नैनीताल में नदियों को बचाने को हुआ सम्मेलन
'सूखी जुबान जिंदगी से पूछने लगी कि प्यास ही लिखी है या पानी भी लिखा है!' साथी और परिजन पाँच जून 2023 के सम्मेलन की सूचनाओं को अपने जानने वालों तक भेजिए। इसलिए नहीं कि यह किसी व्यक्ति का काम है, इसलिए क्योंकि हम मध्य हिमालय में सूखती गैर बर्फानी नदियों के बारे में बात करना चाहते हैं। हमारी चिंता है कि यदि व्यापक जन समुदाय अपनी नदियों के बारे में विचार नहीं करेगा और उनको बचाने की कोई सार्थक पहल नहीं करेगा तो यह मरती जाएंगी और जल्दी ही यह धाराएं रोखड़ दिखने लगेंगी। यह अपील सोशल मीडिया के माध्यम से जन सरोकारों से जुड़े और पानी बचाने के लिए पिछले तीन दशक से कार्य कर रहे बच्ची सिंह बिष्ट ने रामगढ़ (नैनीताल) के लोगों से की। उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के निमित्त हम कलशा की सहायक धाराओं के किनारे साझा संकल्प लेंगे और उन लोगों से मार्गदर्शन लेंगे, जिन्होंने पूरा जीवन नदी, जंगलों और उनके साथ जीने वाले रहवासियों के लिए समर्पित कर रखा है। 'जनमैत्री संगठन के साथ जुड़े, उसके कार्यों से परिचित और उसके विचार से सहमति रखने वाले सभी परिजन, मित्र इस संदेश को शेयर करें। स्वयं शामिल हों और अन्य लोगों को भी शामिल कर इस विचार को अपना सहयोग प्रदान करें।
इसी अपील और कार्यक्रम के तहत 5 जून 2023 को ‘स्वतंत्रता सेनानी डूंगर सिंह बिष्ट इंटर कॉलेज’ टांडी, पोखराड (धारी) में जनमैत्री संगठन के द्वारा जन सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय था 'सूखती नदियां और हमारा 'दायित्व'।
इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि गोवा से आए कुमार कलानंद मणि जी थे। उनके साथ ही पत्रकार अम्बरीष कुमार, छत्तीसगढ़ से हिमांशु कुमार, दिल्ली से रमेश भंगी- देहरादून से पक्षी विशेषज्ञ अजय शर्मा, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, सामाजिक कार्यकर्ता अजय जोशी सल्ट अल्मोड़ा, हीरा जंगपांगी रौतेला, हेमंत बोरा, सुभाष पंगरिया, पूरन सिंह बिष्ट, गोविंद मेहरा, गणेश बिष्ट, चंपा मेहता, लीला शर्मा, लीला बिष्ट, हंसी बिष्ट, राधा बिष्ट, हेमा बिष्ट, कमला देवी, प्रधान बुरांशी चंदन बिष्ट, सामाजिक प्रेरक नबाब बानो, बसंती बिष्ट और जनमैत्री के मोहन बिष्ट, बसंत लाल, महेश चंद्र, भालूगाड़ जल प्रपात समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट, सामाजिक कार्यकर्ता हरेंद्र बिष्ट, मान सिंह सहित क्षेत्र के अनेक सम्मानित लोग, वन पंचायत सरपंच, इंटर कॉलेज के शिक्षक और विद्यार्थी शामिल रहे।
मुख्य अतिथि कुमार कलानंद मणि ने पश्चिम घाट बचाओ आंदोलन की जानकारी के साथ ही कहा कि इंसानों को अपनी जरूरतों पर और उपभोग के अतिवाद पर विचार करना चाहिए। अन्यथा यह धरती खत्म हो जायेगी। यहीं दुनिया के कई वैज्ञानिक भी कह रहे हैं। नदी का सूखना उसका एक लक्षण है। इंसान चाहे तो दुनिया को ठीक भी कर सकता है। उन्होंने आह्वान किया कि युवा छात्र और आमजन मिलकर सूखती नदियों और उजड़ते जंगलों को ठीक करें। पत्रकार अम्बरीश कुमार ने कहा कि पहाड़ों में अति निर्माण विनाश का कारण बनेगा। सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन ने प्लास्टिक को ना कहने का आह्वान किया। पक्षी । विशेषज्ञ अजय शर्मा ने प्रकृति के संतुलन के लिए प्रत्येक पटक को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि जंगल तो पशु-पक्षी ही बनाते हैं। इंसानों को उनका संरक्षण करना चाहिए।
हिमांशु कुमार ने आदिवासियों के साथ सरकारी संरक्षण में हो रहे जुल्मों के पीछे की साजिश को लोगों के सामने रखा और साथ ही उन्होंने कहा कि इंसानों के हाथ में नहीं है कि वह कहां पैदा हो? किस देश, जाति, धर्म और स्थिति में पैदा हो? तब उसको अपने किसी बात पर गर्व करने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता अजय जोशी ने आयोजन को सफल बनाने में सबका धन्यवाद किया।पूड़ी प्रधान चंपा मेहता, पूर्व अधिकारी बच्ची सिंह बिष्ट, प्रधानाचार्य दीक्षित ने भी अपने आह्वान में प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया। हीरा जंगपांगी रौतेला ने बेटियों को दिक्कतों पर आगे कार्य करने की जरूरत बताई। हेमंत बोरा, मोहन बिष्ट, गणेश बिष्ट, बसंत, महेश चंद्र आदि ने व्यवस्था को सुचारू बनाने में अमूल्य सहयोग दिया। सह- आयोजक भालूगाड़ जल प्रपात समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि वे अपनी- समिति के माध्यम से जलसंचय कार्य को बढ़ाएंगे।
