पानी के बाहर भी रह सकती है ‘मडस्किपर’मछली
‘मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है, हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी’, यह कविता बच्चों के मुख से आपने अवश्य सुनी होगी। दरअसल पानी से बाहर मछली के जीवित रहने की कल्पना भी नहीं की जा सकती किन्तु प्रशान्त महासागर में पाई जाने वाली ‘मडस्किपर’नामक प्रजाति की मछलियां इस मामले में अपवाद हैं। हालांकि पानी से बाहर यह मछली भी सांस नहीं ले सकती किन्तु फिर भी यह पानी से बाहर निकलकर खूब मजे से कई-कई घंटे तक धरती पर खेलती-कूदती और भोजन करती है। आप यह तो जानना ही चाहेंगे कि अगर यह मछली पानी से बाहर सांस ही नहीं ले सकती तो यह धरती पर खेलती-कूदती कैसे है? यह सब संभव होता है इसके शरीर में बनी दो स्पंजी थैलियों की वजह से। दरअसल धरती पर आते समय इन्हीं स्पंजी थैलियों में यह पानी भर लेती है तथा इसी पानी से अपने गलफड़ों को गीला रखती है और जब दोनों थैलियों वाला पानी खत्म हो जाता है या सूख जाता है तो ये ग्रासनी तथा अपने मुंह की सहायता से ऑक्सीजन ले लेती हैं और इस कारण कई घंटों तक पानी के बाहर भी मजे से रह सकती हैं। प्राय: कीचड़ और दलदल में रहने वाली इस मछली की आंखें इसके सिर के ऊपर वाले हिस्से पर होती हैं, जिस कारण यह अपना बाकी शरीर पानी में होते हुए भी हवा में देख सकती है। छोटे जीव-जंतु तथा शैवाल इस मछली का पसंदीदा भोजन होते हैं ।
अपने पंख नोंच डालता है ‘ग्रेबेस’
पश्चिमी देशों में संतुलित क्षेत्रों के लगभग सभी कोस्मोपोलिटन क्षेत्रों में पाया जाने वाला पक्षी ‘ग्रेब्रेस’अपनी विचित्र आदतों के लिए ही जाना जाता है। वास्तव में दुनियाभर में सबसे विचित्र आदतों वाला पक्षी यही है। स्वच्छ पानी में रहने वाला यह पक्षी मछलियों तथा अन्य जलीय जीवों का भोजन करता है और उन्हें पानी के नीचे पकड़ कर ही अपना आहार बनाता है। इस पक्षी की एक सबसे विचित्र आदत, जो पक्षी विज्ञानियों की भी समझ से परे है, यह है कि यह पक्षी अपने ही पंख नोच डालता है और यही नहीं, अपने इन नोंचे गए पंखों को अपने बच्चों को खिला देता है । माता-पिता की ही भांति ग्रेबेस के बच्चे भी अपने शरीर के पंख भी नोचकर खाते हैं और अपने माता-पिता के शरीर से भी पंख नोचकर खा जाते हैं। पक्षी विज्ञानी हालांकि इस रहस्य को तो नहीं समझ पाए हैं कि यह पक्षी अपने शरीर के पंख नोचकर क्यों खाते हैं और अपने बच्चों को क्यों खिलाते हैं लेकिन उनका यह अवश्य मानना है कि पंखों के खाने से संभवत: इन्हें अपने शरीर के भीतर से मछलियों की हड्डियां तथा न पचने वाली अन्य वस्तुएं शरीर से बाहर निकालने वाले ‘गुलेले’बनाने में मदद मिलती है। एक सामान्य ग्रेबेस पक्षी के शरीर पर प्राय: 15 हजार से भी अधिक पंख होते हैं । ग्रेबेस की एक और यह विचित्र आदत भी अब तक रहस्य ही बनी है कि यह पक्षी अपने एक अण्डे से बच्चा निकालने के बाद अपने ही दूसरे अण्डे को बगैर बच्चा निकाले यथावत छोड़ देता है। जब नर और मादा ग्रेबेस पक्षी अचानक इकट्ठे होकर धरती पर घिसटने लगते हैं तो बहुत ही मनोहारी दृश्य उत्पन्न हो जाता है। प्रजनन काल के दौरान तो ग्रेबेस की कई प्रजातियों के सिर पर एक रंग-बिरंगा फुदना सा उभर आता है ।