लखनऊ के बक्शी का तालाब से निकली रेठ नदी का पानी जलजीव व मनुष्य के लिये घातक है। इस बात का खुलासा नदी के पानी के कुछ दिन पहले लिये गए नमूने की जाँच रिपोर्ट में हुआ है। यह नमूना कुर्सी थाना के अगासड़ में संचालित हो रहे यांत्रिक स्लाटर हाउस अमरून फूड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड से करीब तीन सौ मीटर की दूरी पर लिया गया था। यह नदी जिले से गुजरे वाली गोमती नदी में समाहित हो जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला प्रशासन ने नदी के पानी के शुद्धिकरण व उसकी वजहों तक जाकर रोकने के बजाय पूरी रिपोर्ट शासन को भेजकर चुप्पी साध ली है। अब इसको लेकर लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। क्योंकि यह एक ऐसी नदी है जो बाराबंकी की पहचान के तौर पर जानी जाती है।
इलाके के लोगों का कहना है कि चूँकि इस नदी की लम्बाई ज्यादा नहीं है ऐसे में अगर प्रशासन चाहे तो इस नदी को बचाने के लिये बेहतर प्रयास कर सकती है। लेकिन न तो प्रशासन की ओर से कुछ हो रहा है और न ही स्थानीय नेताओं की ओर से। जल संरक्षण को लेकर काम करने वालों ने जरूर नदी के प्रदूषित हो रहे पानी और खो रही नदी के अस्तित्व पर आगे आने की बात कहीं लेकिन अभी तक उसका कोई खास असर नहीं दिखा।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
रिपोर्ट के अनुसार नदी का पानी दूषित है तथा जलीय जीव व मनुष्य के लिये घातक है।
जाँच रिपोर्ट ठीक नहीं, दोबारा होगी जाँच
यह जाँच आधी सच है। इसमें आधा सच छिपाया गया प्रतीत हो रहा है। इस मामले को मैं सीएम के सामने रखकर पुनः उच्चस्तरीय जाँच की सिफारिश करुँगा।
रेठ नदी का पानी अगासड़ के पास दूषित होना पाया गया है। इस पर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। शासन के निर्णय पर अगला कदम प्रशासन उठाएगा।
सुधारा जाये तो जिन्दगी सुधर जाये लोगों की
रेठ नदी का उद्गम हमारे इलाके के लिये पहचान है। इस नदी का अस्तित्व खत्म नहीं होने दिया जाएगा। त्रिवेदी के मुताबिक नदी को लेकर जो समस्याएँ मेरी जानकारी में आई हैं उनको दूर किया जाएगा।
नदियों को सुधारने से लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा।
इस नदी का अधिकांश हिस्सा या तो सूख चुका है या फिर मिट्टी से पट चुका है। इसको सुधार कर बारिश के पानी का संचयन किया जा सकता है। जो इलाके के दर्जनों गाँवों के हजारों किसानों के लिये जीवनदायिनी के काम के तौर पर काम आ सके।
यह नदी कुंहरावां, अमरसंडा, पलहटी, कुर्सी गाँव होते हुए बाराबंकी जिले में आगे जाकर गोमती नदी में मिल जाती है।
मिलीभगत से नदी को नाला बना दिया
कहने को तो यह नदी है। लेकिन हकीकत में यह नाला भी नहीं है। 37 किलोमीटर लम्बी इस नदी का बहुत सा पैच भी सूख चुका है।
उन्होंने अभी जल्द ही अपना काम शुरू किया है। लोगों ने जब बताया कि यह रेठ नदी है तब पता चला कि यह कोई नदी है वरना हकीकत में तो यह कोई नाले से कम नहीं है।
अगर शासन-प्रशासन स्तर पर कोई सुधार नहीं हो सकता है तो लोगों को नदी बचाने के लिये सामने आना चाहिए
इस इंडस्ट्रियल एरिया आस-पास के दुकानदार और गाँव वाले तो नदी को बचाना चाहते हैं लेकिन बड़े उद्यमी अभी भी नदी को पाटने में लगे हुए हैं।
लोगों ने कहा अब नहीं सुधरी तो करेंगे आन्दोलन