धरती को निचोड़ा जा रहा है
धरती को निचोड़ा जा रहा है

धरती 31.5 इंच झुक गई है, जिम्मेदार कौन

धरती के झुकाव पर हाल ही में कोरियाई भूभौतिकीविद् की-वियन सेओ और उनके सहयोगियों का शोधपत्र "जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स" में पब्लिश हुआ है।
Published on
3 min read

सिर्फ और सिर्फ, पृथ्वी के झुकाव में भूजल दोहन का योगदान है। हाल ही में कोरियाई भूभौतिकीविद् की-वियन सेओ और उनके सहयोगियों का शोधपत्र "जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स" में पब्लिश हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि धरती से बहुत ज्यादा जल-दोहन, ना सिर्फ पृथ्वी को झुका रहा है, साथ ही धरती की घूमने की गति बदल रहा है, साथ ही समुद्र के जलस्तर में भी वृद्धि कर रहा है। 

'जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स' में छपी रिसर्च क्या कहती है

  • अध्ययन के मुताबिक, 1993 से 2010 के बीच पृथ्वी से करीब 2,150 गीगाटन भूजल निकाला गया। इससे पृथ्वी का घूर्णन ध्रुव करीब 31.5 इंच पूर्व की ओर झुका गया है। 

  • अध्ययन के मुताबिक, भूजल दोहन से पृथ्वी के घूर्णन ध्रुव में बदलाव आया है। 

  • अध्ययन के मुताबिक, भूजल दोहन से समुद्र का स्तर भी बढ़ा है। 

  • इस अध्ययन के मुताबिक, भूजल दोहन से पृथ्वी के जलवायु में बदलाव हो सकता है। 

  • इस अध्ययन के मुताबिक, भूजल दोहन का असर भारत पर भी है। दुनिया में पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी भारत में सबसे ज़्यादा भूजल का दोहन देखा गया है। 

भूजल कहां रहता है 

भूजल, पृथ्वी की सतह के नीचे मिट्टी के छिद्रों और चट्टानों की दरारों में जमा पानी है, जो हाइड्रोलॉजिकल साइकिल का हिस्सा बनता है। जब वर्षाजल पृथ्वी की सतह से नीचे रिसकर जमा होता है और जलभृत (Aquifers) नामक परतों में एकत्रित होता है, भूजल कहलाता है। यह बारिश से जमीन में रिसकर भूमिगत जलभृतों को फिर से भर देता है। ये जलभृत महत्वपूर्ण मीठे पानी के भंडार के रूप में काम करते हैं। इससे पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक जरूरतों के लिए पानी मिलता है। 

भूजल दोहन क्यों

दुनिया अपनी सभी जल जरूरतों की पूर्ति के लिए सर्वाधिक रूप से भूजल पर ही निर्भर है। लिहाजा, अब एक तरफ तो भूजल का ये अनवरत दोहन हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन के कारण ‘एक्सट्रीम रेनपैटर्न’ ने रनआफ बढ़ा दिया है। प्राकृतिक तरीकों से जलपुनर्भरण पूरा नहीं हो पा रहा है।

चिंताजनक बात यह है कि धरती को भूजल दोहन के अनुपात में जल की प्राप्ति नहीं हो पा रही है। भूजल दोहन से धरती का झुकाव क्या संभव है अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के नाजुक संतुलन पर अत्यधिक भूजल निष्कर्षण के आश्चर्यजनक प्रभाव का खुलासा किया है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पूरी तरह सीधी नहीं है, क्योंकि यह सूर्य के चारों ओर घूमती है। ग्रह जिस कोण पर है उसे उसका झुकाव कहा जाता है।

1993 से 2010 के बीच की अवधि में, दुनिया भर में ‘मनुष्यों’ द्वारा सामूहिक रूप से 2000 गीगाटन भूजल निकाला गया है। और इसे दूसरी जगह शिफ्ट हुआ है। भूजल दोहन के कारण यह झुकाव लगभग 80 सेंटीमीटर यानी 31.5 इंच तक हुआ है। जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित निष्कर्षों ने इसी घटना की ओर इशारा किया है।

2000 गीगाटन भूजल द्रव्यमान का विस्थापन

2016 में यह खोज की गई थी कि पानी के द्रव्यमान में बदलाव पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित कर रहा है। ज्वार (tides) के अलावा, ध्रुवीय बर्फ के पिघलने और समुद्र में पानी की मात्रा बढ़ने से भी ध्रुवीय बहाव (polar drift) पर असर पड़ता है। 

हाल की कोरियाई भूभौतिकीविद् का अध्ययन ने एक नया और चौंकाने वाला पहलू उजागर किया है। एक्वीफर्स (aquifers) से पानी के निष्कर्षण के कारण बड़े जल द्रव्यमान के विस्थापन ने पृथ्वी के घूर्णन अक्ष को लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर बदल दिया है। अध्ययन के अनुसार, 1993 से 2010 के बीच, पृथ्वी के घूर्णन अक्ष में यह विचलन प्रति वर्ष 4.36 सेंटीमीटर की दर से बढ़ा है।

एक अन्य उदाहरण - थ्री गॉर्जेस डैम

2018 में, नासा ने मध्य चीन में यांग्त्ज़ी नदी के मार्ग पर थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण के बाद पृथ्वी के घूमने में बदलाव का पता लगाया। विशाल हाइड्रोलिक कार्य, जिसमें 185 मीटर ऊंचा और 2,310 मीटर लंबा बांध बनाना शामिल था, लगभग 39.3 बिलियन m³ की क्षमता वाला एक जलाशय बनाता है और 632 km2 के औसत क्षेत्र में फैला हुआ है। 100 मिलियन m³ से अधिक मिट्टी को हटाना पड़ा, और लगभग 1.5 मिलियन लोग विस्थापित हुए। वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों द्वारा विशाल जलाशय की आलोचना होती रहती है, जिसने क्षेत्र की जलवायु को बदल दिया है और काफी पर्यावरणीय क्षति हुई है।

नासा के विशेषज्ञों के अनुसार, थ्री गॉर्जेस बांध के कारण भी पृथ्वी का घूर्णन बदल गया है, जिससे दिन के उजाले के घंटे 0.06 मिलीसेकंड बढ़ गए हैं। घूमते हुए लट्टू की उपमा को समझें तो भूभौतिकीविद् बताते हैं कि एक बड़े क्षेत्र में फैले द्रव्यमान की बड़ी मात्रा में परिवर्तन, इससे घूर्णन गति कम हो जाती है। इसके विपरीत, एक विशिष्ट बिंदु पर द्रव्यमान की सांद्रता इसे बढ़ा देगी।

चिंता का मुद्दा

सुनामी, भूकंप, ज्वार, एक्सट्रीम रेनपैटर्न घटनाएं बढ़ती जाएंगी। दूसरा पहलु यह है कि भूजल की कमी का चरम बिंदु आता जा रहा है यानी एक्वीफर सूख रहे हैं।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org