हल्द्वानी में घट रहा भूजल स्तर, अब 475 फीट गहराई में खोदने पर निकलता है पानी
हल्द्वानी में नलकूपों की संख्या बढ़ने पर भी भूजल स्तर में धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिल रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाता जा सकता है कि आज से 10 साल पहले जब नलकूपों का निर्माण किया गया तो 442 फीट, 913 इंच गहराई में पानी की बोरिंग की जाती थी। लेकिन अब स्थिति बेहद चिंताजनक बन गई है। अब नए नलकूपों की बोरिंग 475 फीट, 722 इंच की गहराई में शुरू होती है।
काठगोदाम, हल्द्वानी, लालकुआं, कमलुवागांजा तक करीब पांच लाख आबादी सिर्फ नलकूपों के पानी के सहारे है। पेयजल निगम, नलकूप खंड की ओर से कुल 84 नलकूप मौजूद हैं। वहीं कुछ निजी कालोनियों, इकाईयों व नेताओं के वहां कुल 40 निजी बोरिंग की गई हैं। जबकि किसानों को सिंचाई देने के लिए गौलापार, चोरगलिया, कमलुवागांजा आदि क्षेत्रों में हल्द्वानी में 200 ट्यूबवेल हैं। इनसे खेतों में सिंचाई देने के साथ ही पेयजल के लिए भी सप्लाई दी जाती है।
धड़ल्ले से बन रहे नलकूप
नलकूप खंड की ओर से किसानों को खेती के लिए सिंचाई का उपयोग करने के लिए अभी भी नलकूपों की बोरिंग की जा रही है। चोरगलिया व कठघरिया में नलकूप खंड की ओर से दो नए नलकूपों का निर्माण किया जा रहा है। कुछ माह पहले पेयजल निगम की ओर से राजपुरा में भी नए नलकूप का निर्माण किया गया है।
वर्षा जल संरक्षण से बढ़ेगा भूजल : चंदन नयाल
जल शक्ति मंत्रालय की ओर से वाटर हीरो के नाम से सम्मानित हो चुके ओखलकांडा के चंदन सिंह नयाल कहते हैं ‘हमें पानी का बूंद-बूंद बचाना चाहिए। पहाड़ों में नाले धारे सूख रहे हैं। हमें उन्हें पुनर्जीवित करने की जरूरत है। है। वर्षा जल संरक्षण के लिए चाल खाल बनाने चाहिए। मैदानी क्षेत्रों में लोगों को अमृत सरोवरों की तरह तालाब बनाने चाहिए।’
जमरानी बांध बनने के बाद नलकूपों पर निर्भरता रहेगी कमः कटारिया
2029 तक जमरानी बांध निर्माण के बाद हल्द्वानी में नलकूपों पर काफी कम निर्भरता रहेगी। इससे भूजल का दोहन कम हो जाएगा। साथ ही 16-16 घंटे चलने वाले नलकूप दिन में मात्र तीन घंटे ही चलेंगे। इससे बिजली की भी बचत होगी। पेयजल निगम के ईई एके. कटारिया ने बताया कि बांध बनने से 117 एमएलडी पानी मिलेगा। इससे हल्द्वानी क्षेत्र में पेयजल की कमी दूर होगी।