आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ जोशीमठ
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने आज जोशीमठ को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है उन्होंने कहा जल्द ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की दो सदस्य टीम यहां पहुंचेगी और स्थिति का जायजा लेगी। वहीं जिलाधिकारी की इस घोषणा के बाद जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में सभी निर्माण कार्य को रोक दिया गया है साथ ही प्रभावित लोगों को प्रशासन की ओर से लगातार मदद मुहैया कराई जा रही है।
आज जिला प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में बुनियादी सुविधाओं का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है इस दौरान जोशीमठ से प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्था किए गए शिविरों में मूलभूत सुविधाओं का प्रशासन द्वारा लगातार निरीक्षण किया गया है और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद की जा रही है साथ ही उन्होंने कहा जरूरत पड़ने पर प्रशासन द्वारा तत्काल निरीक्षण की व्यवस्था भी की गई है। इसके साथ ही चमोली जिला आपदा प्रबंधन ने अपने एक बयान में कहा कि शहर के 603 इमारतों में अब तक दरारें देखी गई है ऐसे में प्रशासन की ओर से 68 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित कर दिया गया है। चमोली जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत होटल माउंटव्यू और मलारी को अगले आदेश तक संचालन और आवास के लिए फिलहाल प्रतिबंध कर दिया है।
बता दे जिला प्रशासन की ओर से जोशीमठ शहर में 1271 अनुमानित क्षमता के साथ 229 कमरों को अस्थाई रूप से रहने योग्य रूप में चिन्हित किया गया है। साथ ही आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 33 और 34 के तहत जीवन और संपत्ति के जोखिम के तहत अत्याधिक प्रभावित और असुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों से लोगों को तत्काल खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं। वहीं प्रशासन की और से एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि भूस्खलन से प्रभावित स्थानों की पहचान करने का काम जारी है प्रभावित परिवारों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्थांतरित किया जा रहा है।इसके अलावा प्रशासन ने विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य और सीमा सड़क संगठन द्वारा एवं बाईपास निर्माण कार्य का काम भी तत्काल रूप से रोक दिया है।
इस पूरी घटना को लेकर भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएम बनर्जी ने इस पूरी तिथि के लिए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और रंगों के निर्माण को जिम्मेदार ठहराया है उन्होंने आगे का जोशीमठ छोटे हिमालय क्षेत्र का एक हिस्सा है, चट्टानें प्रीकैम्ब्रियन युग की हैं और यह क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र 4 का है। इसके अलावा, लोगों को इस भूमि पर घर नहीं बनाना चाहिए था विशेष रूप से 3-4 मंजिलों वाले बड़े नहीं है।