बर्बादी के कगार पर बारहसिंघा

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बांध के कारण उत्पन्न जलभराव एवं सिल्टेशन से बारहसिंघों के प्राकृतिक आवास बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। परिणाम स्वरूप प्राकृतिक रूप से मिलने वाले चारा को खाकर जीवित रहने वाले शाकाहारी बारहसिंघा अब चारा तथा आवास के लिए ऊंचे स्थान की तलाश में वनक्षेत्रों से पलायन करने को विवश हुए। जंगल के बाहर आने पर ग्रामीणो ने इनका अंधाधुंध शिकार करना शुरू कर दिया। गौरतलब यह भी है कि इस तराई क्षेत्र मे मानसून का समय एवं बारहसिंघों के प्रजनन का समय एक होता है।

विलुप्ति के कगार पर बारहसिंघा

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