फिलीपींस में पानी आपूर्ति स्थापित पंप और पाइप लाइनों के माध्यम से पानी प्रदान किया जाता (PC-British Geological Survey)
फिलीपींस में पानी आपूर्ति स्थापित पंप और पाइप लाइनों के माध्यम से पानी प्रदान किया जाता (PC-British Geological Survey)

जलयात्रा - विकास हेतु वैचारिक क्रांति और परिवर्तनशीलता वाला देश फिलीपींस

फिलीपींस द्वीपों से बना हुआ एक देश है। कारण इसके पर्यावरणीय संकट काफी ज्यादा हैं। फिर भी फिलीपींस अपने पर्यावरण संकट से निपटने की भरपूर कोशिश कर रहा है। फिलीपींस में वन क्षेत्र कभी 70 फीसदी हुआ करता था लेकिन आज मात्र 20 फीसदी रह गया है। उन्होंने एक बहुत मजेदार कानून बनाया है जिसकी वजह से फिलीपींस की काफी चर्चा रही है, कि ग्रेजुएशन पूरा करने से पहले हर छात्र को कम से कम 10 पौधे लगाना अनिवार्य है और अगर आप साबित कर देंगे कि आप के पौधे हैं तभी आपको ग्रेजुएशन की डिग्री दी जाएगी।
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फिलीपीन्स दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। इसका आधिकारिक नाम 'फिलीपींस गणतंत्र" है। उसकी राजधानी मनीला है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित 7107 द्वीपों से मिलकर यह देश बना है। फिलीपीन द्वीप-समूह पूर्व में फिलीपींस महासागर से, पश्चिम में दक्षिण चीन सागर से और दक्षिण में सेलेबस सागर से घिरा हुआ है। इस द्वीप-समूह से दक्षिण पश्चिम में देश बोर्नियो द्वीप के करीबन सौ
किलोमीटर की दूरी पर बोर्नियो द्वीप और सीधे उत्तर की ओर ताइवान है।

8वीं शताब्दी में चीनी व्यापारियों के आगमन से लेकर 1914 में फिलीपींस-अमेरिका लड़ाई के बाद युद्ध के हालात ठीक हुए और 1935 में फिलीपींस को अमेरिका राष्ट्रमंडल का दर्जा दे दिया गया, जिससे अधिक स्वायत्तता मिल गयी। 4 जुलाई 1946 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूर्ण स्वतंत्रता मिल गयी।

6 करोड़ से अधिक की आबादी वाला यह विश्व का 42वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। इस देश का क्षेत्रफल 2,99,764 वर्ग किलोमीटर है। इसके द्वीप समूहों में से अधिकतर पहाड़ी द्वीप ज्वालामुखी मूल के हैं और उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों से ढंके हुए हैं। यहां की सबसे बड़ी नदी कैगयान है। इस देश में ज्वालामुखीय प्रकृति के कारण यहां खनिज भंडार बहुतायत में हैं। भू-तापीय ऊर्जा, जो ज्वालामुखी गतिविधियों का एक अन्य उत्पाद है, यहां अच्छी तरह से उपयोग किया जाता है। यहां की अर्थव्यवस्था खेती पर आधारित अर्थव्यवस्था से सेवा और विनिर्माण पर आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रही है। यहां के 65 प्रतिशत लोग खेती, 20 प्रतिशत लोग औद्योगिक व अन्य श्रम एवं सेवा क्षेत्र में लगे हुए हैं।

जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी से वृद्धि के साथ, फिलीपीन जल की गुणवत्ता विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों, औद्योगिक और कृषि गतिविधियों के क्षेत्रों में कम हो जाती है। यहां पानी आपूर्ति स्थापित पंप और पाइप लाइनों के माध्यम से पानी प्रदान किया जाता है। यहां की सरकारी एजेंसी, स्थानीय संस्थान, गैर-सरकारी संगठन और अन्य निगम मुख्य रूप से देश में जल आपूर्ति और स्वच्छता के संचालन व प्रशासन में प्रभारी हैं। यहां पानी की गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण समस्या बन कर उभर रही है। यहां के जल की गुणवत्ता निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करती है। नतीजतन, देश में पानी की
बीमारियां गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई हैं। दूषित पेयजल के कारण हर साल लगभग 4200 लोग मर जाते हैं।

