पीथमपुर में भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कचरे काे भस्म किया जा रहा
धार, 28 फरवरी 2025। धार जिले के पीथमपुर के तारपुरा गांव में स्थित रामकी एनवायरो फैक्ट्री में शुक्रवार को यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन सुरक्षा के सभी मापदंडों को ध्यान में रखते हुए प्रारंभ कर दिया गया। इंदौर के संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने पूर्व में जब निष्पादन प्रक्रिया पर संदेह व्यक्त किया जा रहा था तब यह वायदा किया था कि कचरा निष्पादन के दौरान वे स्वयं मौके पर मौजूद रहेंगे। वायदे को निभाते हुए संभागायुक्त श्री दीपक सिंह अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पीथमपुर में मौजूद रहे। उन्होंने बताया है कि कचरा निष्पादन की पूरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक प्रारंभ हुई है और कहीं से भी कोई विपरीत परिस्थिति निर्मित नहीं हुई है।
आज सुबह से ही पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र में मध्य प्रदेश पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, धार कलेक्टर श्री प्रियंक मिश्र, आईजी श्री अनुराग, डीआईजी श्री निमिष अग्रवाल, एसपी श्री मनोज कुमार सिंह और मध्यप्रदेश प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी मौजूद रहे। शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजे कचरे को भस्मक (इंसीनरेटर) में डाला गया। फैक्ट्री में पहले ट्रायल रन के तहत 10 टन कचरा नष्ट किया जाएगा। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। फैक्ट्री परिसर के अंदर स्पेशल आर्म्ड फोर्स (SAF) के 130 जवान तैनात हैं, जबकि बाहर डीएसपी रैंक के अधिकारी तैनात हैं। पूरे क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू है।
जनमानस में बना विश्वास का वातावरण
उल्लेखनीय है कि माननीय उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्रशासन द्वारा पीथमपुर क्षेत्र में व्यापक जन जागरूकता का कार्य किया गया। आम जनता सहित विद्यार्थियों और विभिन्न संस्थाओं में जाकर कचरा निष्पादन की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई और बताया कि यह समूची प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके कोई भी दुष्परिणाम क्षेत्र की मिट्टी अथवा जल में नहीं आएंगे। वातावरण में भी किसी तरह के हानिकारक गैस का प्रसारण नहीं होगा। संभागायुक्त श्री दीपक सिंह के मार्गदर्शन में व्यापक रूप से चलाए गए इस जनजागरूकता अभियान के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए और क्षेत्र में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास का वातावरण निर्मित हुआ।
कचरे के निपटान से पहले प्रशासन ने जन सहमति प्राप्त करने के लिए सक्रिय प्रयास किया। इसके तहत स्थानीय नागरिकों, पर्यावरण संगठनों, वैज्ञानिक विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ संवाद स्थापित किया गया है ताकि निष्पादन प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सके। यूनियन कार्बाइड कचरे का निष्पादन केवल तकनीकी या प्रशासनिक मामला नहीं है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन और जनस्वास्थ्य से सीधा जुड़ा है। इसलिए निष्पादन प्रक्रिया में वैज्ञानिक मानकों का पूरी तरह पालन किए जाने की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। प्रशासन ने जनता और पर्यावरणविदों के सुझावों को भी ध्यान में रखा है। लॉन्ग-टर्म प्लानिंग के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में कोई समस्याएं उत्पन्न न हों। प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियमों और नियमित मॉनिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
धार जिला प्रशासन ने जनसंवाद के माध्यम से निष्पादन प्रक्रिया को पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाने का सराहनीय प्रयास किया है। जनता, वैज्ञानिकों, जनप्रतिनिधियों, विद्यार्थियों और सामाजिक संगठनों को शामिल करके जनसहयोग आधारित निर्णय प्रक्रिया अपनाई गई है। जब जनता और प्रशासन मिलकर कार्य करें, तो जटिल समस्याओं का सुरक्षित और स्थायी समाधान संभव हो सकता है। इस प्रक्रिया से न केवल यूनियन कार्बाइड कचरे का सुरक्षित निष्पादन सुनिश्चित होगा, बल्कि भविष्य के लिए एक आदर्श मॉडल भी स्थापित होगा।
डेटा को देखा जा सकता ऑनलाइन
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा यूका कचरे के निष्पादन के सिलसिले में वेबलिंक जारी की गई है। वेबलिंक https://zoom.us/j/97533675938?pwd=D7i4UbyLahVwhpUOLjqhaabLZ5J6ix.1 के जरिए CEMS डेटा और Incin Stack देखा जा सकता है।
क्या थी भोपाल गैस त्रासदी
भोपाल गैस त्रासदी, जो 2-3 दिसंबर 1984 की रात को हुई, दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। यह त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक प्लांट से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव के कारण हुई। इस घटना में तत्काल हजारों लोगों की मौत हो गई, और लाखों लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए। आज भी, इसके दुष्प्रभाव भोपाल के लोगों को झेलने पड़ रहे हैं, जिसमें शारीरिक विकलांगता, सांस और त्वचा संबंधी बीमारियां शामिल हैं। यह घटना औद्योगिक सुरक्षा और पर्यावरणीय नियमों की लापरवाही की एक बड़ी चेतावनी है।
भोपाल गैस त्रासदी में कितने लोग मरे?
मौतों की संख्या को लेकर अलग-अलग आंकड़े हैं:
सरकारी आंकड़े: भारत सरकार के अनुसार करीब 3,787 लोगों की तत्काल मृत्यु हुई।
अन्य अनुमान: विभिन्न संगठनों और रिपोर्टों के अनुसार, 15,000 से 20,000 तक लोगों की जान गई।
लंबे समय में हुई मौतें: गैस रिसाव के बाद 5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए, जिनमें से कई लोगों की मौत अगले कुछ वर्षों में हुई।