सम्मेलन में कई संस्तुतियों पर उपस्थित लोगों ने अपनी सहमति प्रदान की। पारित संस्तुतियों के अनुसार प्लास्टिक कचरा उन्मूलन को प्राथमिकता देने के लिए जन जागरण करने, भालूगाड़ क्षेत्र की जल धाराओं का भ्रमण और वैज्ञानिक अध्ययन करने, जलप्रपात समिति के साथ मिलकर जनमैत्री संगठन द्वारा भालूगाड़ जलप्रपात के उद्गम से ही जल बंधन कार्य की योजना बनाने और उसे कार्यान्वित भी करने, इंटर कॉलेज परिसर में कुछ जरूरी कार्य जैसे दरवाजों और शौचालय की मरम्मत सैनिटरी नैपकिन या पैड उपलब्ध कराने, उनको डिस्पोज करने की व्यवस्था के साथ ही बेटियों के साथ होने वाले अपराधों पर काम करने के लिए हीरा जंगपांगी रौतेला को अधिकृत करने, शीघ्र ही जन सहयोग से विद्यालय का अपना पुस्तकालय बनाने (जिसके लिए विभिन्न स्तरों पर पत्राचार और संपर्क का कार्य करने), सम्मेलन में शामिल अनेक साथी जैसे राजेंद्र जोशी और भी कुछ मित्र जो आसपास के गांवों से शामिल हुए उनके सुझाव पर भी आने वाले समय में कार्य का भाग बनाए जाने पर सहमति बनी।
पानीदार समाज जनमैत्री संगठन के बच्ची सिंह बिष्ट कहते हैं कि सदियों पहले जब हमारे पर्वतीय उत्तराखंड के गाँव बसे होंगे तो बसाने वालों ने सबसे पहले पानी की व्यवस्था देखी। नौला, धारा, नदी समेत प्राकृतिक जल स्रोतों के स्थान देखकर बसासत स्थापित की। यही कारण है कि हरेक गाँव के नीचे कोई मुक्ति वाहिनी नदी जरूर है। साथ ही पानी को बचाने के लिए पोखर, खाल बनाने का कार्य भी किया। बांज के जंगलों को बचाया। कालान्तर में पानी कम होता गया, लोग बढ़ते रहे। प्रकृति के साथ सहजीवन के मूल्य क्षरित होते रहे और जल संकट बढ़ता गया।
वे आगे कहते हैं कि दुनिया की प्रगति का मूल्य चुकाया हमारे जैसे खेती-किसानी, पशुपालक समाज ने आजादी के बाद जो शिक्षा लागू की उसने सभी को जड़ों से उखाड़ने का ही काम किया। भावनाएँ गायब, वस्तु की तरह प्रकृति से व्यवहार ने लोगों की उस शिक्षा को ही गायब कर दिया जो हाथों से पानी, जंगल, खेती को सहेजते थे। राज और समाज दोनों को आँखों का भी पानी मर गया। इसी वजह से पानी के संरक्षण के साथ ही वह संवेदना आपस लाने की जरूरत है, जो लोगों को मिट्टी से जोड़ती है। पानी बिक्री, खरीदी की चीज नहीं होती। कम से कम ग्रामीण पर्वतीय समाज के सभी लोगों को निःशुल्क पर्याप्त पानी मिलता रहे, इसके लिए अपने पानी को बचाना और सामुदायिक अधिकार में बनाए रखना बहुत जरूरी है। यह काम खुद को पर्यावरणवादी बनाने के लिए नहीं, बल्कि समाज के स्वतंत्र चेतन व्यक्ति के रूप में किया जाना है।
बिष्ट को एक विश्वास है कि समाज जब मिलकर अपनी चीजों को संभालने को उतरता है तो चीजें बचती भी हैं और संभलती ही हैं। इसी वजह से श्रमदान और अंशदान से जल धाराओं में प्राकृतिक संसाधनों से जल बंधन का विचार किया जा रहा है। प्रचार नहीं विचार के साथ शीघ्र ही पहला श्रमदान करके यह अभियान शुरू किया जाना है। साथी और परिजन तैयारी करें।
उल्लेखनीय है कि जनमैत्री एक साझा मंच है, जो 1992 से परिवेश संरक्षण पर सक्रियता कार्यरत है। उसने देश और दुनिया की चिंताओं के साथ जुड़कर स्थानीय रामगाड़ नदी को बचाने का अभियान चलाया है। साथ ही इस बार से यह अभियान कलशा नदी की सहायक जलधारा भालू गाड़, चिला गाड़, पोखराड़ को बचाने के लिए जारी हो चुका है। यह समय नैनीताल जिले की फल पट्टी रामगढ़ और बारी के किसान-बागवानों के काम का समय होता है, जिस कारण बहुत से किसान-बागवान और महिलाएं शामिल ही नहीं हो सके। इसके बाद भी सम्मेलन का संदेश सभी तक गया है, जिस पर कार्य करने के लिए कृषि बागवानों का काम कम होने के बाद बैठकों और कार्य शिविरों का आयोजनकिया जायेगा।
जनमैत्री संगठन की ओर से बच्ची सिंह बिष्ट ने सभी आगंतुकों, मेहमानों, आयोजन सहयोगियों, विद्यालय परिवार के सदस्यों और विशेष सहयोग करने वाले मित्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया
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