फिलीपींस की मेरी सबसे पहली यात्रा अगस्त 2001 में मैग्सेसे पुरस्कार लेने गया, तब हुई थी। उसके बाद वहां मुझे कई बार बुलाया। जब मैं पहली बार फिलीपींस गया था, तब वहां की राष्ट्रपति ग्लोरिया मैकापगल अरोयो ने मुझसे बहुत निजीतौर पर और वही भारत पुरस्कार समारोह के भाषण में मुझे संबोधित करते हुए कहा कि, आपने भारत में मरी हुई नदियों को पुनर्जीवित किया है। हमारी राजधानी मनीला शहर के बीचों-बीच पासिंग नदी बहती है, वह बहुत ही प्रदूषित हो गयी है| उसके किनारे खड़ा होना भी संभव नहीं है। यह नदी हमारी राजधानी को दो भागों में बांटती है मेरे बचपन में यह नदी बड़ी स्वर्णिम थी, लेकिन अब गंदे नाले के रूप में बहती है। आप हमारी इस नदी के निर्मल बनाने में मदद करिए। मैंने उनका यह प्रस्ताव स्वीकार किया। उन्होंने इस काम के लिए वहां कई बार बुलाया। कुछ बहुत अच्छे काम इस नदी में शुरू हुए।

इस नदी को अतिक्रमण मुक्त करना सबसे कठिन काम था। यह कार्य अच्छे से राष्ट्रपति की दखल से सरकार द्वारा हुआ और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्राकृतिक तौर पर कई तरह की वनस्पतियां काम में ली गयीं। फिर धीरे-धीरे नदी में मिलने वाले गंदे जल के नालों को भी इस नदी में पड़ने से रोका। मुझे यहां के समुदाय के साथ संवाद करने में कठिनाई हुई लेकिन सरकारी कर्मचारियों की मदद से नदी का सांस्कृतिक पहलू समझाने में उन्हें मैं सफल हुआ।

फिलीपीन्स में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान हैं, जिनमें अच्छी पढ़ाई होती है। लेकिन यह पढ़ाई प्रकृति के पोषण की नहीं है। प्रकृति का शोषण ही यहां पढ़ाया व लिखाया जाता है। इसलिए यहां के अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय संस्थानों के शिक्षण में सामलात देह (सार्वजनिक संम्पदा) पर अतिक्रमण और उनके प्रदूषण मुक्ति के कोई स्थाई उपाय पढ़ाये व सिखाये नहीं जाते। इस कारण इस नदी के 20 सालों के बाद भी समग्र जल का शोधन नहीं कर पाये।

हां आंशिक तौर पर वर्ष 2004 की अपेक्षा 2017 में बहुत सुधार हुआ है। अभी इस नदी के जल सुधार हेतु राष्ट्रपति ग्लोरिया मैकापगल अरोयो के काम जैसी तीव्रता नजर नहीं आती। इस देश की राजधानी मनीला को सतही जल व भू-जल के प्रदूषण के लिए दुनिया में जाना जाता है। लेकिन यहां जल का निजीकरण ही प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। यहां का जल प्रदूषित होने के कारण लोगों को खरीदकर पीना पड़ता है। इसलिए कम्पनियां जल शोधन के विरुद्ध खेल खेलती रहती हैं। इसलिए यह शहर प्रदूषित होता जा रहा है।

यहां की जल कम्पनियों का सरकारों पर बड़ा असर है। इसलिए यहां के जल अधिकार को कानून से कम्पनियों ने खरीद लिए हैं। इस देश की एक भी नदी शुद्ध-सदानीरा नहीं है। पेयजल का भंयकर संकट है| पेयजल संकट से उबरने के सरकारी साधन, जल बाजार को ही बढ़ावा दे रहे हैं। फिलीपीस में बहुत अच्छी वर्षा होती है। मेरा यहां के कई आइलैंड में जाना हुआ। यहां जब तक प्राकृतिक खेती थी, तब तक वो सब क्षेत्र समृद्ध थे। यहां की आधुनिक खेती ने यहां के जीवन में कई तरह के संकट पैदा कर दिए है।

मैने यहां की सरकार को सामुदायिक जल प्रबंधन सिखाने के जितने प्रयास किये हैं, उतनी सफलता नहीं मिली है। लेकिन मुझे विश्वास है कि, आगे चलकर यहां के जल का निजीकरण रोककर सामुदायिकरण होगा। इस देश की सभी सरकारें नया करने की इच्छुक रहती हैं। इसलिए निजीकरण करके देखा है। यह देश विकास के लालच में परिवर्तनशील प्रगति का पक्षधर है। विकास के लिए वैचारिक क्रांति से  परिवर्तन करने वाला देश है।
 

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