजन का जीवन संकटमय हो गया है।

नेशनल क्राईम ब्यूरो के रिकार्ड को देखा जाये तो साल के शुरुआती 60 दिनों में 132 चोरी, 14 लूट और घर में घुसकर चोरी की 122 वारदातें सागर सम्भाग के पाँच जिलों के विभिन्न थानों में दर्ज की गई है। घर में घुसकर चोरी की घटनाओ में सबसे अधिक सागर जिले में 46 वारदाते हुईं। छतरपुर में 26, दमोह में 21, पन्ना में 17 और टीकमगढ़ में 12 दर्ज की गई। इसी तरह सागर जिले में चोरी की 57, छतरपुर में 25, दमोह में 12, टीकमगढ़ में 28 और पन्ना में 10 घटनाएँ पुलिस रोजनामचे में दर्ज हुई। है।

इन दो माह में कुल 1 करोड़ 4 लाख 64 हजार 640 रुपए का माल चोरी हुआ जिसमें से मात्र 13 लाख 27 हजार 572 रुपए का मशरूका ही जप्त हो सका। महत्त्वपूर्ण है कि चोरी के बड़े या संगीन मामलों में ही पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। वरना कागजी आवेदन लेकर उसका जाँच के नाम पर निपटारा कर देती है। छतरपुर शहर में मन्दिरों की सात चोरी की वारदातों में भी मात्र एक में ही रिपोर्ट दर्ज हुई है। शेष आवेदनों पर जाँच की प्रक्रिया में है।

ज्ञात हो कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर 2015 के बीच दस माह में 729 चोरियाँ पुलिस रोजनामचे में दर्ज हुई। सबसे अधिक बुरा हाल सागर सम्भागीय मुख्यालय का रहा। जहाँ 302 वारदातें चोरी की हुई थी। छतरपुर जिले में चोरों ने 156 घटनाओं को अंजाम दिया। वहीं टीकमगढ़ में 147, दमोह में 71 और पन्ना जिले में 53 चोरी के अपराध पुलिस रिकार्ड में दर्ज हुए थे। इस दौरान पाँच जिलों में दस माह में चोर 89 करोड़ 61 लाख 10 हजार रुपए का माल ले उड़े। जबकि पुलिस मात्र 3 करोड़ 38 लाख 36 हजार 574 रुपए का ही माल बरामद कर सकी थी।

जानकारों का कहना है कि लगातार सूखे की मार झेल रहे बुन्देलखण्ड में अपराधों का बढ़ना यहाँ के दयनीय हालातों का बयाँ करता है। खेती के चौपट होने से अन्य काम भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बेरोजगारी और भूखमरी के कारण अपराध की ओर युवा वर्ग उन्मुख हो रहा है।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org