महासागर तापमान क्या है? और उसके कारक (What is the ocean temperature? and its factors)
महासागर की सतह का तापमान ध्रुवीय प्रदेशों में लगभग 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर विषुवतीय प्रदेशों में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक हो सकता है। महासागरीय तापमान का वितरण विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं और भौगोलिक विशेषताओं से प्रभावित होता है।
महासागरीय तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक
अक्षांश और सौर विकिरणः विषुवतीय प्रदेशों पर सूर्य की किरणें लगभग वर्ष भर लंबवत पड़ती हैं जिससे वहां सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है और इस प्रदेश में तापमान उच्च बना रहता है। ध्रुवीय प्रदेशों में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं जिससे वहां सूर्यातप कम प्राप्त होता है और तापमान भी कम ही रहता है। सतही महासागर की परतें सीधे सूर्य की किरणें प्राप्त करने के कारण गर्म हो जाती हैं, जबकि गभीर महासागर की परतें ठंडी होती हैं, क्योंकि वहां तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं।
महासागरीय धाराएं: गल्फ स्ट्रीम जैसी गर्म जलधाराएं भूमध्य रेखा से गर्म जल को ध्रुवों की ओर स्थानांतरित करती हैं। लैब्राडोर धारा जैसी ठंडी जलधाराएं ध्रुवों से ठंडे जल को भूमध्यरेखा की ओर स्थानांतरित करती हैं।
भौगोलिक स्वरूप और पवन प्रतिरूपः महाद्वीपीय मग्नतट जैसे उथले क्षेत्र गर्म होते हैं, जबकि गभीर महासागरीय द्रोणी (बेसिन) ठंडी होती हैं। पवन प्रतिरूप, जिसमें व्यापारिक पवनें और मानसून शामिल हैं, गर्म सतह के जल को स्थानांतरित कर सकते हैं और तापमान में काफी हद तक परिवर्तित कर सकते हैं।
वाष्पीकरण, वर्षणः उच्च वाष्पीकरण ऊष्मा को स्थानांतरित करके महासागर की सतह को ठंडा करता है, तथा उच्च वर्षा ठंडे ताजे जल को जोड़कर सतह के तापमान को कम करती है।
उत्प्रवाह (अपवेलिंग) और अवप्रवाह (डाउनवेलिंग): उत्प्रवाह से ठंडा, पोषक तत्वों से भरपूर जल सतह पर आता है, जिससे सतही जल ठंडा हो जाता है, जबकि अवप्रवाह से गर्म सतही जल गहरे स्तरों में चला जाता है।
मानवीय गतिविधियांः जलवायु परिवर्तन ग्रीन हाउस प्रभाव के माध्यम से वैश्विक महासागर के तापमान को बढ़ाता है, और प्रदूषण रासायनिक और तापीय प्रभावों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर तापमान वितरण को बदल सकता है।
महासागरीय तापमान में ऊर्ध्वाधर भिन्नता
गभीर महासागर में तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण घनत्व से प्रेरित जल गतियों द्वारा प्रभावित होता है। महासागरों का अधिकतम तापमान सतह पर पाया जाता है, क्योंकि सतह पर प्रत्यक्ष सौर ऊर्जा प्राप्त होती है।
• अकेले ऊष्मा चालन ही ऊष्मा का केवल एक छोटा सा भाग ही नीचे की ओर स्थानांतरित करता है; संवहन महासागरों के निचले भागों में ऊष्मा संचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1. सतही परत (मिश्रित परत):
गहराईः महासागर की सतह से लगभग 200 मीटर तक विस्तृत।
तापमानः सूर्य के प्रकाश तथा पवन एवं लहरों के मिश्रण के कारण अधिक उष्णता।
भिन्नताः ऋतुओं के साथ परिवर्तन, क्योंकि यह वायुमंडल के साथ अंतःक्रिया करता है।
2. थर्मोक्लाइनः
गहराईः लगभग 200 मीटर से 1,000 मीटर तक।
तापमानः गहराई के साथ तेजी से कमी, ध्रुवीय क्षेत्रों में कम स्पष्ट होता है।
स्थिरताः मिश्रण में अवरोध के रूप में कार्य करता है, गर्म सतही जल को ठंडे गहरे जल से अलग करता है।
3. गभीर महासागरः
गहराई: 1,000 मीटर नीचे से महासागरीय अधस्तल तक।
0 तापमानः ठंडा और एकसमान, आमतौर पर 0°C और 3°C के बीच होता है।
स्थिरताः बहुत स्थिर, समय के साथ तापमान में बहुत कम बदलाव होता है।
महासागरीय तापमान का क्षैतिज वितरण
विषुवत/भूमध्य रेखा के निकट महासागर का तापमान सर्वाधिक होता है, जो लगभग 26°C से 28°C के बीच होता है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर प्रति डिग्री अक्षांश पर लगभग 0.5°C की कमी होती है और ध्रुवों पर तापमान हिमांक बिंदु के करीब पहुंच जाता है।
उत्तरी गोलार्ध में महासागरीय क्षेत्र में अधिक भूभाग (जो तेजी से गर्म और ठंडा होता है) के कारण थोड़ा ही गर्म होते हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वृहत महासागरीय विस्तार के कारण तापमान अधिक स्थिर और ठंडा होता है।
जब गल्फ स्ट्रीम जैसी गर्म जलधाराएं और कैलिफोर्निया धारा जैसी ठंडी जलधाराएं तापमान में अंतर उत्पन्न करती हैं तब क्षेत्रीय भिन्नताएं उत्पन्न होती हैं।
स्रोत - vision IAS